ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र
गणेश चतुर्थी 10 सितंबर 2021 दिन शुक्रवार को है। इस दिन गणेश पूजा के लिए गणपति की स्थापना की जायेगी। जानें इस महापर्व पर गणेश जी की स्थापना का शुभ समय। इस दिन शुक्रवार को भगवान गणेश जी घर-घर विराजेंगे। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को शुरू होने वाला गणेश चतुर्थी का ये महापर्व इस बार कई शुभ संयोग के साथ लेकर आ रहा है। इन शुभ संयोग में गणेश जी का पूजन करना सभी भक्तों के लिए अति मंगलकारी होगा। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर इस बार 6 ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है, जो व्यापारियों के लिए अतिलाभकारी होगा। चतुर्थी पर इस बार छह ग्रह अपनी श्रेष्ठ स्थिति में होंगे, जिसमें बुध कन्या राशि में, शुक्र तुला राशि में, राहु वृषभ राशि में, शनि मकर राशि में, केतु वृश्चिक राशि तथा शनि मकर राशि में विद्यमान होंगे। ग्रहों की ये स्थिति कारोबार करने वाले जातकों के लिए शुभ है। व्यापारी वर्ग के मुनाफे में बढ़ोत्तरी होगा और शेयर बाजार में भी लाभ होगा।
बन रहा रवियोग
वहीं गणेश चतुर्थी पर इस बार रवियोग में पूजन होगा। लंबे समय बाद इस बार चतुर्थी पर चित्रा-स्वाति नक्षत्र के साथ रवि योग का संयोग बन रहा है। चित्रा नक्षत्र शाम 4।59 बजे तक रहेगा और इसके बाद स्वाति नक्षत्र लगेगा। वहीं 9 सितंबर दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर 12 बजकर 57 मिनट तक रवियोग रहेगा, जो कि उन्नति को दर्शा रहा है। इस शुभ योग में कोई भी नया काम और गणपति पूजा मंगलकारी होगी।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य मिश्र ने बताया कि इस दिन पूजा का शुभ मुहुर्त मध्याह्न काल में है। वैसे तो तिथि की शुरूआत पूर्वाह्न 11:03 बजे से अपराह्न 1:33 बजे तक है, यानि पूजा का मुहूर्त दो घंटे 30 मिनट तक माना गया है। हालांकि इसका शुभ मुहूर्त अपराह्न 12:18 बजे से चतुर्थी तिथि की समाप्ति रात 9:57 बजे तक है।
गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा देखने से क्यों लगता है दोष
जानिए कारण और बचने का उपाय
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना बहुत अशुभ होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन चंद्रमा देख ले वह झूठे आरोप में फंस जाता है। इस दोष को दूर करने के लिए एक उपाय कर लेना अच्छा होता है। गणेश चतुर्थी के दिन से गणेशोत्सव शुरू होता है। इस दिन घर-घर गणपति विराजते हैं। उत्सव के इस दिन में ख्याल रखें कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा न देखें। धर्म-पुराणों में गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन को वर्जित बताया गया है। ऐसा करने से दोष लगता है। यदि गलती से चंद्रमा देख लें तो उससे लगने वाले दोष से बचने के लिए व्यक्ति को एक उपाय जरूर कर लेना चाहिए।
क्यों नहीं करना चाहिए चंद्र दर्शन
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन न करने का कारण एक कथा में बताया गया है। इसके मुताबिक जब चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को हाथी का मस्तक लगाया गया और वे उसके बाद पृथ्वी की परिक्रमा करके प्रथम पूज्य कहलाए तो सारे देवी-देवताओं ने उनकी वंदना की लेकिन चंद्र देव ने ऐसा नहीं किया।
चंद्रमा को अपने रूप-रंग पर घमंड आ गया था। इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दिया कि आज से तुम काले हो जाओगे। इस पर चंद्र देव डर गए और उन्होंने गणेश जी से माफी मांगी। तब भगवान ने उन पर दया करके कहा कि जैसे-जैसे सूर्य की किरणें फिर से चंद्रमा पर पड़ेंगी उनकी आभा वापस आ जाएगी। तब से ही गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना वर्जित हो गया, यदि कोई ऐसा कर ले उसे पाप लगता है साथ ही मान्यता है कि उस पर भविष्य में कोई बड़ा आरोप लगता है।
ऐसे दूर करें चंद्र दर्शन का दोष
गणेश चतुर्थी पर यदि गलती से चंद्रमा देख लें तो इसके दोष से बचने के लिए पूरे भक्ति-भाव से ‘सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:। सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।।’ मंत्र का जाप करें। इससे चंद्र दोष का बुरा असर व्यक्ति पर नहीं पड़ता है। इस मंत्र का जाप उन लोगों के लिए भी मददगार साबित होगा जिन पर किसी ने झूठा आरोप लगा दिया है। इस मंत्र का रोज 108 बार जाप करने से व्यक्ति आरोप मुक्त हो जाएगा।
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