RAM MANDIR IN AYODHYA-राम काज कीन्हें बिनु मोही कहां वि श्राम… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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अयोध्या में राम मंदिर के लिए आधारशिला रखने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मुझे आमंत्रित किया और मुझे इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का अवसर दिया।

पूरा देश रोमांचित है. हर मन दीपमय है. आज पूरा भारत भावुक है. सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है. करोड़ों लोगों को आज ये विश्वास ही नहीं हो रहा होगा कि वो अपने जीते जी इस पावन अवसर के साक्षी बन रहे हैं. बरसों से टाट और टेंट के नीचे रहे हमारे राम लला के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण होना.

टूटना और फिर खड़ा होना, सदियों से जारी इस अतिक्रमण से आज राम जन्मभूमि मुक्त हुई है. हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई कई पीढ़ियों ने अपना सबकुछ समर्पित कर दिया था. गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था जब आजादी के लिए आंदोलन ना चला हो. देश का कोई ऐसा भूभाग नहीं था जहां आजादी के लिए बलिदान ना दिया गया हो. 15 अगस्त का दिन लाखों बलिदानों का प्रतीक है. स्वतंत्रता की उस इच्छा, उस भावना का प्रतीक है. उसी तरह राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक कई कई पीढ़ियों ने अखंड और अविरक्त प्रयास किया है. आज का दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है. राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण के लिए भी था तर्पण भी था, संकल्प भी था संघर्ष भी था. जिनकी तपस्या राम मंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है, मैं उन सब लोगों को 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से सर झुका कर नमन करता हूं उनका वंदन करता हूं. संपूर्ण सृष्टि की शक्तियां राम जन्मभूमि से जुड़ा हर व्यक्तित्व इस आयोजन को देख रहा है. वो भावविभोर है, सभी को आशीर्वाद दे रहा है. राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल मिल गए हैं, कोई काम करना हो तो हम प्रेरणा के लिए भगवान राम की तरफ ही देखते हैं. भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए, इमारतें नष्ट हो गई, क्या कुछ नहीं हुआ, अस्तित्व मिटाने का हर कोई प्रयास हुआ लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं.

हमारी संस्कृति के आधार हैं. श्री राम भारत की मर्यादा हैं, मर्यादा पुरषोत्त्म हैं. श्री राम के भव्य और दिव्य मंदिर के लिए आज भूमि पूजन हुआ है. यहां आने से पहले मैने हनुमान गढी का दर्शन किया. राम के सब काम हनुमान ही तो करते हैं. राम के आदर्शों की रक्षा करने की जिम्मेदारी भी हनुमान जी की ही है. हनुमान जी के आशीर्वाद से राम मंदिर निर्माण शुरू हुआ है. राम मंदिर हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा. करोड़ों करोड़ों लोगों की सामुहिक शक्ति का प्रतीक बनेगा. ये मंदिर आने वाली पीढ़ियों को आस्था और श्रद्धा की प्रेरणा देता रहेगा. राम मंदिर बनने के बाद इस क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र बदल जाएगा.

पूरी दुनिया से लोग यहां आएंगे. पूरी दुनिया भगवान राम और माता जानकी के दर्शनों के लिए आएंगे. आज का एतिहासिक पल युगों युगों तक याद रखा जाएगा. आज का दिन सत्य, अहिंसा, आस्था और बलिदान को न्यायप्रिय भारत की अनुपम भेंट है. कोरोना संकट के बीच ये कार्यक्रम काफी मर्यादित हो रहा है, श्री राम का काम जैसा मर्यादित होना चाहिए वही मर्यादा आज देखने को मिल रही है.

इस मंदिर के साथ नया इतिहास ही नहीं रचा जा रहा बल्कि इतिहास खुद को दोहरा भी रहा है, जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर तक और केवट से लेकर बनवासी बंधुओं को भगवान राम की सेवा का सौभाग्य मिला. जैसे छोटे-छोटे ग्वालों ने भगवान कृष्ण को गोवर्धन पर्वत उठाने में भूमिका निभाई. उसी तरह देश के लोगों के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का पुण्य कार्य पूरा हुआ है. पत्थरों पर श्री राम लिखकर राम सेतू बनाया गया. वैसे ही घर-घर और गांव गांव से श्रद्धापूर्वक भेजी गई शिला यहां की अमोघ शक्ति बन गई है. भारत की आस्था भारत के लोगों की सामुहिकता और इसकी अमोघ शक्ति अध्ययन का विषय है. श्री राम चंद्र को तेजमय सूर्य के समान और यशमय इंद्र के समान माना गया है. श्री राम संपूर्ण हैं, हजारो सालों से श्री राम प्रकाश स्तंभ बने हुए हैं.

जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा न देते हों। भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है जिसमें प्रभु राम झलकते न हों। भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं! भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं. श्रीराम का अद्भुत व्यक्तित्व, उनकी वीरता, उनकी उदारता, उनकी सत्यनिष्ठा, उनकी निर्भीकता, उनका धैर्य, उनकी दृढ़ता, उनकी दार्शनिक दृष्टि युगों-युगों तक प्रेरित करते रहेंगें.

तुलसी के राम सगुण राम हैं, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण राम हैं! भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं तो सदियों से ये अयोध्या नगरी जैन धर्म की आस्था का केंद्र भी रही है. राम की यही सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है. आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहां, वहां की भाषा में रामकथा प्रचलित है. मुझे विश्वास है कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी. आखिर राम सबके हैं, सब में हैं. तुलसी के राम सगुण राम हैं, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण राम हैं! भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं तो सदियों से ये अयोध्या नगरी जैन धर्म की आस्था का केंद्र भी रही है. राम की यही सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है.

हमें ये सुनिश्चित करना है कि भगवान श्रीराम का संदेश, हमारी हजारों सालों की परंपरा का संदेश, कैसे पूरे विश्व तक निरंतर पहुंचे. कैसे हमारे ज्ञान, हमारी जीवन-दृष्टि से विश्व परिचित हो, ये हम सबकी, हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों की ज़िम्मेदारी है.