Leader of the Opposition in Lok Sabha, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी के हाल में लिए गए कुछ फैसलों ने पार्टी को परेशानी में डाल दिया है। पार्टी के भीतर अब इस बात की चर्चा है कि आखिर राहुल को इन दिनों कौन मैनेज कर रहा है। लोकसभा चुनाव तक सब कुछ ठीक ठाक था, लेकिन बीते कुछ दिन से राहुल के फैसले हैरान करने वाले रहे हैं।
अमरीका में विवादास्पद बयान और मेल मुलाकातें
एक तो चुनाव के बीच अमरीका दौरा समझ में नहीं आया, फिर वहां जा कर विवादास्पद बयान और मेल मुलाकातें भी विवाद वाली। इससे पूर्व हरियाणा में गठबंधन करने की सलाह दे आम आदमी पार्टी को सुर्खियों में ला पार्टी का संकट बढ़ा दिया, क्योंकि इन फैसलों ने पटरी पर वापस लौटती दिख रही पार्टी को परेशानी में डाल दिया है। हरियाणा चुनाव में जरा सी भी कोई चूक हुई तो फिर पार्टी पुरानी स्थिति में पहुंच जाएगी।
लंबी नहीं चल पाएगी 99 सीटों से मिली आक्सीजन
लोकसभा चुनाव में 99 सीटों से मिली आक्सीजन लंबी नहीं चल पाएगी, क्योंकि हरियाणा और जम्मू कश्मीर के बाद लगातार कई राज्यों में चुनाव होने हैं। इन दोनों राज्यों के तुरंत बाद इसी साल महाराष्ट्र,झारखंड फिर अगले साल दिल्ली, बिहार जैसे राज्य में चुनाव होने हैं। 2027 में उत्तर प्रदेश के चुनाव से पूर्व बंगाल, केरल और असम जैसे राज्यों के चुनाव भी हैं। इन सभी में कांग्रेस सत्ता से बाहर है। इन राज्यों में वापसी तभी संभव है जब इस साल होने जा रहे राज्यों के चुनावों में पार्टी को जीत मिलती है।
हरियाणा का चुनाव जीतना बना बड़ी चुनौती
अभी सबसे पहले हरियाणा का चुनाव जीतना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। हरियाणा कुछ कुछ मध्यप्रदेश की तरफ बढ़ता दिख रहा है।पिछले साल मध्यप्रदेश में कांग्रेस जीत को लेकर निश्चित दिख रही थी।एक तरफा जीत की बातें हो रही थी।लेकिन जैसे जैसे चुनाव करीब आया बीजेपी ने पूरी ताकत और एक जुटता से चुनाव लड़ बाजी पलट दी।मध्यप्रदेश में कांग्रेस आपसी लड़ाई और अति आत्म विश्वास के चलते जीती हुई बाजी हार गई। हरियाणा में तो आपसी लड़ाई सालों से चली आ रही है ।इस लड़ाई के चलते हरियाणा ऐसा राज्य है जहां पर कांग्रेस का संगठन ही सालों से नहीं बन पाया।
आपसी लड़ाई के चलते राजस्थान गंवाया
कांग्रेस आपसी लड़ाई के चलते पिछले साल जीता हुआ राजस्थान हार गई थी।समय पर सचिन पायलट को मैनेज कर लिया होता तो अशोक गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस की वापसी तय थी।लेकिन पार्टी आलाकमान ने राजस्थान को गंभीरता से ही नहीं लिया।उसका पूरा फोकस मध्यप्रदेश और कमलनाथ पर था।खैर पार्टी दोनो राज्य हार गई। हरियाणा की कमोवेश स्थिति मध्यप्रदेश वाली दिख रही है। पार्टी जीत को लेकर आत्मविश्वास से लवरेज दिख रही। मध्यप्रदेश की तरह हरियाणा में भी विभागों को लेकर अभी से खींचतान की खबरें हैं।
टिकट बंटवारे में सब पर भारी रहे हुड्डा
अभी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ही असल फेस माना जा रहा है। यही वजह रही कि चुनाव की घोषणा होते ही पूर्व भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ पार्टी की वरिष्ठ सांसद कुमारी शैलजा ने मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक दिया। पार्टी पहले ही हुड्डा बनाम शैलजा,रणदीप सुरजेवाला गुट से जूझ रही थी। मतलब सभी नेता सीएम बनना चाहते हैं, लेकिन टिकट बंटवारे में हुड्डा सब पर भारी रहे।
आप-सपा से गठबंधन की बात कर बेवजह दोनों चर्चा में ला दिया
शैलजा गुट नामात्र की ही सीट ले पाया, लेकिन इस बीच राहुल गांधी ने आपसी लड़ाई पर अंकुश लगाने के बजाए हरियाणा की मीटिंग में आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की बात कर बेवजह सपा और आप को चर्चा में ला दिया, जबकि इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी। पार्टी के नेता अपने नेता के इस सुझाव से परेशान हो गए। राहुल के दखल के चलते आम आदमी पार्टी फिर से चचार्ओं में आ गई। मीडिया में उसे अच्छी खासी जगह मिलने लगी।
आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों ने किया खेल
सूत्रों का कहना है आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों ने कांग्रेस के नेताओं के बजाए राहुल गांधी को अपने तरीके से मैनेज करवा गठबंधन की बात करवा दी। इससे उसका काम हो गया और वह हरियाणा में चुनाव लड़ती दिखने लगी।यही कांग्रेस के लिए सरदर्द हो गया।
इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जमानत पर तिहाड़ जेल से बाहर आ गए।मतलब आम आदमी पार्टी जो चाहती थी उसमें वह सफल हो गई। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर उसे पहले ही खड़ा कर दिया था।कांग्रेस के नेताओं की यही चिंता थी कि अगर आम आदमी पार्टी फिर से खड़ी हुई तो सीधा नुकसान कांग्रेस का होगा।
कांग्रेस को भरोसे में ले अपने को ‘इंडिया’ का हिस्सा बनाया
आम आदमी पार्टी ने तरीके से कांग्रेस को भरोसे में ले अपने को इंडिया गठबंधन का हिस्सा बना दिया। इंडिया गठबंधन में शामिल होने का आप ने पूरा लाभ उठाया। जिन दलों के नेताओं को कभी आप के नेताओं जमकर भला बुरा बोला था, उनके कंधों पर चढ़ फिर अपने वापस खड़ा कर दिया।
कांग्रेस के नेता जानते थे कि कमजोर होती आप अगर फिर से खड़ी हो गई तो सबसे बड़ा नुकसान उनका ही होगा।इसलिए हरियाणा के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शुरू में ही कह दिया था पार्टी को किसी के साथ गठबंधन की जरूरत नहीं है।
पार्टी के भीतर बड़ा धड़ा ‘आप’ से नहीं चाहता गठबंधन
दरअसल पार्टी के भीतर बड़ा धड़ा कभी भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन चाहता ही नहीं था। क्योंकि आम आदमी पार्टी ने ही कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया।लोकसभा के समय किए गए गठबंधन के चलते दिल्ली में कांग्रेस टूट गई थी।कांग्रेस को गठबंधन से कोई लाभ नहीं मिला।
इसके बाद कांग्रेस ने आप से गठबंधन तोड़ दिया,लेकिन इंडिया गठबंधन का घटक दल होने के नाते साथ खड़े दिखे।आम आदमी पार्टी जानती थी कि हरियाणा में वह मुकाबले में नहीं है।इसलिए उसने कांग्रेस में सेंध लगा राहुल गांधी से गठबंधन की बात कहलवा दी।गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस को आप ने अपने तरीके से फंसा अपने को चर्चा में ला दिया।
राहुल की गठबंधन की कोशिश को नेताओं ने किया फेल
राहुल की गठबंधन की कोशिश को नेताओं ने फेल तो कर दिया,लेकिन आम आदमी पार्टी जो चाहती थी वो तो फिलहाल हो गया।हरियाणा में एक माहौल बन गया कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस का खेल बिगाड़ देगी।जानकार मान रहे हैं कि कांग्रेस ने गठबंधन की बात कर अपने लिए समस्या बढ़ा दी।अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आ गए हैं। अभी भी कुछ इस कोशिश में हैं नाम वापसी तक कोई गठबंधन हो जाए। इस तरह की खबरों से कांग्रेस को ही नुकसान होता दिख रहा है।
सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच
हालांकि हरियाणा में सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है।लेकिन कई दलों के चुनाव लड़ने से मुकाबला बहुकोणीय होता जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ दो चार सीटें भी जीत ली तो उसकी हरियाणा में इंट्री हो जायेगी।फिर पंजाब की तरह वह कांग्रेस की जगह लेने की कोशिश करेगी।
दिल्ली में समर्थन दे अपनी पार्टी को कराया था बड़ा नुकसान
राहुल गांधी ने दिल्ली में भाजपा को सत्ता से रोकने के लिए आम आदमी पार्टी को 50 दिन का समर्थन दे अपनी पार्टी को ही बड़ा नुकसान कराया था। आप ने कांग्रेस को पहले दिल्ली में फिर पंजाब में खत्म कर दिया। इसके बाद जब आम आदमी पार्टी कमजोर पड़ती दिख रही थी कांग्रेस ने उसे फिर गले लगा ताकत दे दी।
राहुल ने आप को इंडिया गठबंधन में इसलिए शामिल करवाया कि जैसे तैसे बीजेपी को सत्ता से रोका जाए।लेकिन लोकसभा चुनाव में वह सफल नहीं हुए।फिर राज्यों के चुनावों में राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी को साथ लेने की बात कर अपनी पार्टी का तो नुकसान किया लेकिन आप की मदद कर दी।
हरियाणा में ‘आप’ ने खेला सहानुभूति का कार्ड
हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने सहानुभूति का कार्ड खेला तो फिर कांग्रेस फंस जायेगी।केजरीवाल यूं भी मूल रूप से हरियाणा के हैं।आम आदमी पार्टी की रणनीति छोटे राज्यों में सत्ता पाने की रही है। कांग्रेस के लिए आप तो आने वाले दिनों में परेशानी बढ़ाएगी ही इस बीच राहुल गांधी ने अमरीकी दौरे पर आरक्षण खत्म करने, चीन की तारीफ, सिख समुदाय पर टिप्पणी और भारत विरोधी बयान देने वाले सांसदों से मुलाकात कर भाजपा को बड़ा मौका दे दिया।
चुनाव में निश्चित रूप से राहुल के बयान और वह खुद बीजेपी के निशाने पर रहने वाले हैं।हरियाणा में राष्ट्रवाद मुद्दा अगर चला तो भाजपा सब पर भारी रहेगी।क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनावी अभियान में राहुल के बयानों को हर हाल में उठा उन्हें राष्ट्रवाद से जोड़ेंगे।