5 अगस्त , बुधवार के दिन अयोध्या में राम मंदिर के लिए , भूमि पूजन का कार्यक्रम, अभिजित मुहूर्त में , तुला लग्न, शत्भिषा नक्षत्र, कुंभ राशि ,शोभन योग, राहु काल और राहू में राहू की दशा के अंतर्गत , 12 बजकर 44 मिनट से लेकर , 12 बज कर 45 मिनट पर शुभ मुहूर्त पर संपन्न हो गया। इस समय की कुंडली में शनि जो भवन निर्माण का द्योतक हे, चतुर्थ भाव अर्थात भवन भाव में ही स्वराशि मकर में विराजमान हैं। हालांकि कई विद्ववानों ने चातुर्मास एवं राहुकाल में भूमि पूजन पर के मुहूर्त पर कई प्रशन खड़े किए परंतु यह एक ऐसा संयोग है कि मंदिर निर्माण निर्धारित समय से पूर्व ही तैयार हो जाएगा।
दूसरे , 5-8-2020 का योग भी 8 है। महीना भी 8 वां है। पांच का अंक बुध का है, दिन बुधवार है, बुध की गति तीव्र रहती है, अतः मंदिर निर्माण कार्य निविघ्न तथा समय से पूर्व संपन्न हो जाएगा।
5 अगस्त , बुधवार के दिन अयोध्या में राम मंदिर के लिए , भूमि पूजन का कार्यक्रम, अभिजित मुहूर्त में , तुला लग्न, शत्भिषा नक्षत्र, कुंभ राशि ,शोभन योग, राहु काल और राहू में राहू की दशा के अंतर्गत , 12 बजकर 44 मिनट से लेकर , 12 बज कर 45 मिनट पर शुभ मुहूर्त पर संपन्न हो गया। इस समय की कुंडली में शनि जो भवन निर्माण का द्योतक हे, चतुर्थ भाव अर्थात भवन भाव में ही स्वराशि मकर में विराजमान हैं। हालांकि कई विद्ववानों ने चातुर्मास एवं राहुकाल में भूमि पूजन पर के मुहूर्त पर कई प्रशन खड़े किए परंतु यह एक ऐसा संयोग है कि मंदिर निर्माण निर्धारित समय से पूर्व ही तैयार हो जाएगा।
दूसरे , 5-8-2020 का योग भी 8 है। महीना भी 8 वां है। पांच का अंक बुध का है, दिन बुधवार है, बुध की गति तीव्र रहती है, अतः मंदिर निर्माण कार्य निविघ्न तथा समय से पूर्व संपन्न हो जाएगा।अंक 8 ओैर शनि का प्रतीक काला धागा मोदी जी की कलाई में आज पूजा के समय सपष्ट नजर आ रहा था।
रामचरित मानस में कहा गया है कि नवमी तिथि मधुमास पुनीता। सुकल पक्ष अभिजीत हरिप्रीता।। मध्यदिवस अतिशीत न घामा पावन काल लोक विश्रामा।। इस पंक्ति के आधार पर माना जाता है कि राम का जन्म दोपहर 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट के मध्य हुआ था। योग, लगन, ग्रह, वार, तिथि सकल भये अनुकूल। शुभ अरु अशुभ हर्षजुत राम जनम सुखमूल।
ब्रह्म के साकार रूप की सेवा में तत्पर तिथि, वार ग्रह, नक्षत्र और योग मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जीवन और इनके द्वारा कही गई बातें मानव समाज के लिए न केवल आदर्श स्थापित करती हैं, अपितु विषम परिस्थितियों में भी विचलित न होने की प्रेरणा भी देती हैं। ग्रह नक्षत्रों की अनुकूलता होते हुए भी उन्होंने सामाजिक सन्देश के लिए अपने जीवन को लौकिक दृष्टि से कष्टकारक बनाया।
यही परमेश्वर जब अधर्मियों का नाश करने और धर्म की स्थापना के लिए मानव शरीर धारण कर पृथ्वी पर आते हैं तो उनकी सेवा हेतु देवता, नाग, गन्धर्व, योगी आदि भी अलग अलग रूपों में पृथ्वी पर जन्म लेते हैं। यहां तक कि ग्रह, नक्षत्र, तिथि, वार, लग्न और सभी योग अनुकूल हो जाते हैं। किन्तु मानव कल्याण हेतु नारायण इन योगों से अलग अपनी ही लीला करते हैं क्योंकि, वे इन ग्रहों और उनके प्रभावों से परे हैं। आसुरी शक्तियों के बढ़ने और देवताओं की प्रार्थना पर जब परमेश्वर ने राम के रूप मानव शरीर धारण कर पृथ्वी पर जन्म लेने का संकल्प लिया तो योग, लगन, ग्रह, वार, तिथि सकल भये अनुकूल। शुभ अरु अशुभ हर्षजुत राम जनम सुखमूल। सभी ग्रह, योग, लग्न, नक्षत्र आदि अपने-अपने शुभ स्थान पर चले गये थे।
क्या आपने कभी सोचा है कि नरेन्द्र मोदी के जीवन में 8 अंक का क्या महत्व है, 5 अंक बार बार क्यों आता है?
