Ram Mandir Story: राम मंदिर के निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का इस्तेमाल नहीं

0
367
Ram Mandir Story
मंदिर के निर्माण में लगे कारीगर।

Aaj Samaj (आज समाज), Ram Mandir Story, नई दिल्ली: राम नगरी अयोध्या में बनाए जा रहे भगवान राम के मंदिर निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। मंदिर की इस विशेषता ने सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट होगी। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर के निर्माण में लोहे के बिल्कुल इस्तेमाल न किए जाने की स्वयं पुष्टि की है। मंदिर बनाने में सीमेंट व कंक्रीट का भी बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया गया है।

लोहे से कमजोर होती है नींव : चंपत राय

चंपत राय ने कहा है कि मंदिर को परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है और लोहे का यूज न होने से इसकी उम्र कम से कम 1000 वर्ष होगी। एक हजार साल आयु के हिसाब से ही राम मंदिर की रचना की गई है। मंदिर ट्रस्ट के महासचिव का मानना है कि अगर इस मंदिर में सरिये का इस्तेमाल होता तो इसकी आयु घट जाती और बार-बार मरम्मत की जरूरत पड़ती, क्योंकि लोहे में जंग लग जाता है।

पहले बगैर लोहे के बनती थीं ज्यादातर इमारतें

जंग लगने से मंदिर की नींव कमजोर हो जाती और ऐसे में राम मंदिर का एक हजार साल तक टिकना संभव नहीं हो पाता। बता दें कि पहले के जमाने में भी ज्यादातर इमारतें बगैर लोहे के बनती थीं। यही वजह है कि आज भी हम अपने आसपास दशकों पुरानी इमारत को देख पाते हैं। बता दें कि राम मंदिर बनकर लगभग तैयार हो चुका है। 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी और इस तरह से रामलला गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे। अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद भी राम मंदिर निर्माण का कार्य जारी रहेगा, क्योंकि यह मंदिर तीन मंजिला होगा, जिसका प्रथम तल पूरी तरह से बनकर तैयार है।

उत्तर भारत में विकसित हुई है नागर शैली

नागर शैली का कनेक्शन हिमालय और विंध्य के बीच की भूमि से रहा है और यह शैली मुख्य तौर पर उत्तर भारत में विकसित हुई है। दरअसल, नागर शैली उत्तर भारतीय हिंदू स्थापत्य कला की तीन शैलियों में से एक है। यहां नागर शब्द का मतलब नगर से है, जिसकी उत्पत्ति भी नगर से ही हुई है। नागर शैली में बनने वाले मंदिर में प्राय: चार कक्ष होते हैं। मसलन- गर्भ गृह, जगमोहन, नाट्य मंदिर और भोग मंदिर।

 ये मंदिर भी बने हैं नागर शैली में

खजुराहो, सोमनाथ और कोणार्क का सूर्य मंदिर भी नागर शैली में बना है। इस शैली में बने मंदिरों में दो हिस्से मुख्य होते हैं। पहला हिस्सा मंदिर का होता है जो लंबा होता है और मंडप उससे छोटा होता है। दोनों के शिखर की लंबाई में बड़ा अंतर होता है। लोहे का यूज मुख्यतौर पर पाइल फाउंडेशन में होता है, लेकिन राम मंदिर में इस पाइल फाउंडेशन का भी यूज नहीं किया गया है। चंपत राय ने बताया कि आर्टिफिशियल रॉक को मंदिर की नींव के रूप में प्रयोग किया गया है। मंदिर के फाउंडेशन में ऐसी कंक्रीट डाली गई है जो भविष्य में चट्टान बन जाएगी।

यह भी पढ़ें: 

Connect With Us: Twitter Facebook