Rajasthan News : कल पूरा होगा कलराज मिश्र का कार्यकाल, नए राज्यपाल की नियुक्ति में देरी के आसार

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Rajasthan News : कल पूरा होगा कलराज मिश्र का कार्यकाल, नए राज्यपाल की नियुक्ति में देरी के आसार
KALRAJ MISHRA
  • मिश्र भी कार्यकाल बढ़ाने का कर रहे हैं प्रयास
  • दिल्ली में कई नेताओं से कर चुके हैं मुलाकात

Rajasthan News | अजीत मेंदोला | जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र का कार्यकाल रविवार 21 जुलाई को पूरा होने जा रहा है। हालांकि नए राज्यपाल की नियुक्ति में इस बार देरी के आसार दिखाई दे रहे हैं। मिश्र ने राजस्थान का कार्यभार 9 सितंबर, 2019 को संभाला था, लेकिन उससे पहले वह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बनाए जा चुके थे। हिमाचल में उन्होंने 22 जुलाई, 2019 में राज्यपाल का पद संभाला था।

इसके बाद उन्हें सितंबर में राजस्थान भेजा गया था। राज्यपाल का कार्यकाल यूं तो पांच साल का होता है, लेकिन यदि किसी राज्य के राज्यपाल को दूसरे राज्य में नियुक्ति दी जाती है तो उनकी नियुक्ति की तारीख वह मानी जाएगी, जिसमें उन्होंने अपना कार्यभार पहले राज्य में संभाला। इस लिहाज से कलराज मिश्र का कार्यकाल 21 जुलाई को पूरा होने जा रहा है।हालांकि सरकार चाहे तो उन्हें एक मौका और भी दे सकती है।

सूत्रों की मानें तो कलराज मिश्र इस कोशिश में हैं कि उन्हें एक मौका और मिल जाए, लेकिन यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निर्भर करता है कि वह मौका देते है या नहीं। यूं भी इस बार दर्जन भर से ज्यादा नेता राज्यपाल बनने की उम्मीद पाले हुए है। कई राज्यों में आने वाले महीनों में राज्यपाल बदले जाने हैं। ​बीते दिनों कलराज मिश्र ने लगातार दिल्ली के कई दौरे भी किए थे। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात की थी।

किरोड़ी भी राज्यपाल की दौड़ में…!

चर्चा यह भी है कि राजस्थान से ही मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके किरोड़ी लाल मीणा का नाम भी राज्यपाल के लिए लिया जा रहा है। सूत्रों की माने तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भी पार्टी ने राज्यपाल का आफर दिया हुआ है, लेकिन वह शायद इसके लिए तैयार नहीं है। राजे अपने बेटे दुष्यंत सिंह के लिए केंद्र में मंत्री पद चाहती हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि राज्य के मौजूदा सांसदों में दुष्यंत सबसे वरिष्ठ हैं।

इसके बाद भी उन्हें केंद्र में मौका नहीं दिया गया। राजस्थान के बदले राजनीतिक हालातों में देखना होगा कि पार्टी पूर्व सीएम राजे को लेकर क्या फैसला करती है। लोकसभा चुनाव के बाद बदले हालात में राज्यपालों की नियुक्ति जल्दी होगी या तीन राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद देखना होगा। राजस्थान से अभी गुलाबचंद कटारिया राज्यपाल है।

सहयोगी दलों के वरिष्ठ नेता भी बन सकते हैं राज्यपाल

प्रधानमंत्री मोदी इस बार राज्यपालों की नियुक्ति में चौंका भी सकते हैं, क्योंकि सहयोगी दलों की मदद से उनकी सरकार चल रही है।सहयोगियों की तरफ से कोई नाम आयेगा तो पीएम मौका दे सकते हैं। इसके साथ सोशल इंजीनियरिंग भी साधना एक चुनौती होगी।जाट, दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं को मौका दे सकते हैं।

कलराज मिश्र के साथ उत्तर प्रदेश की आनंदी बेन पटेल, गुजरात के आचार्य देववर्त, केरल के आरिफ मोहम्मद, हरियाणा के बंडारू दत्तात्रेय, महाराष्ट्र के रमेश बेस, मणिपुर के अंसुइया उइके, मेघालय के फागू चौहान का कार्यकाल आने वाले महीनों में खत्म होने जा रहा है। पंजाब के बनवारी लाल पुरोहित पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में इन राज्यपालों की जगह जल्द नई नियुक्तियां की जानी है।

राज्यपाल की दौड़ में कई नाम शुमार

राज्यपाल बनने की दौड़ में कई नाम शामिल है। इनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता अविनाश राय खन्ना, मुख्तार अब्बास नकवी, मेनका गांधी, वीके सिंह, संतोष गंगवार, पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, अश्वनी चौबे जैसे नेताओं की एक लंबी सूची है। केरल और तमिलनाड्डु से भी किसी को मौका मिल सकता है। इस बार सहयोगियों से रिश्ता और मजबूत करने के लिए जेडीयू और टीडीपी में से भी एक दो नेताओं को भी राज्यपाल बनाया जा सकता है। कार्यकाल समाप्ति के हिसाब से तो राज्यपालों की सूची कभी भी आ सकती है, लेकिन बदले हालात में देरी होती दिख रही है।

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