आज भी जज्बे से भरे हैं देश के लिए 5 लड़ाई में लडऩे वाले हवलदार राम सिंह

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Ram Singh was recruited as a constable in the 11th Earning Regiment

आज समाज डिजिटल,कनीना:

देश के लिए 5 लड़ाई लडऩे वाले एवं 84 वर्षीय कनीना के निवासी राम सिंह हवलदार आज भी देश रक्षा रक्षा की बात पर जज्बे से भर जाते हैं और पुरानी बातें याद कर भावुक हो जाते हैं। उनका कहना है कि देश की सीमाओं पर जो कुछ छिटपुट की घटनाएं घट रही है वो उचित नहीं हैं। 1939 में कनीना में जन्मे हवलदार राम सिंह की मां का नाम डोडी देवी है तथा पिता का नाम मातादीन है। वेे 9 अक्टूबर 1957 में हिसार में देश सेवा के लिए भर्ती हुए। महज चार जमात पास राम सिंह हवलदार 5 जनवरी 1975 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्हें अब तक सेवा के दौरान अनेकों मेडल मिल चुके हैं।  जिनमें गोवा रक्षा मेडल, नागा हिल्स मेडल, 9 साल की लंबी सेवा का मेडल तथा गोवा मेडल आदि अनेक मेडल मिले हैं।

सिपाही पद पर 11 कमाऊ रेजीमेंट में भर्ती हुए थे राम सिंह 

राम सिंह सिपाही पद पर 11 कमाऊ रेजीमेंट में भर्ती हुए थे जिन्होंने 29 अगस्त 1958 से लेकर 11 अप्रैल 1960 तक गोवा युद्ध ,6 दिसंबर 1961 से 21 दिसंबर 1963 तक चीन के विरुद्ध युद्ध, 20 दिसंबर 1964 से 11 सितंबर 1965 तक पाक के विरुद्ध युद्ध, 20 सितंबर 1965 से 27 अप्रैल 1968 तक पाक के विरुद्ध चल रहे युद्ध तथा 27 नंबर 1970 से 20 अगस्त 1973 तक सिक्किम  का युद्ध आदि में भाग लिया लेकिन वो बताते हैं कि 1961 में गोवा में पुर्तगालियों को भगाने के लिए युद्ध किया।

चाइना युद्ध में अहम योगदान

चाइना युद्ध में उनका योगदान अहम हा। उन्होंने बताया कि चुसूल मोर्चे पर चार्ली कंपनी के 114 सैनिक मारे गए थे उस समय जब हेडक्वार्टर से उनका संपर्क टूट गया था तो उन्हें तथा उनके साथी 3 सिपाही तथा एक नायक को सूचना लाने को भेजा गया। चारों गलती से दुश्मनों के बीच में पहुंच गए जिसमें 2 सिपाही तथा नायक भी मारे गए किंतु हवलदार रामसिंह किसी प्रकार दुश्मनों से बच निकले और हेड क्वार्टर को सूचना दी कि किस प्रकार उनकी कंपनी को खत्म कर दिया गया है तथा दुश्मन अभी भी सक्रिय है जिसके चलते गोलाबारी करके दुश्मन को खदेड़ा गया। उस समय की लड़ाई को याद कर रो पड़ते हैं ।1965 में राजोरी से आगे महिंद्रा में उन्होंने तैनाती दी और युद्ध के दौरान घायलों को लाने ले जाने की भूमिका निभाई। उनका कहना है कि उनके दिल में आज भी जोश और जज्बा है। वे चाहते हैं कि देश सेवा में फिर से मौका मिले।

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