Rajasthan By-Elections, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: राजस्थान की सात सीटों पर होने वाले उप चुनाव भाजपा के लिए तो अहम हैं ही, लेकिन कांग्रेस की भी बड़ी परीक्षा होगी। खास तौर पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की। डोटासरा कांग्रेस के ऐसे प्रदेश अध्यक्ष हैं, जिन्होंने दूसरे प्रदेश अध्यक्षों के मुकाबले अपने कार्यकाल में हुए विधानसभा और लोकसभा के परिणामों से सभी को चौंकाया।
विधानसभा चुनाव के समय जब केंद्रीय नेतृत्व भी यह मान रहा था 30 से 40 सीट आएगी, तब कांग्रेस ने 70 सीट ला कर विरोधियों का मुंह बंद किया था। इसमें डोटासरा की अहम भूमिका थी। जाट समाज से आने वाले डोटासरा ने अपनी जाति का वोट बंटने नहीं दिया। यदि विधानसभा चुनाव में गुर्जर और मीणा समुदाय ने कांग्रेस को वोट किया होता तो परिणाम उल्ट ही आते। अशोक गहलोत अपनी सरकार रिपीट करने में सफल हो जाते, लेकिन इन दो जातियों ने कांग्रेस से दूरी बनाई।
केंद्रीय नेतृत्व का व्यवहार भी ठीक नहीं था। अपनी सरकार के खिलाफ चुनाव से कुछ समय पहले मोर्चा खोलने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट को केंद्रीय नेतृत्व ने ठीक से मैनेज किया होता तो रिजल्ट कुछ अलग ही आते। खैर इसके बाद डोटासरा की अगुवाई में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को 11 सीटों पर पटखनी देकर बड़ा उलटफेर कर डाला। जबकि उस समय कोई ये मानने को तैयार नहीं था कि राजस्थान में 11 सीट आएगी।कांग्रेस ने शानदार ढंग से सोशल इंजिनियरिंग को साधा। जाट, मीणा, दलित, पिछड़ों के वोटर्स पर फोकस कर भाजपा को 11 सीटों पर हरा दिया।
डोटासरा ने जाट बाहुल्य इलाकों को अपने तरीके से हैंडल कर अपने संसदीय क्षेत्र की सीकर सीट गठबंधन में माकपा के अमराराम को देकर बड़ा दांव चला। वहीं, भाजपा से नाराज राहुल कस्वां को कांग्रेस में शामिल करवा चुरु से टिकट दिलवाया। इसका असर यह हुआ कि कांग्रेस ने शेखावाटी की सभी सीटें तो जीती, उसके साथ ही इसका असर नागौर और बाड़मेर पर भी पड़ा। इन सभी सीटों पर भाजपा की हार हुई।
डोटासरा प्रदेश में ऐसे अकेले नेता हैं, जो संघ और बीजेपी पर सीधे हमले से नहीं चुकते है। जबकि बाकी नेता सावधानी बरतते हैं।इसका उन्हें इनाम यह मिला कि पहला कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी राहुल गांधी ने उन्हें बरकार रखा। डोटासरा ने 2020 में ऐसे समय पार्टी की कमान संभाली थी, जब सचिन पायलट ने बगावत कर सरकार गिराने की कोशिश की थी।पार्टी ने सचिन को हटा डोटासरा को अध्यक्ष बनाया था।
तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ पार्टी को संभाला। विधानसभा में उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया तो 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के बाद भाजपा को बड़ा नुकसान राजस्थान में पहुंचाया। सीटों की संख्या की लिहाज से देखें तो राजस्थान में कांग्रेस ने आधी सीट के बराबर भाजपा का नुकसान किया। सचिन की अगुवाई में पार्टी 2014 और 2019 में लोकसभा की एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।हालांकि हरियाणा की जीत के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए भी उप चुनाव की राह बहुत आसान नहीं है, लेकिन विशेष बातचीत में डोटासरा के तेवरों में कोई कमी नहीं आई है।
