- कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा चुनाव प्रचार में लगा रहे हैं जान
- सभी सातों सीटों पर कर रहे हैं प्रचार
Rajasthan News | Congress | अजीत मेंदोला | जयपुर। उप चुनाव के प्रचार के अंतिम दौर में पहुंचने पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara) ने सभी सीटों पर मोर्चा संभाल लिया है। वह लगातार कोशिश कर रहे हैं कि अधिक से अधिक रैलियां कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया जाए, लेकिन पार्टी के लिए इस बार राह बहुत आसान नहीं दिखाई दे रही है।
अब जो रिपोर्ट आ रही हैं, उसमें दौसा और रामगढ़ में ही कांग्रेस मुकाबले में बताई जा रही है। अन्य सभी सीटें फंसी हुई है। खींवसर में तो कांग्रेस तीसरे नंबर पर जाती हुई दिखाई दे रही है। वहां पर भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी में कड़ी टक्कर नजर आ रही है।
खींवसर में यह पहला मौका होगा जब आरएलपी मुखिया हनुमान बेनीवाल फंसे हुए हैं। यहां से उनकी पत्नी कनिका बेनीवाल चुनाव मैदान में है। भाजपा यदि इस सीट को जीतती है तो कांग्रेस खुश हो सकती।
दरअसल, बेनीवाल ने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से गठबंधन कर नागौर से सांसद का चुनाव जीता था और बाद में कांग्रेस को ही आंख दिखाने लगे। कांग्रेस की जीत यहां पर बेनीवाल की पत्नी की हार में है। कांग्रेसी खींवसर पर बहुत ध्यान दे भी नहीं रहे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा को छोड़ कोई भी बड़ा नेता वहां प्रचार में नहीं जा रहा है। हालांकि डोटासरा प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते सभी सीटों पर पूरी ताकत लगा रहे हैं। शुक्रवार को भी उन्होंने कई जगह प्रचार किया।
गहलोत हैं महाराष्ट्र के दौरे पर
जबकि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रचार की शुरुआत में कुछ रैलियां की। उसके बाद वह मुंबई चले गए। गहलोत को महाराष्ट्र में वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई। जहां तक बाकी नेताओं का सवाल है तो राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने अभी दौसा में ही एक रैली की है, बाकी प्रचार के बचे हुए शेष दिनों में झुन्झुनू और देवली उनियारा जा सकते हैं। इन दोनों सीटों पर उनके करीबी माने जाने वाले चुनाव लड़ रहे हैं।
दोनों सीटों पर कांग्रेस मुश्किल में फंसी हुई है। वहीं, राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र सिंह शुक्रवार को रामगढ़ की चुनावी रैली में पहुंचे। रामगढ़ अलवर संसदीय चुनावी क्षेत्र की सीट है। जितेंद्र इस सीट पर राजनीति करते हैं। पार्टी के नेताओं ने सबसे ज्यादा रामगढ़ पर ही फोकस किया है।
प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा समेत कई नेताओं ने रैली को संबोधित कर जीत का दावा किया। विधानसभा चुनाव के समय रामगढ़ सीट से कांग्रेस के जुबैर खान चुनाव जीते थे। बाद में बीमारी के चलते उनका निधन हो गया। पार्टी ने उनके बेटे आर्यन जुबेर खान को टिकट दिया है।
पार्टी उम्मीद कर रही है कि सहानुभूति के चलते यह सीट वह आसानी से जीत लेंगे। इस सीट की जिम्मेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र राठौड़ को दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत महाराष्ट्र में व्यस्त होने के चलते उनके बेटे वैभव गहलोत भी यहां प्रचार में आए। कांग्रेस उम्मीद तो कर रही है, लेकिन हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो कांग्रेस मुश्किल में आ जाएगी।
राहुल का लेख बन चुका है भाजपा के लिए मुद्दा
इधर, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के एक लेख और उनकी आरक्षण की नीति से अगड़ी जाती कांग्रेस से छिटक सकती है। राहुल के राजपूतों पर की गई टिप्पणी को भाजपा मुद्दा भी बना चुकी है। बाकी राहुल जिस तरह से अभी भी संविधान खतरे में है और आरक्षण बढ़ाएंगे को मुद्दा बनाए हुए हैं, उससे कांग्रेस को इस बार नुकसान हो सकता है।
डोटासरा जानते हैं कि पार्टी अगर अपनी जीती हुई सीट भी वापस नहीं ला पाती है तो उनके नेतृत्व पर विरोधी सवाल उठाएंगे। इसलिए डोटासरा प्रचार में कोई कमी नहीं रख रहे हैं। कांग्रेस अगर हारती है तो उसमें काफी हद तक चुनाव जीते सासंदों और आपसी गुटबाजी का हाथ होगा।
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