Rajasthan Budget Session, अजीत मेंदोला, जयपुर: राजस्थान में चल रहे बजट सत्र में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने एक बार फिर साबित किया कि पार्टी ने उन पर क्यों भरोसा किया है। उन्होंने अपनी सूझबूझ से सदन में चल रहे लंबे गतिरोध को खत्म कर दिया तो वहीं विपक्ष को भी हावी नहीं होने दिया। बजट सत्र अब अपने अंतिम चरण की तरफ है। विपक्ष ने कई मुद्दों पर सरकार के खिलाफ आवाज उठाई। सदन के बाहर और अंदर भी धरना दिया , लेकिन मुख्यमंत्री शर्मा ने स्थिति को खुद संभाल मामले को लंबा नहीं चलने दिया।

विधानसभा अध्यक्ष ने कड़क ‘हेडमास्टर’ का रोल निभाया

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी विपक्षी सदस्यों के व्यवहार से आहत जरूर हुए, लेकिन वह कड़क ‘हेडमास्टर’ बन दोनों तरफ के सदस्यों को हिदायत देने से भी नहीं चूके। दरअसल, मुख्यमंत्री शर्मा सरकार का यह दूसरा बजट सत्र है और इसमें गौर करने वाली बात यह है कि सदन में दोनों तरफ कमान संभालने वाले चेहरे एक दम नए हैं। भजनलाल शर्मा तो पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो कार्यकर्ता से सीधे राज्य के उच्च पद पर बैठे।

पहली बार विधायक बने और मुख्यमंत्री भी पहली दफा बने

पहली बार विधायक बने और मुख्यमंत्री भी। लगभग सवा साल पहले शर्मा जब मुख्यमंत्री चुने गए थे तो तमाम तरह के सवाल और आशंकाएं थी।पार्टी के अंदर और और बाहर उनके विरोधी पहले दिन से ही उन्हें असफल सीएम का तमगा देने में जुटे थे। विपक्ष पर्ची वाली सरकार कहता था। अपने मंत्री ही परेशानी खड़ी कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री शर्मा विचलित हुए बिना अपने काम पर जुटे और एक साल के अंदर ही विरोधियों पर हावी हो केंद्र को बता दिया कि वह भरोसे पर खरा उतरेंगे। वह काफी हद तक खरा भी उतरे हैं।

विपक्ष में टीकाराम जूली को पहली बार अहम जिम्मेदारी

उधर, विपक्ष में टीकाराम जूली को पहली बार अहम जिम्मेदारी मिली थी। उनको लेकर भी तमाम सवाल खड़े हुए थे। जूली को भी कमजोर प्रतिपक्ष का नेता माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने भी अपनी कार्यप्रणाली से साबित किया कि वह कमजोर नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने समयझ्रसमय पर उनका मार्गदर्शन किया। हालांकि सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री शर्मा ने खुद मोर्चा संभाल अपनी नई और युवा टीम के साथ सूझबूझ से विपक्ष को हावी नहीं होने दिया।

किरोड़ी के बयान से मचा बवाल

दरअसल, सत्र की शुरूआत के दौरान ही वरिष्ठ मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के फोन टेपिंग वाले बयान ने विपक्ष को बड़ा मुद्दा दे दिया था। सत्र की शुरूआत में भारी हंगामा हो गया। राज्यपाल के अभिभाषण पर विपक्ष ने चर्चा में भाग नहीं लिया। यहां तक की विपक्ष के नेता टीकाराम जूली भी चर्चा में नहीं बोल पाए। ऐसा लगा कि कांग्रेस को बड़ा मुद्दा मिल गया, लेकिन मुख्यमंत्री शर्मा को जब सदन में बोलने का मौका मिला तो उन्होंने कांग्रेस को उनके शासन में हुए फोन टेपिंग का मामला उठा कांग्रेस को बेकफुट पर ला दिया।