क्या आपने कभी सोचा है कि नरेन्द्र मोदी के जीवन में 8 अंक का क्या महत्व है, 5 अंक बार बार क्यों आता है और शनि ग्रह की उनके जीवन में क्या भूमिका है ?
ऽ इनका जन्म- 17 – 9- 1950 जिसका योग · 8 [17=1+7=8] HkkX;kad 5. [17.09.1950 = (1+7) + (9) + (1+9+5+0) = 8+9+15=32=3+2=5].
ऽ यह 17 वीं लोकसभा है, जिसका योग भी 8 है।
ऽ नोटबंदी- 8 नवंबर ,रात ठीक 8 बजे।
ऽ बालकोट में एयर स्ट्र्ाईक – 26 फरवरी जिसका योग भी 8 है। समय 3- 32 जिसका योग भी 8 है।
ऽ NARENDRA MODI .अक्षरों का योग 51955491 4649 = (2+6=8). 8
ऽ 2014 में प्रधान मंत्री पद की शपथ- 26 मई -& 2 +6= 8
ऽ 2012 में चौथी बार गुजरात के मुख्य मंत्री बने- 26 दिसंबर- 2 +6= 8
ऽ 2014 में लोकसभा चुनाव अभ्यिान का आरंभ किया -26 मार्च – 2 +6= 8
ऽ ये 14 वें प्रधान मंत्री हैं। 14 का योग 5 है। · [17.09.1950 = (1+7) + (9) + (1+9+5+0) = 8+9+15=32=3+2=5].
ऽ महीना था -5
कुल भाई बहन & 5
2019 में भी महीना है- पांचवां
ऽ MODI .के अक्षरों का जोड़ 5 है।
ऽ VADNAGAR के अक्षरों का जोड़ 5 है।
ऽ JASODABEN के अक्षरों का जोड़ 8 है।
ऽ DAMODARDAS. पिता के नामाक्षर का योग 8 है।
ऽ NEW DELHI, का योग 8 है।
ऽ RSS में 8 साल की आयु में आए ओैर साल था 1958 ; (23=2+3=5).
ऽ घर छोड़ने ंके समय आयु थी 17=1+7=8. साल था 1967 . 1967 – 23=2+5=5
ऽ प्रचारक बने- 1970- 17=1+7=8
ऽ गुजरात में संगठन सचिव बने -1988- 26. 26=2+6=8.
प्रधान मंत्री आवास 7 रेस कोर्स का नाम बदल कर लोक कल्याण माग कर दिया जिसके अक्षरों का योग 8 है।
ऽ सार्क सैशन का उदघाटन 26 नवंबर 2014. (2+6=8).
ऽ स्वालंबन अभियान का आरंभ -17 सितंबर , 2014(1+7=8)
ऽ प्रवासी भारतीय दिवस अभियान का आरंभ – 17 सितंबर,2014 ;(1+7=8)
ऽ प्रधान मंत्री मुद्रा योजना का आरंभ- 8 अप्रैल 2015
ऽ डिजीटल इंडिया का ड्र्ीम प्रोजैक्ट का आरंभ- 26-9-2015, ] . (2+6=8)
अंक शास्त्र में 8 का अंक शनि का प्रतिनिधित्व करता है।
यह जीवन में बहुत संघर्ष करवाता है। शक्ति का प्रतीक भी है। इस अंक का गलत पक्ष यह है कि यह व्यक्ति को जिदद्ी, मैं न मानूं टाइप बनाता है। यह 8 का अंक यानी शनि जीरो से हीरो ओर हीरो से जीरो भी बनाता है। जमीं से आस्मां तक और अर्श से फर्श पर भी पटक देता है।
अंक शास्त्र में 5 का अंक बुध का प्रतिनिधित्व करता है।
बुध ग्रह , बुद्धि , स्मृति, वाकपटुता, तत्काल निर्णय की क्षमता, भाषण कला, मीडिया, प्रचार आदि का परिचायक है। ये सारी परिपक्वता बुध नें मोदी के व्यकित्तव में समाहित की हैं। परंतु कइ्र बार 5 और 8 का संयोग व्यकित से आवेश में आकर ऐसे निर्णय करवा देता हे या ऐसे बोल बुलवा देता हेै, जिससे उसकी साख को धक्का पहुंचता है। 5 व 8 अंक वाले अपने बॉस आप होते हैं । ये गुण मोदी में मिलेंगे
राम राज्य
भारतीय संस्कृति में हर त्योहार प्रकृति, लोक कथा, मौसम, इतिहास, विज्ञान , धर्म से कहीं न कहीं बहुत गहरे जुड़ा हुआ है और कई पर्व तो सदियों से संस्कृति, विश्वास व धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं। अच्छाई की बुराई पर विजय के प्रतीकात्मक पर्व दशहरे के ठीक 20 दिन बाद दीवाली का आगमन होता है। भगवान राम की अयोघ्या वापसी पर की गई दीपमाला आज भी बदले हुए संदर्भ में आधुनिक तौर तरीकों से की जाती है और यह त्योहार भारत में सबसे बड़ा पर्व बन गया है जिसमें लगभग सभी समुदायों के लोग भाग लेते हैं। कहीं धार्मिक आस्था तो कहीं हर्षोल्लास का अवसर, कहीं सोने चांदी , शुष्क मेवों मिठाइयों से जुड़ा व्यापार तो कहीं साफ सफाई की प्रेरणा…. कितने ही आयाम लिए हुए है दीवाली।
