- 31 मार्च तक अंतरिम जमानत
- स्वास्थ्य कारणों से दी गई बेल
Asaram News, (आज समाज), जयपुर: राजस्थान हाई कोर्ट ने 2013 के दुष्कर्म मामले में जेल में बंद स्वयंभू संत आसाराम को अंतरिम जमानत दी है। एक हफ्ता पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक अन्य दुष्कर्म मामले में चिकित्सा आधार पर 31 मार्च, 2025 तक अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद हाई कोर्ट ने भी उसे स्वास्थ्य कारणों के आधार पर मंगलवार को जमानत दी। पुलिस ने आज बताया कि जमानत मिलने के बाद 86 वर्षीय आसाराम (Asaram) जोधपुर के पाल गांव स्थित अपने आश्रम लौटा है।
आसाराम के अनुयायियों ने जोरदार किया
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आसाराम बीते कुछ दिन से जोधपुर के एक आयुर्वेदिक अस्पताल में पैरोल पर दाखिल था। जमानत मिलने के बाद मंगलवार देर रात जब वह अस्पताल से अपने आश्रम के लिए निकला तो दोनों जगह (अस्पताल और आश्रम के बाहर) उसके अनुयायियों की भारी भीड़ जमा दी। अनुयायियों ने अस्पताल के बाहर माला पहनाकर आसाराम का स्वागत किया। आश्रम में भी आसाराम के अनुयायियों ने उसका शानदार स्वागत किया।
2013 में गिरफ्तारी के बाद पहली बाहर बाहर आया
आसाराम के वकीलों ने बताया कि हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और विनीत कुमार माथुर की पीठ ने चिकित्सा आधार पर सजा के अस्थायी निलंबन (SOS) की अनुमति दी है। ऐसा पहली बार होगा जब 12 साल पहले 2013 में गिरफ्तारी के बाद से आसाराम जमानत पर बाहर आया है।
इलाज के दौरान माननी होंगी शर्तें
आसाराम के वकील निशांत बोरा ने बताया कि विशेष परिस्थितियों के मद्देनजर उनके मुवक्किल को जमानत दी गई है, ताकि वह बीमारी का इलाज करा सके। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अन्य मामले में दिए गए जमानती आदेश में कहा गया है कि आसाराम विभिन्न रोगों से ग्रस्त है और उसे विशेष इलाज की जरूरत है। अदालत ने कहा है कि आसाराम अपनी पसंद की जगह पर उपचार करवा सकता है। इस दौरान उसे जमानत की शर्तों को मानना होगा।
2018 में आजीवन कारावास की सजा
बता दें कि जोधपुर के एक लोअर कोर्ट ने 2018 में आसाराम को एक केस में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उसके ऊपर आरोप था कि उसने अपने आश्रम में एक नाबालिग से दुष्कर्म किया था। अदालत ने इस केस को दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में रखते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 31 मार्च को मामले की अगली सुनवाई के दौरान अदालत आसाराम की जमानत अवधि पर पुनर्विचार करेगी।
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