होशियार सिंह, कनीना:
Rain in Kanina: कनीना में बुधवार सुबह करीब 5 बजे से ही बूंदाबांदी शुरू हो गई जो दोपहर करीब दो बजे तक जारी रही। इस अवधि में महज 4 एमएम बूंदाबांदी हुई परंतु किसानों का कहना है कि माघ तथा पौष माह में बेशक हल्की बारिश हो वह फागुन में जमकर हुई बरसात से बेहतर होती है। यह बारिश फसलों के लिए अमृत का काम करेगी।
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किसानों के चेहरे पर आई रौनक Rain in Kanina
कनीना क्षेत्र के किसानों के चेहरे पर रोशन रौनक आ गई है और किसानों को फसलों की सिंचाई करने की कुछ दिन जरूरत नहीं होगी। वैसे तो मौसम विभाग 9 जनवरी तक बूंदाबांदी और मौसम बदलाव की बात कह रहा है जिसको लेकर किसान खुश है। इस वक्त सरसों की फसल 75 दिन की हो चुकी है जबकि गेहूं की फसल 55 दिन की हो चुकी है। फसलें लहलहा रही हैं। सरसों पकने में करीब 155 दिन और गेहूं पकने 140 दिन का समय लगता है। बारिश के बाद किसानों के चेहरे की रौनक आ गई है।
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यह कहते हैं किसान Rain in Kanina
कनीना क्षेत्र के किसान कृष्ण कुमार, रोहित कुमार ,योगेश कुमार ,सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, दिनेश कुमार, महेंद्र सिंह, महिपाल सिंह आदि का कहना है कि यह बूंदाबांदी बहुत लाभप्रद साबित होगी। खड़ी हुई रबी की फसल के लिए बेहतर साबित होगी। किसान अब बेहतर पैदावार होने की संभावना जता रहे हैं। सर्दियों में अब तक दूसरी बार बूंदाबांदी हुई है। सरसों का रकबा बढ़ा है वहीं गेहूं का रकबा घटा है।
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कितनी हुई बीजाई Rain in Kanina
खंड कृषि अधिकारी कार्यालय से प्राप्त विवरण अनुसार विगत वर्ष की तुलना में सरसों का रकबा बढ़ गया है वहीं गेहूं का रकबा घट गया है। विगत वर्ष 19490 हेक्टेयर पर सरसों उगाई गई थी जबकि इस वर्ष 20760 हेक्टेयर पर सरसों उगाई गई है, गेहूं विगत वर्ष 10190 हेक्टेयर पर जबकि इस वर्ष 9470 हेक्टेयर पर उगाया गया है। यही नहीं चारा देने वाली फसलें विगत वर्ष की 600 हेक्टेयर की तुलना में 400 हेक्टेयर पर ,चना विगत वर्ष 6 हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 4 हेक्टेयर पर जौ विगत वर्ष 10 हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 8 हेक्टेयर पर उगाया गया हैं।
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यह कहते हैं कृषि अधिकारी Rain in Kanina
पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज यादव तथा एडीओ देवेंद्र यादव ने बताया की यह बूंदाबांदी नहीं फसलों के लिए अमृत बरसा है ।यह बारिश बेशक हल्की हो किंतु इस फसल के लिए अमृत का काम करेगी और पैदावार अच्छी होगी। उन्होंने कहा कि किसानों को बारिश का लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि पत्ते से गंदगी व प्रदूषण हट जाने से अब प्रकाश संश्लेषण क्रिया अधिक चलेगी जिससे पैदावार बढ़ जाएगी वहीं फूलों में सफाई होने से सरसों में परागण क्रिया और तेज हो जाएगी। उनका कहना है कि यह बारिश किसानों के लिए वरदान साबित होगी।
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