डोटासरा कहते हैं सात सीटों में से बीजेपी को शून्य सीट मिलेगी।कांग्रेस सभी सीटें जीतेगी। बातचीत में डोटासरा उप चुनाव की जीत की कई वजह गिनाते हैं। कहते हैं कि बीते 11 माह में भाजपा सरकार ने केवल और केवल कांग्रेस को कोसने और उनकी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को बंद किया। भाजपा की ये सरकार पर्ची सरकार है। दिल्ली से पर्ची आती है, तब काम होते हैं। इससे बीजेपी के मंत्री, नेता सब निराश हैं। आम जन में तो भारी रोष है।भाजपा ने विधानसभा चुनाव में झूठ बोल ध्रुवीकरण की राजनीति की थी। जनता को 6 माह में जैसे ही अहसास हुआ तो लोकसभा में बीजेपी को सबक सिखा दिया।
राजस्थान ने बीजेपी को लोकसभा में बहुमत से रोकने में अहम भूमिका निभाई। उत्तर प्रदेश और राजस्थान की 40 सीट आती हैं।बीजेपी को इन्हीं दोनों राज्यों से ज्यादा उम्मीद कर रही थी। हिंदी बेल्ट वाले इन प्रमुख राज्यों ने भाजपा को बहुमत से रोकने में अहम भूमिका निभाई। डोटासरा कहते हैं कि भाजपा की ये मौजूदा सरकार यू-टर्न वाली भी है। सरकार के 10 महीने के कार्यकाल और अंतर्कलह से जनता परेशान है।गुटबाजी के चलते स्थिति यह है कि भाजपा सरकार का आदेश 24 घंटे भी नहीं चलता।
अकेले शिक्षा विभाग में कई आदेशों पर सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा है। डोटासरा बताते हैं कि भाजपा के कुशासन से किसान परेशान है। भाजपा ने पहले साल में 1 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन कोई भर्ती नहीं निकल रही, इससे युवा भी परेशान हैं। बीजेपी ने कानून व्यवस्था को मुद्दा बना हमारी सरकार की छवि खराब की थी, लेकिन आज प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। मुख्यमंत्री का गृह जिला भरतपुर ही महिला अपराध में टॉप पर है।
कांग्रेस की गुटबाजी पर डोटासरा कहते हैं कि अब कोई गुटबाजी नहीं है। सभी कांग्रेसी मिलकर सोनिया गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के हाथ मजबूत कर रहे हैं। ये पूछे जाने पर कि लोकसभा वाला गठबंधन क्या अब भी रहेगा? इस पर डोटासरा कहते हैं कि आलाकमान इसका फैसला करेगा।
जिन सीटों पर चुनाव होगा उनमें दौसा, झुंझुनू, देवली उनियारा के हमारे विधायक लोकसभा के लिए चुन लिए गए। ये सीट हम ही जीतेंगे। रामगढ़ में कांग्रेसी विधायक जुबेर खान के निधन के चलते चुनाव हो रहा है। यह सीट भी कांग्रेस जीतेगी। आप चौरासी और खींवसर सहयोगी दलों के पास है। देखते हैं समझौता होता है तो अच्छी बात है। सलूंबर सीट बीजेपी विधायक के निधन से खाली हुई है।बीजेपी सरकार के निराशाजनक कामकाज के चलते ये सीट भी हम जीत रहे है।
हरियाणा की जीत से बीजेपी उत्साहित है। इस पर डोटासरा कहते हैं कि इससे राजस्थान पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। पार्टी वहां पर क्यों हारी, इसके लिए लिए आलाकमान ने जांच बिठा दी है, लेकिन राजस्थान में परिस्थिति अलग है। यहां जनता निराश है। इस बार वह किसी के बहकावे में नहीं आने वाली है और कांग्रेस को ही वोट करेगी। जिससे प्रदेश सरकार दबाव में जनहित के फैसले करे।
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