Kurukshetra News: आफत की बारिश

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आफत की बारिश
Kurukshetra News : आफत की बारिश

खेतों में खड़ी धान की फसल चादर की तरह बिछी
मंडियों में पड़ा किसानों का सैकड़ों क्विटंल धान भीगा
Kurukshetra News (आज समाज) कुरुक्षेत्र: गत सांय हुई बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। जो किसान मंडियों में धान खरीद की आस लिए हुए बैठे थे भारी बारिश के कारण पूरा धान भीग गया। कुछ किसानों का तो धान बारिश के पानी में बह गया जिससे किसानों को भारी नुकसान का अनुमान है। वहीं खेतों में खड़ी धान की फसल भी पूरी तरह से जमीन पर बिछ गई। हालांकि मौसम विभाग ने 29 सितंबर तक मौसम परिवर्तनशील रहने व कुछ इलाकों में हल्की बूंदाबांदी की आशंका जताई थी। लेकिन कल शाम हुई भारी बारिश ने मौसम विभाग की भविष्यवाणी को गलत साबित कर दिया। करीब डेढ़ घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी। खेत पानी से भर गए। उनमें खड़ी फसल जमीन पर बिछ गई।

किसानों का कहना है कि बारिश के कारण मंडी और खेत दोनों जगहों पर उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। वह पिछले 10 दिन से मंडी में धान की फसल लेकर बैठे थे। कल सरकारी खरीद शुरू होने की घोषणा तो हुई मगर बारिश के कारण किसी भी किसान का धान नहीं खरीदा जा सका। उन्होंने मुश्किल से तो धान को सुखा कर खरीद के लिए तैयार किया था। लेकिन अब फिर से उन्हें इसे सुखाना पड़ेगा। बारिश में भीगने के कारण धान की क्वालिटी में फर्क पड़ जाता है। जिसकारण उनकों फसल का पूरा मूल्य नहीं मिल पाएगा। वहीं खेत में जो धान की फसल खड़ी भी वह भी खेत में पानी भरने के कारण जमीन पर गिर गई। जिसकारण किसानों पर दोहरी मार पड़ी है।

देर से शुरू हुई खरीद

किसानों ने कहा कि पहले तो सरकार ने धान खरीद की तारीख 23 सितंबर तय कि थी। फिर 27 सितंबर से धान खरीद का निर्णय लिया। लेकिन जब तक खरीद शुरू होती तब तक बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। वे पिछले 10 दिन से मंडियों में फसल लेकर आए हुए है। लेकिन किसी ने एक दाना भी धान का नहीं खरीदा। सरकार की गलत नीतियों के कारण केवल किसान को ही नुकसान उठाना पड़ रहा है। मात्र किसान एक ऐसा व्यक्ति है जो खुले आसमान के नीचे पूरे देश के लिए अन्न पैदा करता है। लेकिन सरकार और व्यापारियों की मिलीभगत के कारण हर बार उसे मौसम की इस मार का झेलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि 20 सितंबर से धान की सरकारी खरीद शुरू होनी चाहिए।

शैलर मालिकों ने बारदाना देने से भी किया मना

किसानों ने कहा कि जब वे धान की फसल को खेत से कटवाकर मंडी में लेकर पहुंचे तो उन्होंने सुखाने के बाद धान को बोरियों में भरकर शैड के नीचे रखने की बात व्यापारियों से कहीं। लेकिन शैलर मालिकों ने आढ़तियों को बारदाना देने से भी मना कर दिया। जिसकारण किसान मंडियों में धान की ढेÞरियां लगाकर दिन-रात उनकी रखवाली में बैठे रहे। तरपाल या पलड़ की सहायता से धान को बारिश से बचाने का प्रयास करते लेकिन कल शाम जो बारिश हुई उसने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार और व्यापारी वर्ग के बीच में किसान पिस रहा है। उनके पास इतनी जगह नहीं होती की वे पूरे धान को अपने घर पर सुरक्षित रख सके।

चुनाव में भाजपा को हो सकता है नुकसान

हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन बाकी है। किसान वर्ग वैसे ही सरकार से नाराज चल रहा है। वहीं धान खरीद में हो रही देरी कहीं न कहीं भाजपा के प्रति किसानों की नाराजगी को बढ़ा सकती है। जिसकारण भाजपा को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। चुनाव को देखते हुए ही सरकार ने धान की सरकारी खरीद 23 सितंबर से शुरू करने का निर्णय लिया था। लेकिन बाद में किसी कारण से खरीद 1 अक्टूबर से ही शुरू करने की बात कही गई। फिर धान खरीद की तारीख में बदलाव करते हुए 27 सितंबर से खरीद शुरू करने का फैसला लिया पर कल हुई बारिश के कारण खरीद शुरू नहीं हो सकी।

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