- मंत्रियों की भी खुली पोल
- फिलहाल लटकेगा किरोड़ी के इस्तीफे का मामला
Rajasthan News | अजीत मेंदोला | जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार का पहला पूर्णकालिक बजट विधानसभा में तो पारित हो गया, लेकिन पार्टी के भीतर चल रही खींचतान और मंत्रियों की कमजोरी जगजाहिर हो गई। हालांकि बजट सत्र इस माह के आखिर तक है, लेकिन अब तक की सदन की कार्रवाई से साफ हो गया है कि विपक्ष कहीं ना कहीं सरकार पर हावी रहा है और आगे भी हावी बना रहेगा। इसका बड़ा कारण यह है कि मंत्री ठीक से सवालों का जवाब भी नहीं दे पा रहे हैं।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री दिया कुमारी के बीच हुई खींचतान साफ दिखाई दी। दोनों नेताओं के बीच आपसी खींचतान की खबरें तो चर्चा में थी ही, बजट के दौरान घटित छोटी—छोटी घटनाओं ने खींचतान को सार्वजनिक उजागर कर दिया।बजट की प्रेसवार्ता ने पूरी कहानी बता दी।
दोनों साथ दिखे जरूर, लेकिन वे साथ नहीं थे। साथ ही दो मंत्रियों ने सरकार की परेशानी बढ़ाने में कोई कमी नहीं रखी। इनमें एक हैं किरोड़ीलाल मीणा और दूसरे हैं शिक्षा मंत्री मदन दिलावर। आलाकमान ने समय रहते हुए सरकार और संगठन का पुनर्गठन नहीं किया तो बीजेपी कमजोर होती जाएगी। हालांकि विपक्ष के नेता के रूप में टीकाराम जूली ने खुद को सदन में सफल नेता के रूप में स्थापित करने में सफलता पाई।
दिलावर मंत्री बनने के बाद से दे रहे हैं विवादास्पद बयान
दिलावर जब से मंत्री बने हैं तब से विवादास्पद बयान देने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। उनके आदिवादियों पर दिए बयान ने पार्टी को ही मुसीबत में डाल रखा है। हालात यह है कि सदन में जब भी दिलावर किसी सवाल का जवाब देने लगते हैं या कोई बात कहने लगते हैं तो विपक्ष नारेबाजी शुरू कर देता है।
इनके बाद दूसरे मंत्री किरोड़ी लाल मीणा हैं, जिन्होंने ‘प्राण जाए पर वचन ना जाए वाली प्रतिज्ञा’ निभाते हुए अपने मंत्री पद से इस्तीफा देकर पार्टी को परेशानी में डाल दिया। उन्होंने इस्तीफा देकर पार्टी को दबाव में लाने की कोशिश की है, लेकिन लगता है कि वह खुद ही फंस गए हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से 5 जुलाई को हुई मीटिंग के बाद किरोड़ी ने बताया था कि उन्हें 10 दिन का समय दिया गया है। वह समय सीमा बीत चुकी है।
किरोड़ी ने भाई के लिए की दबाव की राजनीति…!
अब ये जगजाहिर हो गया है कि किरोड़ीलाल मीणा ने अपने भाई जगमोहन के लिए दबाव की राजनीति की, लेकिन सफल नहीं हुए।आलाकमान जानता है कि किरोड़ी को खाली नहीं छोड़ा जा सकता है। सरकार में मंत्री बनाए रखा गया तो भी आए दिन कोई ना कोई विवाद होगा।
ऐसे में अब दो चर्चा चल रही है, जिसमें एक है कि किरोड़ी को राज्यपाल बनाकर उनकी जगह पर उनके भाई को टिकट दिया जाएगा। साथ ही दूसरी चर्चा पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की है। पार्टी को सीपी जोशी की जगह नया अध्यक्ष जल्द ही नियुक्त करना है। उम्र के हिसाब से किरोड़ी के लिए राज्यपाल का पद सटीक बैठता है। ऐसे में सुनने में आया है कि उसके लिए भी मोल—तोल चल रहा है।
लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन रहा कमजोर
लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा है। इसके चलते पार्टी में पहले से ही तनाव बना हुआ है। ऐसे में किरोड़ी और दिलावर जैसे मंत्रियों ने अपनी सरकार की परेशानी बढ़ाई हुई है। बीजेपी के सामने अभी खाली हुई पांच सीट जीतने की भी चुनौती है। इनमें दौसा, चौरासी, झुन्झुनू, देवली उनियारा और खींवसर सीट लोकसभा चुनाव के चलते खाली हुई हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा इन सभी सीट पर हारी थी।
अब उपचुनाव में भाजपा की कोशिश कम से कम तीन सीट जीतने की होगी। समझा जा रहा है कि इस साल के आखिर में होने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के समय ही इन सीट पर उप चुनाव हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो फिर राजस्थान सरकार का पुनर्गठन और किरोड़ी का फैसला भी तब तक लटक जाएगा।
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