Congress Politics, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी ने संघ से बेवजह टकराव मोल ले लिया। राहुल गांधी पहले विपक्ष के ऐसे नेता हैं जिन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत का नाम ले कर सीधा हमला किया। हालांकि राहुल के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी भागवत के बयान पर सवाल उठा आलोचना की है। ममता की बंगाल की मुस्लिम तुष्टिकरण की अपनी राजनीति है। इसलिए उन्होंने भी खिलाफ बोल अपने वोटरों को संदेश ही दिया। ममता की राजनीति बंगाल तक ही सीमित है उनके बोलने का बहुत असर नहीं पड़ेगा।लेकिन कांग्रेस को उत्तर भारत में मुश्किलें आएंगी।
शरद पवार ने की थी भागवत के काम की तारीफ
राहुल को छोड़ दूसरे किसी विपक्षी नेता ने इस तरह का बड़ा हमला नहीं बोला। कांग्रेस के सबसे पुराने सहयोगी शरद पवार ने तो संघ प्रमुख की तारीफ कर उनके काम की सराहना की थी। राहुल का संघ प्रमुख पर हमला मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़ा जा रहा है। भले ही उन्होंने किसी ओर परिपेक्ष में कहा। हालांकि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने नेता राहुल गांधी के बयान का अपने ढंग से बचाव कर उसे केंद्र द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग से जोड़ मंहगाई और भ्रष्टाचार से ध्यान हटाना बताया।
राहुल के हमले से संघ को नहीं होगा कोई नुकसान
कांग्रेस ने अपने नेता का बचाव कर संघ पर हमला जारी तो रखा हुआ है, लेकिन संघ और बीजेपी को कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का हमला करने का बड़ा मौका मिल गया। राहुल के हमले से संघ का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन कांग्रेस की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। कांग्रेस पर यूं भी मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे हैं। राहुल के बयान को भी मुस्लिमों को खुश करने से जोड़ा जा रहा है। संघ ने इसे मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़ा तो कांग्रेस के पास कोई जवाब नहीं होगा।
हिंदी बेल्ट वाले हर राज्य को जिताने की क्षमता रखता है संघ
आज का संघ इतना ताकतवर हो गया है कि हिंदी बेल्ट वाले किसी भी राज्य के चुनाव को अपने हिसाब से जितवाने की क्षमता रखता है। संघ के पास ऐसे कार्यकर्ता और टीम है जो बिना स्वार्थ के जी जान से काम करती है। सेवा भारती, विद्याभारती जैसी संस्थाओं में तो स्कूल,कॉलेज से लेकर यूनिवर्सिटी तक के ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हैं जो 12 महीने आम जन के बीच सक्रिय रह राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की अलख जगाते रहते हैं।हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत में सबसे बड़ा योगदान संघ और उसकी संस्थाओं का ही था।दोनों राज्यों की जीत के बाद संघ ने दिल्ली की अपने कब्जे में ले लिया।
दिल्ली में संघ का झुग्गी-झोपड़ियों और गरीब तबके पर फोकस
स्कूल कॉलेज से जुड़े कार्यकतार्ओं और अन्य सभी को चुनाव से पहले ही बैठकें करने का जिम्मा दिया गया है। सूत्रों की माने तो संघ ने दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ियों और गरीब तबके पर फोकस किया हुआ है।छोटी छोटी बैठकें कर वह समझाते हैं कि बीजेपी को क्यों जिताना है। देशभक्ति और एकता उनके प्रमुख एजेंडे में होता है इसके साथ हिंदुत्व की रक्षा के मुद्दे को भी अपने तरीके से रखते हैं। केंद्र की मोदी सरकार की गरीबों के लिए चलाई जा रही योजनाओं और लाभ गिनवाते हैं।संघ के चलते ही महाराष्ट्र की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में बीजेपी ने विपक्ष से ज्यादा सीटे जीती। दिल्ली में भी संघ का लक्ष्य है कि जैसे तैसे झुग्गी झोपड़ी और गरीब तबके के वोट को बीजेपी की तरफ मोड़ा जाए।
मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग इस बार ‘आप’ से बहुत नाराज
बीजेपी के रणनीतिकार मान रहे हैं कि मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग इस बार आप से बहुत नाराज है, इसलिए उसको लेकर चिंता नहीं है। हालांकि संघ हर वर्ग समुदाय से संपर्क साधता है लेकिन झुग्गी झोपड़ियों पर विशेष फोकस है।हरियाणा में 60 हजार से ज्यादा और महाराष्ट्र में 90 हजार से ज्यादा सभाएं संघ की तरफ से हुई थी जिसके चलते बीजेपी को बड़ी जीत मिली।संघ विपक्ष की खामियों को भी अपने ढंग से समझाता है।दिल्ली में भी संघ की तरफ धुंआधार बैठकों का दौर चल रहा है।सूत्रों की माने तो कई निजी संस्थानों के स्कूलों में विद्याभारती से जुड़े लोग अध्यापन का काम करते हैं।सामान्य दिखने वाले ये कार्यकर्ता अपना कोई परिचय नहीं देते ।आमजन की तरह चुपचाप काम करते हैं।इसलिए दिल्ली में भी इस बार संघ बीजेपी की वापसी करवा सकता है।
दिल्ली जीतने पर अन्य राज्यों में भी बीजेपी की यही रणनीति
हरियाणा, महाराष्ट्र के बाद बीजेपी दिल्ली जीतती है तो फिर अन्य राज्यों के चुनाव में भी यही रणनीति अपनाई जाएगी।2019 के लोकसभा चुनाव में संघ ने ऐसे ही काम किया था,लेकिन 2024 में उसने अपनी सक्रियता कम कर दी।लेकिन उम्मीद के अनुरूप परिणाम नहीं आने के बाद संघ फिर से फ्रंट में आ गया। संघ के दिशा निर्देश पर ही चुनावी कार्यक्रम तय हो रहे है।राहुल गांधी ने संघ पर बड़ा हमला तो बोल दिया लेकिन यह आंकलन नहीं किया कि बहुसंख्यकों की राजनीति करने वाले संघ से उनकी पार्टी कैसे निपटेगी।क्योंकि कांग्रेस जिस विचारधार की बात करती है वह आज के माहौल में फिट नहीं बैठ रही है।
खुद जाति के आधार पर बांटने की राजनीति कर रहे राहुल
राहुल खुद बहुसंख्यकों को जाति के आधार पर बांटने की राजनीति कर रहे हैं। संघ कांग्रेस की इस राजनीति की काट हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से दे रहा है। संघ के पास विशाल संगठन है जो बिना पद के काम करता है।जबकि कांग्रेस का संगठन बहुत कमजोर हो गया है। पूरी पार्टी एक परिवार पर केंद्रित हो राजनीति कर रही है।राहुल संघ पर हमला बोल एक तरह से बहुसंख्यकों को ही चुनौती दे रहे हैं।संघ अपने ढंग से राहुल के बयान का मतलब आमजन को समझाएगा।कांग्रेस के पास ऐसी कोई टीम नहीं है और ना ही कार्यकर्ता हैं जो अपने नेता की बात को समझा सकें।
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