- भाजपा अब शायद प्रयोग करने से बचेगी
अजीत मेंदोला | जयपुर। राजस्थान की एक राज्यसभा सीट के लिए दावेदारों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। जो संकेत दिल्ली से मिल रहे हैं, उनके अनुसार पार्टी एक मात्र इस सीट को किसी जाट नेता को देने के मूड में हैं। देखने वाली बात यह होगी कि पार्टी क्या किसी स्थानीय नेता को मौका देगी या फिर बाहरी को। हालांकि राजस्थान के पड़ोसी राज्य हरियाणा और मध्यप्रदेश में भी एक—एक सीट पर उप चुनाव होना है।
तीनों सीट बीजेपी को ही मिलेंगी। सबसे प्रबल दावेदारों में केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू की अभी तक दावेदारी है, क्योंकि पंजाब से लोकसभा का चुनाव हारने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपनी टीम में राज्यमंत्री बनाया है। संकेत यह मिल रहे हैं कि बिट्टू को राजस्थान या हरियाणा में से किसी एक जगह से लाया जा सकता है।
फिलहाल पार्टी हरियाणा के चुनाव देखते हुए रणनीति यह भी बना रही है कि हरियाणा से किसी किसान नेता को मौका दिया जाए, जिससे किसानों को पार्टी साध सके। वहीं, राजस्थान में भी गुटबाजी और सोशल इंजीनियरिंग को साधने के लिए पार्टी कोई चूक नहीं करना चाहती। हालांकि राजस्थान से दावेदारों की बड़ी सूची है।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, अरुण चतुर्वेदी, राजेंद्र सिंह राठौड़, किरोड़ी लाल मीणा, अलका गुर्जर और ज्योति मिर्धा जैसे नाम भी टिकट की दौड़ में है। स्थानीय नेताओं में कायदे से पूनिया की दावेदारी बनती है, लेकिन हरियाणा के लिहाज से ज्योति मिर्धा फिट बैठती हैं। उनको टिकट देने से राजस्थान के जाट का कोटा पूरा होगा, जबकि हरियाणा में पार्टी उन्हें स्टार प्रचारकों की लिस्ट में डाल राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर सकती है।
ज्योति मिर्धा की है भूपेंद्र हुड्डा के परिवार से रिश्तेदारी
मिर्धा की हरियाणा कांग्रेस के प्रमुख चेहरे भूपेंद्र हुड्डा परिवार से रिश्तेदारी है और हुड्डा की ही सीएम पद पर दावेदारी है। जाटों को साधने में पूनिया और मिर्धा अहम रोल निभा सकते हैं। पूनिया हरियाणा के प्रभारी भी हैं। सोशल इंजीनियरिंग के हिसाब से तो यह दोनों नेता फिट बैठते हैं। जहां तक अरुण चतुर्वेदी और राजेंद्र राठौड़ का सवाल है तो वह सोशल इंजीनियरिंग में फिट नहीं बैठ रहे है। सीएम ब्राह्मण हैं, वहीं दूसरे ब्राह्मण घनश्याम तिवाड़ी पहले से ही राज्यसभा में सांसद है। राजपूतों में दिया कुमारी को उप मुख्यमंत्री बनाया है, जबकि गजेंद्र सिंह खींवसर भी मंत्री है।
इसमें एक चौंकाने वाला नाम किरोड़ी लाल मीणा का है। वह अभी विधायक और मंत्री है, लेकिन उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उनको राज्यसभा से दिल्ली ले जाने का फायदा यह होगा कि वह राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा बंदी कम करेंगे और मीणाओं को संदेश दे दिया जाएगा। साथ ही उनकी जगह उनके भाई को विधायक का चुनाव लड़वाया जा सकता है। जहां तक अलका गुर्जर का सवाल है तो देखना होगा कि उन्हें राज्यसभा से लाया जाता है या विधानसभा का चुनाव लड़वाकर मंत्री बनाया जाता है, वो उसमें फिट बैठती भी हैं।
तत्काल फायदे के लिए जाट नेता को दी जाएगी तवज्जो
पार्टी अभी तत्काल फायदे में जाट नेता को महत्व देगी। लोकसभा के परिणाम देख पार्टी शायद अब प्रयोग करने से बचे। राजस्थान से कुल 10 राज्यसभा की सीट हैं। जिनमें अभी पांच कांग्रेस के पास और चार बीजेपी के पास हैं। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के लोकसभा से चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई है। जीत के लिए 99 सीट चाहिए। भाजपा के पास 114 हैं। इसलिए बीजेपी की जीत तय है।
कांग्रेस के बाकी राज्यसभा सांसदों में नीरज डांगी को छोड़ सभी बाहरी हैं। सोनिया गांधी, प्रमोद तिवारी, मुकुल वासनिक और रणदीप सिंह सुरजेवाला राज्यसभा सांसद है। बीजेपी ऐसे में किसी बाहरी पर भी दांव लगा सकती है, इसमें बिट्टू भी वह नाम हो सकते हैं। एक दांव बीजेपी यह भी खेल सकती है कि ज्योति मिर्धा को हरियाणा से मौका देकर जाट राजनीति को बड़ा संदेश दे। विधानसभा का चुनाव हारने के बाद ज्योति मिर्धा लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी,लेकिन पार्टी के दबाव के चलते वह नागौर से चुनाव लड़ी और हनुमान बेनीवाल से दूसरी बार हार गईं। ऐसे में पार्टी फिर उन्हें मौका दे सकती है।
3 सितंबर को होंगे चुनाव, 14 अगस्त से शुरू होगी नामांकन प्रक्रिया
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उप चुनाव के लिए 14 अगस्त से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी, जो 21 अगस्त तक चलेगी। नामांकन पत्रों की संवीक्षा 22 अगस्त को होगी, जबकि 27 अगस्त तक अभ्यर्थी नाम वापस ले सकेंगे। आवश्यक होने पर मतदान 3 सितम्बर को प्रातः 9 बजे से सायं 4 बजे तक होगा।
मतगणना इसी दिन सायं 5 बजे से होगी। चुनाव प्रक्रिया 6 सितम्बर तक सम्पन्न कर ली जाएगी।गौरतलब है कि राजस्थान सहित देश के 9 राज्यों में राज्य सभा की कुल 12 सीटों पर उप चुनाव सम्पन्न होने हैं। इनमें से 10 सीटें तत्कालीन सदस्यों के 18वीं लोक सभा का सदस्य चुने जाने और 2 सीटें सदस्यों के त्याग-पत्र देने के कारण रिक्त हुई हैं।
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