धर्म, समाज और इतिहास के साथ राम का नाम इस दीपावली से जुड़ा है तो रामराज्य की एक कल्पना का साकार होना भी एक भारतीय का सदियों से सपना रहा है। रामायण शब्द दो शब्दों राम और अयन से बना है। अयन का अभिप्राय यहां सात लोकों से है और रामायण इन सात लोकों से और आगे जाकर मोक्ष प्राप्त करना है। आध्यात्मिक दृष्टि से राम रमयते का अर्थ है कि अपने लक्ष्य प्राप्ति में रमे रहो।
भगवान राम और राम राज्य का उद्भव 10 हजार वर्श पहले हुआ था। विश्व में यह अकेला उदाहरण है कि हम इतने सालों बाद भी ऐसे राजा को उसकी नीतियों और आदर्शों के लिए याद कर रहे हैं जिसके राज्य में शांति, सुख समद्धि के अलावा हर छोटे बड़े नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त थे। अन्य किसी देष में ऐसा सम्राट आज तक नहीं हुआ है जिसका अनुकरण या अनुसरण इतने वर्षों बाद भी किया जा सके और उस काल के वातावरण की कल्पना आज के आधुनिक युग में भी की जाए!
वर्तमान समय में भी आज का नेता, शासक उसी राम राज्य की परिकल्पना को साकार करने में संलग्न है जिसने समूचे विश्व के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया था। रामराज्य का अभिप्राय है कल्याणकारी राज्य की स्थापना जिसमें हम देश की संस्कृति कि विश्व का कल्याण हो, प्राणियों मे सद्भावना हो, कोई निर्धन न रहे, सब निरोगी हों ,एक सशक्त राष्ट्र् के रुप में भारत विश्व में अपना परचम लहराए और विश्व गुरु कहलाए।
रामायण के ऐतिहासिक तथ्य अत्यंत सपष्ट हैं जिससे पता चलता है कि राम युग में सुख ,शांति, समृद्धि तथा सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक समानता का वर्चस्व रहा है। समाज में एकता थी कोई विघटन नहीं था और न ही किसी अन्य राजा की अयोध्या हथियाने की कुदृष्टि ही थी जिसके कारण युद्ध की आशंका नगण्य थी और अमन चैन रहा। एक धोबी तक को विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार था। लोकतंत्र की नींव रामराज्य में ही रखी गई। विश्व के किस देश में ऐसी मिसाल है? इसीलिए भारत के संविधान में देश के उसी उसूल को कायम रखा गया कि सब को बोलने की आजादी हो।
आज के युग में हम रामराज्य की बातें क्यों कर रहे हैं? क्या आज इस्लामिक देशों मे बच्चे , महिलाएं, वृद्ध, विदेशी नागरिक सुरक्षित हैं? क्या वहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? क्या वहां धर्म के विरुद्ध कुछ कहने की आजादी है? इसी लिए उन देषों में न सामाजिक उत्थान हो पाया न नैतिक और न ही आर्थिक। रामायण काल में तभी युद्ध हुआ जब आम नागरिक राक्षसों से पीड़ित था। शांति तथा धर्म की रक्षा के लिए ही युद्ध किया गया किसी की जमीन हथियाने के लिए नहीं।
हमारे समाज में राम का नाम सत्यता को प्रमाणित करने की एक मुहर बन गया है। भारतीय अपनी सच्चाई सिद्ध करने के लिए राम की कसम खाता है। राम शब्द एक तंत्र ,मंत्र और यंत्र की तरह जीवन का अंग हो गया है। यहां तक कि प्राण छूटने पर गांधी जी के अंतिम षब्द भी हे! राम थे और आज एक आम आदमी के दाह संस्कार पर भी राम नाम सत्य ही बोला जाता है। राम एक नाम ही नहीं अपितु भारतीय जीवन की एक विचारधारा बन चुका है।
