Rajasthan By-Election Result : उप चुनाव के नतीजों से भजनलाल और मदन राठौड़ को मिली ताकत

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Rajasthan By-Election Result : उप चुनाव के नतीजों से भजनलाल और मदन राठौड़ को मिली ताकत
Rajasthan By-Election Result : उप चुनाव के नतीजों से भजनलाल और मदन राठौड़ को मिली ताकत
  • किरोड़ी, बेनीवाल और ओला हुए फेल
  • कांग्रेस को ले डूबी गुटबाजी और सांसदों की जिद्द

Rajasthan By-Election Result | अजीत मेंदोला। जयपुर। प्रदेश में उप चुनाव के परिणाम बेहद रोचक रहे। इन परिणामों ने जहां मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को ताकत दी है तो कई दिग्गजों के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

भजनलाल सरकार में मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के साथ ही आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सांसद बृजेंद्र ओला में राजनीतिक भविष्य पर अटकलें लगना शुरू हो चुकी है। तीनों नेताओं का अपनी-अपनी सीट पर एकाधिकार माना जाता था, जिसे उप चुनाव के परिणामों ने तोड़ कर रख दिया।

दौसा से किरोड़ी के भाई जगमोहन मीणा हार गए। खींवसर में बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल नहीं जीत सकी। झुंझुनू में बृजेन्द्र ओला के बेटे अमित ओला को करारी हार का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस के लिए उपचुनाव के नतीजे निराशाजनक रहे

यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस के लिए उप चुनाव के नतीजे बहुत ही निराशाजनक रहे। आपसी खींचतान के चलते पहले से ही तय माना जा रहा था कि कांग्रेस की दुर्गति होगी और हुआ भी वही। सांसदों की जिद और एक-दूसरे को कमजोर करने की आदत ने नुकसान पहुंचाया।

हालांकि प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कोशिश की थी कि किसी तरह से बात बन जाए, लेकिन बनी नहीं। वहीं, लोकसभा में 9 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस ने मान लिया था कि माहौल बन गया है। विधायक से सांसद बने हरीश मीणा ने देवली-उनियारा में जिद्द कर कमजोर उम्मीदवार को टिकट दिलवाया।

इसी तरह झुंझुनू में बृजेन्द्र ओला ने अपने बेटे अमित ओला को टिकट दिलवाया। इससे दूसरे नेता नाराज हो गए। दौसा से सांसद बने मुरारी लाल मीणा ने भी खेल किया, लेकिन किरोड़ी लाल मीणा अपने जाल में खुद फंस गए। किरोड़ी को लगा कि वह अपने भाई को जितवा लेंगे। इस चक्कर में उनकी बिरादरी से लेकर दूसरे लोग भी नाराज हो गए।

परिवारवाद की राजनीति को जनता ने नकार दिया। इस चक्कर में जगमोहन मीणा हार गए। दौसा की एक मात्र सीट से कांग्रेस ने अपनी लाज बचाई। रामगढ़ में कांग्रेस ने अच्छी टक्कर दी, लेकिन उत्तर प्रदेश के सीएम योगी के ‘बटोगे तो कटोगे’ का असर रामगढ़ पर भी पड़ा और कांग्रेस हार गई। भाजपा ने जाट बाहुल्य झुंझुन और खींवसर जीत एक तरह से जाटों को राजी कर लिया।

विधानसभा और लोकसभा चुनावों में जाटों की नाराजगी के चलते भाजपा को नुकसान हुआ था। भारत आदिवासी पार्टी ने चौरासी जीतकर अपना गढ़ बचा लिया। लेकिन, सलूंबर में भाजपा को कड़ी चुनौती देकर संकेत दे दिए कि आदिवासी इलाकों में वह धीरे—धीरे जगह बनाने लगी है। भाजपा सलूंबर सीट को बहुत कम अंतर से जीत पाई है।

राजे-राठौड़ जैसे नेता भी चले जाएंगे हाशिए पर

भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सलूंबर की जीती हुए एक सीट फिर से जीत ली। वहीं, विपक्ष से चार सीटें छीन भी ली है। इस बार 7 में से 5 पर जीत हासिल कर भाजपा ने विधानसभा में भी अपनी संख्या बढ़ा ली है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की जोड़ी की यह पहली बड़ी उपलब्धि है। इनके साथ सतीश पूनिया का भी पार्टी में कद बढ़ा है।

पूनिया जिन सीटों पर प्रचार के लिए गए पार्टी ने जीत हासिल की। राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी ने उन्हें ओर बढ़ी जिम्मेदारी दे दी। इस जीत के बाद पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया, राजेंद्र राठौड़ जैसे नेता हाशिए पर चले जाएंगे।

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