Aaj Samaj (आज समाज),Rakshabandhan 2023, पानीपत :: भाई-बहन के निस्वार्थ: प्रेम की अभिव्यक्ति का दिन रक्षाबंधन श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा 30 अगस्त को है, लेकिन भद्रा होने के कारण रक्षाबंधन का त्यौहार रात्रि करीब 9 बजे से 31 अगस्त सुबह 7 बजे तक मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती है। रक्षाबंधन पर पूजा थाली में निम्न वस्तुओं सजाई जानी चाहिए। उक्त वस्तु क्यो जरूरी है श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विधापीठ विश्वविद्यालय नई दिल्ली के ज्योतिष विभाग के शोध छात्र एवं भादड गांव निवासी पंडित शंभू दत्त ने विस्तार से बताते हुए कहा कि-
1. कुमकुम
रक्षाबंधन के दिन पूजा की थाली मे सबसे पहले सामग्री होना अनिवार्य है। वह है कुमकुम यानी की संदुर। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत कुमकुम का तिलक लगाकर ही करनी चाहिए। भाई के माथे पर तिलक लगाते हुए बहन उसकी लंबी उम्र की कामना भी करती है।
रक्षाबंधन के दिन पूजा की थाली मे सबसे पहले सामग्री होना अनिवार्य है। वह है कुमकुम यानी की संदुर। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत कुमकुम का तिलक लगाकर ही करनी चाहिए। भाई के माथे पर तिलक लगाते हुए बहन उसकी लंबी उम्र की कामना भी करती है।
2.चावल
कुमकुम लगाने के बाद माथे पर तिलक लगाना भी अनिवार्य है। दरअसल चावल को अक्षत कहा जाता है। इसका अर्थ है अक्षत यानी जो अधूरा ना हो। तो इस प्रकार से तिलक के ऊपर चावल लगाने का भाव है कि भाई के जीवन पर तिलक का शुभ असर हमेशा बना रहें।
कुमकुम लगाने के बाद माथे पर तिलक लगाना भी अनिवार्य है। दरअसल चावल को अक्षत कहा जाता है। इसका अर्थ है अक्षत यानी जो अधूरा ना हो। तो इस प्रकार से तिलक के ऊपर चावल लगाने का भाव है कि भाई के जीवन पर तिलक का शुभ असर हमेशा बना रहें।
3.नारियल
आजकल नारियल को सभी बहने थाली में रखना भूल जाती है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। जिमसें श्री से भाव है देवी लक्ष्मी का फल। यह फल देते हुए बहन यह कामना करती है कि भाई के जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहे और वह उन्नति करता रहें।
आजकल नारियल को सभी बहने थाली में रखना भूल जाती है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। जिमसें श्री से भाव है देवी लक्ष्मी का फल। यह फल देते हुए बहन यह कामना करती है कि भाई के जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहे और वह उन्नति करता रहें।
4.रक्षा सूत्र(राखी)
रक्षा सूत्र बांधने से त्रिदोष शांत होते है। त्रिदोष यानी वात,पित्त और कफ। हमारे शरीर में कोई भी बीमारी इन दोषों से ही संबंधित होती है। रक्षा सूत्र कलाई पर बांधने से शरीर में इन तीनों का संतुलन बना रहता है। वैज्ञानिकों द्वारा सिक्ष् भी किया गया है कि ये रक्षासूत्र का धागा कलाई की नसो पर दबाव बनता है। जिससे ये तीनों दोष नियंत्रित रहते है।
रक्षा सूत्र बांधने से त्रिदोष शांत होते है। त्रिदोष यानी वात,पित्त और कफ। हमारे शरीर में कोई भी बीमारी इन दोषों से ही संबंधित होती है। रक्षा सूत्र कलाई पर बांधने से शरीर में इन तीनों का संतुलन बना रहता है। वैज्ञानिकों द्वारा सिक्ष् भी किया गया है कि ये रक्षासूत्र का धागा कलाई की नसो पर दबाव बनता है। जिससे ये तीनों दोष नियंत्रित रहते है।
5.मिठाई
राखी बांधने के बाद मिठाई क्यों खिलाई जाती है। इसके पीछे भी एक मान्यता है। इसके अनुसार जब राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करती है तो वह असल में दोनो के रिश्तो में मिठास बढ़ती है। मिठाई खिलाते समय वह कामना करती है कि दोनो के रिश्तो में कडवाहट ना आए और रिश्तो की मिठास बनी रहे।
राखी बांधने के बाद मिठाई क्यों खिलाई जाती है। इसके पीछे भी एक मान्यता है। इसके अनुसार जब राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करती है तो वह असल में दोनो के रिश्तो में मिठास बढ़ती है। मिठाई खिलाते समय वह कामना करती है कि दोनो के रिश्तो में कडवाहट ना आए और रिश्तो की मिठास बनी रहे।
6.दीपक
आमतौर पर बहनें राक्षी बांधने से ठीक पहले दीपक जलाती है। और भाई की आरती करती है। राखी बांधने से जुड़े सभी कार्य करने से पहले यदि आटे का दीपक प्रज्वलित कर लिया जाए। तो यह बेहतर होता है। दीपक की लौ से निकालने वाली ऊर्जा आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा को भाई-बहन से दूर रखती है। जिससे दोनों के बीच प्रेम बढ़ता है।
आमतौर पर बहनें राक्षी बांधने से ठीक पहले दीपक जलाती है। और भाई की आरती करती है। राखी बांधने से जुड़े सभी कार्य करने से पहले यदि आटे का दीपक प्रज्वलित कर लिया जाए। तो यह बेहतर होता है। दीपक की लौ से निकालने वाली ऊर्जा आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा को भाई-बहन से दूर रखती है। जिससे दोनों के बीच प्रेम बढ़ता है।
7.पानी से भरा कलश
यह पानी से भरा कलश राखी की थाली में होना बेहद आवश्यक है। यह तांबे का ही होना चाहिए। और इसी कलश के जल को कुमकुम में मिलकर तिलक लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस कलश में सभी तीर्थों ओर देवी-देवताओं का वास होता है। कलश के प्रभाव से भाई बहन के जीवन में सुख और स्नेह हमेशा बना रहता है।
यह पानी से भरा कलश राखी की थाली में होना बेहद आवश्यक है। यह तांबे का ही होना चाहिए। और इसी कलश के जल को कुमकुम में मिलकर तिलक लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस कलश में सभी तीर्थों ओर देवी-देवताओं का वास होता है। कलश के प्रभाव से भाई बहन के जीवन में सुख और स्नेह हमेशा बना रहता है।
गृह सुरक्षा के लिए उपाय
पंडित शंभू दत्त ने बताया कि वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि मौली को गंगाजल से पवित्र करके गायत्री मंत्र की एक माला करके अपने प्रवेश द्वार पर तीन गांठ सहित बांधे तो घर की सुरक्षा पुख्ता हो जाएगी और चोरी, दरिद्रता तथा अन्य अनिष्ठ से बचाव रहेगा।
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