Himachal Weather (आज समाज), शिमला : हिमाचल प्रदेश में हर साल की तरह इस बार भी मानसून सीजन में होने वाली बारिश अब प्राकृतिक आपदा का रूप धारण करते जा रही है। प्रदेश में लगातार बारिश होने से जहां सरकारी व निजी संपत्ति की हानि हो रही है वहीं अब जनहानि भी व्यापक रूप में हो रही है।
31 जुलाई को हुई बादल फटने की घटना से लापता लोगों में कई का अभी तक सुराग नहीं मिला है वहीं अब प्रदेश के कई जिले बाढ़ की जद में आ चुके हैं। दूसरी तरफ मौसम विभाग ने अगले एक सप्ताह के लिए बारिश का येलो अलर्ट जारी कर दिया है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से राज्य के कई भागों में आज से 18 अगस्त तक भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। शिमला में भी मौसम खराब बना हुआ है।
बरसात को देखते हुए स्थानीय लोगों व पर्यटकों को नदी-नालों से दूर रहने की सलाह दी गई है। लोगों को अपनी यात्रा मौसम की स्थिति को देखते हुए तय करने को कहा गया है। सिरमौर, सोलन, शिमला व कांगड़ा में आगामी दो दिनों के दौरान भारी बारिश हो सकती है।अगले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के कुल्लू, शिमला और सिरमौर जिले के कुछ जलग्रहण क्षेत्रों और आसपास के क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बाढ़ का खतरा होने की संभावना है।
चार फीट धंस गया फोरलेन का 100 मीटर हिस्सा
उधर, बरसात के कहर से एक बार फिर चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग को भारी क्षति पहुंच रही है। पंडोह डैम के कैंची मोड़ से कुल्लू के दयोड में 500 मीटर की दूरी पर एक तरफ सड़क लगभग 4 फुट नीचे ब्यास की ओर धंस गई। करीब 100 मीटर यह सड़क पूरी तरह से धंस जाने से एक लेन सड़क बंद हो गई। बारिश के चलते यहां पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। उधर, एनएचएआई की जेसीबी पहाड़ से गिरे मलबे को हटाने में लगी है।
ऐसी आशंका है कि अधिक मलबे के भार से यह सड़क जल्द ही ब्यास में गिर जाएगी। बता दें कि पिछली बरसात में भी यही प्वाइंट धंसा था, मगर तब बहुत कम दरारें थीं, मगर इस बार दरारें खाई बन गई हैं। उधर, कैंची मोड़ जहां से फोरलेन शुरू होता है, वहां पर भी सड़क पर एक तरफ मलबा आ गिरा है। पहाड़ी पर बने घरों को भी खतरा बन गया है।
प्रदेश सरकार ने लोगों को किया अलर्ट
प्रदेश के मौजूदा हालात को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सभी जिलों के प्रशासन को मुस्तैद रहने के आदेश जारी किए हैं। वहीं सभी जिला प्रशासन ने भी लोगों को खराब मौसम और भूस्खलन को लेकर अलर्ट रहने की सलाह दे दी है। लोगों को कहा गया है कि वे निचले हिस्सों में बने घरों से सुरक्षित निकल जाएं। इसके साथ ही नदी, नालों और खड्ड से दूर रहने की भी लोगों को अपील की गई है।