कांग्रेस को समझ में आ गया कि मामला लंबा नहीं खींचा जा सकता है। इसलिए मंत्री के जवाब से संतुष्ट हो कांग्रेस ने मुद्दे को वापस लिया। मंत्री किरोड़ी चुप नहीं बैठे और उन्होंने फिर बोला, लेकिन अब उनके बयानों को न तो सरकार और ना ही विपक्ष महत्व दे रहा है। हो सकता है भविष्य में होने वाले फेरबदल में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया जाए।

किरोड़ी को कांग्रेस नहीं देगी समर्थन, वसुंधरा गुट भी नहीं

किरोड़ी को न तो कांग्रेस समर्थन देने वाली है और ना ही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का गुट साथ देगा, क्योंकि किरोड़ी ने हर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सब मुख्यमंत्रियों को परेशान किया।पहली बार किरोड़ी ने गलत जगह टकराव मोल ले अपने को संकट में डाल दिया है। सीएम शर्मा चुप रहकर किरोड़ी को पूरी तरह से अलगझ्रथलग कर चुके हैं। दिल्ली उनका खुलकर साथ दे रहा है। संघ उनके काम से पहले से प्रभावित है।

दूसरा बजट भी माना जा रहा है प्रभावशाली

शर्मा सरकार का दूसरा बजट भी प्रभावशाली माना जा रहा है। वित्त मंत्री दिया कुमारी ने सरकार का पहले पूर्णकालिक बजट से संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी जो कहती है, उसे अमल में लाती है। आमजन से लेकर खास सब के लिए बजट में कुछ ना कुछ घोषणा की गई है। सफल राइजिंग राजस्थान का आयोजन कर मुख्यमंत्री शर्मा ने बता दिया था कि राज्य को विकसित प्रदेश बनाने के लिए कृत संकल्प हैं। बजट में उसकी छाप दिखी भी। पीने के पानी के समाधान के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का उद्घाटन पहले ही करा सीएम बड़ी उपलब्धि हासिल कर चुके थे। रिफाइनरी को लेकर अभी भ्रम बना है। इसलिए पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने रिफाइनरी को लेकर सवाल उठाए हैं। समझा जा रहा है कि मुख्यमंत्री शर्मा दिल्ली से बात कर जल्द काम में तेजी लाएंगे।

अविनाश गहलोत को जरूरत नहीं थी इंदिरा पर बयान देने की

बजट के बाद चर्चा के दौरान सरकार के मंत्री अविनाश गहलोत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संबंध में ऐसा बयान दे दिया जिसकी जरूरत ही नहीं थी। मंत्रियों को अपने सीएम शर्मा से सीखना चाहिए कि बेवजह के बयानों के बजाए अपने काम से विपक्ष को जवाब दो। कुछ मंत्री सदन के अंदर व बाहर बिना मतलब की बयानबाजी कर सरकार के लिए परेशानी खड़ी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मंत्री गहलोत ने अपने बयान में इंदिरा गांधी को कांग्रेस की दादी बोल बिना मतलब बवाल खड़ा कर दिया।

ठीक ठाक चल रहे बजट सत्र में विपक्ष को फिर मिला मौका

ठीक ठाक चल रहे बजट सत्र में विपक्ष को फिर मौका मिल गया। इसके बाद बजट चर्चा के दौरान सात दिन तक विपक्ष विरोध दर्ज कराता रहा। हालांकि विपक्ष ने भी स्पीकर को लेकर अमर्यादित बयानबाजी कर सदन का माहौल और खराब कर दिया।स्पीकर पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने की थी। जब सात दिन तक कोई रास्ता नहीं निकला तो आखिरकार मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने दखल दे बड़ा दिल दिखाया और सुलह करा सदन का गतिरोध को खत्म किया। स्पीकर देवनानी बजट सत्र को इस माह के आखिर तक चलाना चाहते हैं, लेकिन लगता नहीं है कि सत्र पूरे माह चलेगा। अगली कार्य सलाहकार समिति की बैठक में यह साफ हो जाएगा कि सत्र कब तक चलेगा, लेकिन अब तक के सत्र ने मुख्यमंत्री शर्मा की छवि को और मजबूत किया है।

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