Aaj Samaj (आज समाज), Festival Of Ideas,दिल्ली : ITV नेटवर्क की तरफ से 24 और 25 अगस्त, 2023 को देश की राजधानी दिल्ली में फेस्टिवल ऑफ आइडियाज (Festival Of Ideas) कॉन्क्लेव का आजोयन किया जा रहा है। इस कॉन्क्लेव में देश के तमाम क्षेत्रों के दिग्गज लोग (Festival Of Ideas) अपने विचारों को देश की जनता के साथ साझा करेंगे। साथ ही लोगों के सवालों का जवाब भी देंगे। बीते दिन कई दिग्गजों ने जनता के साथ अपने विचारों को साझा किया।
राष्ट्रवाद एक इंस्ट्रूमेंट
इसी कड़ी में “राष्ट्रवाद” के मुद्दे पर चर्चा की गई। इस चर्चा में राज्यसभा एमपी राकेश सिन्हा शामिल हुए। वहीं इनसे सवाल किया गया कि क्या आजादी के बाद से लेकर के 2014 तक जीन सरकारों ने राष्ट्रवाद के मूल तत्तवों को छोड़ा उसने जमीन तैयारी की नरेंद्र मोदी और बीजेपी के लिए राष्ट्रवाद को एक इंस्ट्रूमेंट के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए। जिसपर राकेश सिन्हा ने श्यामजी कृष्ण वर्मा का उदाहरण देते हुए कहा कि श्याम जी कृष्णा की जब जीनीवा में मृत्यु हुई थी तो उन्होंने कहा था कि मेरी अस्थियों को हिंदुस्तान तब ले जाया जाए जब भारत मां स्वतंत्र हो जाए। साल 1930 में उनकी मृत्यु हुई और 1947 में देश आजाद हुआ।
विरासत को जीवित किया
उन्होंने आगे कहा कि तब से कितने दशक बीत गए। इस दौरान कई प्रधानमंत्री आए। लेकिन जिनके कारण आजादी मिले लोग उन्हें भूल गए। 2003 में जब नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री बनते हैं और दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी थें, तब नरेंद्र मोदी जी जीनेवा जाकर उनके अस्थि भस्म को भारत लाएं और एक क्रांति तीर्थ की स्थापना किया। एक घटना यह बताती है कि राष्ट्र के प्रति जो सरोकार है वो सरोकार केवल भूमि के नहीं बल्कि, केवल जंगल, पहाड़ और चौहदी के प्रति नहीं बल्कि उन विचार, उन भावनाओं और उन लोगों के प्रति होना चाहती है जो इनका निर्माण करती है। नरेंद्र मोदी ने इसको टूल के तरह प्रयोग नहीं किया बल्कि उन्होंने इस विरासत को जीवित किया है।
मोहन रानाडे को किया याद
वहीं दूसरी घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि मोहन रानाडे नाम के भारतीय पुर्तगाल के जेल में बंद थें, उनकी मां रामा बाई आपटे ने लिखा कि मेरी आंखो की रौशनी चली जाए उससे पहले मैं अपने बेटे को एक बार देखना चाहती हूं। रेड क्रॉस सोसाइटी के अंतराष्ट्रीय सचिव ने इसके लिए प्ली किया और उन्हें अनुमति नहीं मिली। वहीं भारत सरकार ने इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया।
राकेश सिन्हा ने कहा कि इसके बजाए भारत सरकार ने पुर्तगाल के 3337 नागरिकों और सैनिकों को छोड़ दिया और उसके बदले एक मोहन रानाडे को भारत नहीं बुला सके। यह घटना नेहरु कार्यकाल की घटना है। एक नेहरु जुग की घटना और दूसरा मोदी जुग की घटना यह दिखाती है कि राष्ट्र के प्रति सरोकार होना राष्ट्र को जीवीत करने के लिए यह सिर्फ नारेबाजी की चीज नहीं है, राजनीतीक टूल नहीं है। यह एक प्रकिया है जिससे आप लोगों को जगाते हैं और जागृत करते हैं और उनको कृतव्य बोध का ज्ञान कराते हैं।
I.N.D.I.A के नाम पर चर्चा
वहीं उन्होंने I.N.D.I.A को लेकर कहा कि अंग्रेजी की एक कहावत ओल्ड वाइन न्यू वॉटल यानी नाम कुछ भी रख लें राहुल गांधी तो वही रहेंगे। लालु यादव का चारा घोटाला बदल नहीं जाएगा। नीतीश कुमार का बालिका गृह कांड बदल नहीं जाएगा। वो भारत नाम रख लें, हिंदुस्तान रख लें या कुछ भी रख लें। देश उन्हें खारिज करने जा रहा है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पक्ष लेते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी इस देश में विकास के और नए राष्ट्रवाद के प्रयाय बन गए हैं।