पंकज सोनी, भिवानी :
हर वर्ष श्रावण मास में पूर्णिमा तिथि पर भाई-बहन का यह पवित्र त्योहार मनाया जाता है। इसदिन बहन भाई को राखी बांधती है और भाई बहन को उपहार देता है और जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन भी देता है।
रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई बहन के प्यार को और मजबूत बनाता है, इस त्योहार के दिन सभी परिवार एक हो जाते है और राखी, उपहार और मिठाई देकर अपना प्यार साझा करते है। धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व को मनाने की शुरूआत माता लक्ष्मी ने की थी। सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई को राखी बांधी थी।
यह बात यहां हालवास गेट पर स्थित सिद्ध पीठ बाबा जहर गिरी आश्रम के पीठाधीश्वर अंतर्राष्ट्रीय महंत (जूना अखाड़ा) डा. अशोक गिरी महाराज ने रखा बंधन के पावन पर्व पर वहां उपस्थित श्रद्धालुओं को कही।
उन्होंने कहा कि जब राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली थी। राजा ने तीन पग धरती देने के लिए हां बोल दिया था। राजा के हां बोलते ही भगवान विष्णु ने आकार बढ़ा कर लिया है और तीन पग में ही पूरी धरती नाप ली है और राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया।
तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि भगवन मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे।
भगवान विष्णु के राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई। तब नारद जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया। नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और भगवान विष्णु को मांग लिजिए।
महंत ने कहा कि नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास भेष बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं। राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं। राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं। माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया है। ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई- बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता हैं।
राखी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 22 अगस्त, रविवार यानि रक्षाबंधन पर प्रात: 06 बजकर 15 मिनट से प्रात: 10 बजकर 34 मिनट तके तक शोभन योग रहेगा, धनिष्ठा नक्षत्र शाम को करीब 07 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. 22 अगस्त 2021 को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट दोपहर से शाम 04 बजकर 18 मिनट तक, राखी बांधना सबसे शुभ रहेगा.
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