Rajasthan CM Bhajanlal Sharma, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा धीरे-धीरे आलाकमान के भरोसे पर खरे उतरते जा रहे हैं। कांग्रेस ने भी सीएम शर्मा के फैसलों को देखते हुए अब उनकी सरकार को पर्ची वाली सरकार कहना छोड़ उन्हें गंभीरता से चुनौती शुरू कर दी है।
दिग्गजों को साइड कर किया था चौंकाने वाला फैसला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय अमित शाह ने पिछले साल दिग्गजों को साइड कर शर्मा को मुख्यमंत्री बना चौंकाने वाला फैसला किया था। तब बड़े सवाल भी उठे थे, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है। सवाल उठने बंद हो गए हैं। शर्मा अपने व्यवहार और कड़े फैसलों के चलते अपनी अलग पहचान बनाने में सफल होते दिख रहे हैं।
शर्मा अपने फैसलों के दम पर बनते जा रहे चुनौती
बीते एक साल में सीएम शर्मा ने सबसे कम अनुभवीं होने का टैग अपने ऊपर से हटाने में सफलता पाई है। शर्मा अपने फैसलों के दम पर धीरे-धीरे पूर्व के मुख्यमंत्रियों के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। अपनी पार्टी के भीतर तो उन्होने चुनौती देने वाले नेताओं को ताकत का अहसास तो कराया ही साथ ही विपक्ष को भी जता दिया कि वह फ्लावर नहीं है, इसलिए कांग्रेस अब पर्ची वाली सरकार कहने के बजाए मुख्यमंत्री शर्मा को गंभीरता से ले हर फैसले को चुनौती देने लगी है।
धीरे-धीरे सरकार और संगठन पर पकड़ बनाई
मुख्यमंत्री शर्मा शुरू के 6 माह तो पार्टी के अंदर और बाहर से मिल रही चुनौतियों से ही निपटते रहे। कांग्रेस ने भी उन्हें हल्के में ले पर्ची वाली सरकार कहना शुरू किया हुआ था। लोकसभा चुनाव परिणामों से लगा कि शर्मा पार्टी के भीतर और बाहर दोनों तरफ से घिर गए हैं, लेकिन आलाकमान ने उन पर भरोसा जता ताकत दी। इसके बाद सीएम शर्मा ने धीरे-धीरे सरकार और संगठन पर अपनी पकड़ बनानी शुरू की। वहीं विपक्ष को भी साधा।
पहले ही साल राइजिंग राजस्थान का फैसला
पहले ही साल में राइजिंग राजस्थान करने का फैसला कर देश विदेश से निवेशक जुटाए। प्रधानमंत्री मोदी खुद कार्यक्रम में शामिल हुए और सीएम शर्मा की पीठ थपथपाई। संदेश साफ था कि शर्मा कहीं नहीं जाने वाले हैं। पार्टी के भीतर उनके विरोधियों के लिए यह पहला तगड़ा झटका था। इसके दो दिन बाद ही सरकार के एक साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित हुए कार्यक्रम में पीएम मोदी शामिल होने जयपुर पहुंचे तो सीधा संदेश था शर्मा शानदार काम कर रहे हैं।
शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का बड़ा संदेश
पीएम के संदेश से विरोधी चित्त हो चुके थे। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने पार्वती, काली सिंध और चंबल नदियों को जोड़ने वाली परियोजना की नींव रखी। यह ऐसी परियोजना होगी जो इतिहास बनाएगी। मुख्यमंत्री शर्मा को इसका श्रेय जाएगा कि उनके पहले ही कार्यकाल में नदियों को जोड़ने जैसी परियोजना की शुरूआत हुई। पहले ही साल में उनके लिए यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। पूरे राज्य को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का यह बड़ा संदेश होगा।
9 जिलों और 3 मंडलों को खत्म करने का बड़ा निर्णय
प्रधानमंत्री मोदी की हर घर जल जैसी योजना को तो ताकत मिलेगी। यही नहीं दूसरे राज्य भी परियोजना से प्रभावित हो नदियों को जोड़ने की योजना को तेजी से आगे बढ़ाने में जुट गए हैं। जल्द ही उत्तर प्रदेश में भी इस तरह की परियोजना सामने आएगी। मुख्यमंत्री शर्मा अपने हिस्से में दो उपलब्धियों को लेकर चर्चा में तो आए ही, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा 9 जिलों और 3 मंडलों को खत्म करने के फैसले ने ला दी।
सीएम के फैसले से विपक्ष भी हैरान-परेशान
सीएम के फैसले से विपक्ष भी हैरान और परेशान हुआ, क्योंकि आम जन में कोई विशेष प्रक्रिया हुई नहीं। मामला ज्यादा तूल पकड़ता दिखा भी नहीं। कांग्रेस को उम्मीद नहीं थी कि सीएम शर्मा इस तरह का कड़ा फैसला कर उन्हें सीधी चुनौती देंगे। लेकिन शर्मा ने चौंकाने वाला फैसला कर संदेश दे दिया कि कांग्रेस के समय किए गए फैसलों में कमी पाई गई तो वह पलटने ों देरी नहीं लगाएंगे।
अंग्रेजी स्कूलों को निशाने पर लिया
शुरूआत जिलों को रद्द करने से की। जब तक कांग्रेस मामले को ज्यादा तूल देती महात्मा गांधी के नाम पर खोले गए अंग्रेजी स्कूलों को निशाने पर ले लिया। पिछली कांग्रेस सरकार ने पूरे राज्य में महात्मा गांधी के नाम पर बड़ी संख्या में अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूल खोले थे। चुनाव में भी स्कूलों का जमकर प्रचार किया गया था।
कांग्रेस सरकार ने अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर सिर्फ बोर्ड लगाए
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का कहना है कांग्रेस सरकार ने अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर सिर्फ बोर्ड लगाए और बच्चों के माता पिता के साथ छलावा किया। इन स्कूलों को खोलने के नाम सिर्फ भ्रष्टाचार हुआ। इसलिए इनकी समीक्षा कर इन पर फैसला किया जाएगा। हालांकि सरकार के इस फैसले के सामने आते ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फैसले की कड़ी आलोचना की है।
कमजोर छवि से बाहर निकलते भी दिख रहे भजनलाल
राजनीति से प्रभावित फैसला बताया। कांग्रेस शासन के कई फैसलों को पलट मुख्यमंत्री शर्मा फिलहाल अपनी कमजोर छवि से बाहर निकलते हुए दिख भी रहे हैं। जानकार भी मानने लगे हैं कि शर्मा अब कमजोर नहीं बल्कि सूझबूझ से फैसले करने वाले सीएम साबित हो रहे हैं। ये बीजेपी आलाकमान के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि शर्मा को जब सीएम बनाया गया था तो आलाकमान को भी आलोचना का सामना करना पड़ा था।
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