अयोध्या में राम जन्मभूमि ट्रस्ट को करीब 17 करोड़ का चूना लगाया गया है। दो लोगो ने संपत्ति के खरीद फरोख्त का ऐसा खेल खेला कि राम मंदिर ट्रस्ट के 17 करोड़ रुपये डूब गए । खास बात ये कि सिर्फ पांच मिनट में ही इन दो लोगो ने महज़ 2 करोड़ से 17 करोड़ कमा लिए और ट्रस्ट को ठग लिया। लेकिन अफसोस तो ये है कि इस खेल में ट्रस्ट में अपने लोग ही शामिल थे। दरअसल पिछले 3 महीने पहले राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्र्स्ट के महामंत्री चम्पत राय ने अयोध्या में ट्र्स्ट के नाम 12080 वर्ग मीटर ज़मीन साढ़े 18 करोड़ में खरीदी है। जिसमे रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के दौरान 17 करोड़ रूपये भी आरटीजीएस कर दिए गए। बाकी बचा डेढ़ करोड़ अभी देना है। मंदिर ट्रस्ट ने ये ज़मीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी से खरीदी है। इस संपत्ति के खरीद फरोख्त में राम मन्दिर ट्र्स्ट के सदस्य अनिल मिश्र और अयोध्या मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह है।
लेकिन अब सुनिए चौकाने वाला सच। जिस जमीन को ट्रस्ट ने सुलतान और तिवारी से शाम 7 बजकर 15 मिनट पर साढ़े 18 करोङ में खरीदी है। वही ज़मीन सुल्तान और रवि मोहन तिवारी ने उसी दिन शाम 7 बजकर 10 मिनट पर सिर्फ 2 करोड़ में खरीदकर बैनामा कराया था। यानी जिस जमीन की कीमत सिर्फ 2 करोड़ थी, उस जमीन को ट्र्स्ट ने साढ़े 18 करोड़ में खरीद लिया और सिर्फ 5 मिनट में सुल्तान और रवि ने करोड़ो कमा लिए। माना कि सौदे में नफा नुकसान लगा रहता है और इस सौदे में ट्र्स्ट को नुकसान हो गया। लेकिन ये नुकसान नही है बल्कि ट्र्स्ट के लोगो ने ही ट्र्स्ट को धोखा दिया है। क्योंकि अब हम आपको जो बताने जा रहे है वो सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। राम मंदिर ट्र्स्ट के सदस्य अनिल मिश्र और अयोध्या मेयर ऋषिकेश उपाध्याय जानते थे कि ये ज़मीन सुल्तान और रवि मोहन तिवारी ने आज ही सिर्फ दो करोड़ में खरीदी है। क्योंकि जब सुल्तान और तिवारी इस जमीन का बैनामा ले रहे थे तो बैनामे में गवाह के रूप में अनिल मिश्र और ऋषिकेश उपाध्याय शामिल थे। इसके सिर्फ पांच मिनट बाद यही ज़मीन सुल्तान और तिवारी ने राम मंदिर ट्रस्ट को साढ़े 18 करोड़ में बेच दी। कमाल तो ये देखिए कि ट्रस्टी अनिल मिश्र और अयोध्या मेयर ऋषिकेश उपाध्याय इसमे भी गवाह बने । यानी ट्र्स्ट के महामंत्री चम्पत राय को भले ही न मालूम हो कि ये ज़मीन हकीकत में कितने की है लेकिन ट्रस्टी अनिल मिश्र और मेयर ऋषिकेश ये बखूबी जानते थे कि ये ज़मीन सिर्फ 2 करोड़ की है। ऐसे में आखिर 17 करोड़ किसकी जेब मे गए। राम जन्मभूमि के पैसों की बंदरबाट कौन कर रहा है। जानते हुए भी 2 करोड़ की ज़मीन साढ़े 18 करोड़ में ट्रस्टी और मेयर ने मिलकर राम जन्मभूमि को क्यो खरीदवाई।
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