यदि आधुनिक सरकारी तंत्र में गुड गवर्नेंस की बात करें तो रामायण काल की शासन पद्धति का उदाहरण सामने आ जाता है। आज के संदर्भ में रामराज्य लाने के लिए एकता में अनेकता, भाषाई विवाद, सीमा विवाद,विभिन्न संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोना, पुराने कानूनों का नवीकरण करना, समाज को भय मुक्त करना, सबको शिक्षा के समान अवसर प्रदान करना, जीने का अधिकार देना…… कितने ही बिंदु हैं जिन्हें दृष्टिगत रख कर एक शक्तिशाली भारत का निर्माण करना है।
रामायण अपने आप में तीन विभिन्न संस्कृतियों का समागम है। जहां लंकाई संस्कृति में लड़ने, हथियाने, विलासिता के तत्व शीर्षस्थ थे वहीं किष्किंधा में कबीलों का बोलबाला और पिछड़ापन था और उसके विपरीत अयोघ्याई समाज में कला, शिक्षा, विद्या, नैतिकता और लोकतांत्रिक व्यवस्था का समावेश था। जब तीनों संस्कृतियों के प्रतिनिधियों की शिखर वार्ता हुई जिसमें उत्तर भारत के राम, दक्षिण के हनुमान और लंका के राक्षसी परिवार के विभीषण शामिल थे तो एक ऐसे वातावरण ने जन्म लिया जिसे रामराज्य का प्रादुर्भाव कहा जा सकता है।
विचारधारा की दृष्टि से दशरथ स्वयं छोटे से छोटे व्यक्ति को समान अधिकार देते थे। विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को आदेश दिया कि रथ की बजाय पैदल ही अयोध्या जाओ। राम को हर राजकीय व पारिवारिक मर्यादा के पालन की षिक्षा दी तभी वे मर्यादा पुरुशोत्तम कहलाए। भाईयों में पारिवारिक अनुषासन बनाए रखने की पद्धति अपनाई गई। नारी को कंधे से कंधा मिला कर चलने का उदाहरण सामने है। वचन निभाने की परंपरा का निर्वाह हर कीमत पर करने का त्याग है।
आज रामायण का छोटे से छोटा प्रसंग भी उतना ही प्रासंगिक है जितना 10000 साल पहले था। यदि शासक कमजोर और निर्धन वर्ग की दुख तकलीफ उनके बीच जाकर नहीं समझेगा तो वह देष को आगे नहीं ले जा सकता। स्वयं शक्तिशाली नहीं होगा तो राष्ट्र् कैसे सशक्त होगा ?
महात्मा गांधी ने भी रामराज्य की स्थापना का स्वप्न देखा था। यहां तक कि राजीव गांधी ने भी 1989 में अयोध्या में ही रामराज्य को साकार करने का प्रण लिया था। सत्राहवीं शताब्दी में संत तुकाराम ने छत्रपति शिवाजी महाराज को ऐसे ही समाज का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया था जिसमें राजा और प्रजा दोनों समान हों और जनता रामराज्य की अनुभूति कर सके। गांधी जी ने भी यही कहा था कि एक बार पूर्ण स्वराज्य मिल जाए तो देश में ऐसा वातावरण बनेगा जिसमें समानता, न्याय, आदर्श, समर्पण आदि की भावना होगी।
भारत का सौभाग्य है कि आज रामायण काल के सभी आदर्शों को समाहित कर हम रामराज्य की ओर अग्रसर होने का प्रयास कर रहे हैं। इसी लिए हमारे देवस्थानों पर, घरों व मंदिरों में राम दरबार के चित्र या मूर्तियां सुसज्जित करने की परंपरा है ताकि हमें नियमित राम राज्य की प्रेरणा समाज में मिलती रहे।
ज्योतिषीय दृष्टि से 2020 से युग परिवर्तन का समय आरंभ हो रहा है, कोरोना इस काल को नए रुप से संचालित करने में विशेष भूमिका निभाएगा। जो कुछ पिछली सदियों में नहीं हुआ वह 21 वीं सदी में अप्रत्याशित रुप से होगा। हम एक नए युग की ओर अग्रसर होने जा रहे हैं।