Rahul Gandhi | अजीत मेंदोला| नई दिल्ली | माइक बंद करने का मामला आखिरकार 18 वीं लोकसभा की शुरूआत में ही गर्मा गया। माइक बन्द होने का मुद्दा उठाया प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने। राहुल माइक बंद करने के मुद्दे को 17 वीं लोकसभा में भी संसद के अंदर व बाहर जमकर उठाते थे। यही नहीं उनकी यात्राओं जनसभाओं में लोकसभा में माइक बंद की चर्चा जरूर होती थी।
विदेश में भी उन्होंने इस मामले को उठाया था तब उनकी निंदा हुई थी। राहुल जनता को यह संदेश देते थे कि लोकसभा में उन्हें नहीं बोलने दिया जाता। इसलिए वह जनता के बीच अपनी आवाज उठा रहे हैं। आज एक बार फिर राहुल ने माइक बन्द करने की बात फिर से उठा ही दी। स्पीकर ओम बिड़ला को बोलना पड़ा उनके पास माइक बंद करने का कोई स्विच नहीं होता है। पहले भी आप को बता चुके हैं।
बीते तीन साल से बनाते आ रहे हैं मुद्दा
राहुल गांधी 2004 से लगातार सांसद हैं। वह जरूर जानते होंगे माइक कब और क्यों बंद किया जाता है और कहां से बंद होता है। लेकिन प्रतिपक्ष का नेता बनने के बाद भी उन्होंने सांसद वाली राजनीति कर ही दी। ठीक एक दिन पहले उनके एक सांसद दीपेंद्र हुड्डा जो कि अब वरिष्ठ हो गए हैं स्पीकर को बताने लगे कि आप को आपत्ति नहीं जतानी चाहिए थी। हैरानी वाली बात यह है कि स्पीकर को सदस्य सुझाव व हिदायत नहीं दे सकता है।
जो कांग्रेस संविधान को बचाने की राजनीति कर रही है। उसी के सदस्य संविधान का मान नहीं रख रहे हैं। स्पीकर का पद लोकसभा का सर्वोच्च पद है। उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस सरकार पर लगातार हमलावर है। कोई मौका वह नहीं छोड़ रही, लेकिन हैरानी की बात यह है कि 18 वीं लोकसभा के अभी पूरे पांच साल हैं, लेकिन पहले ही सत्र से ही विपक्ष टकराव की राजनीति कर रहा है।
स्पीकर का चुनाव हो या सांसदों की शपथ का विपक्ष ने टकराव की रणनीति अपनाई हुई है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जब आज चर्चा होनी थी कांग्रेस ने नीट पर चर्चा की मांग कर हंगामा शुरू कर दिया। राहुल गांधी आज ही चर्चा पर अड़ गए। स्पीकर के यह कहने पर कि अभिभाषण पर चर्चा में बोलने का पूरा मौका मिलेगा। विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। इसी बीच राहुल ने माइक बंद होने की बात कर दी।
हंगामा और बढ़ गया। दरअसल लोकसभा में माइक को लोकसभा के कर्मचारियों द्वारा एक केंद्र से नियंत्रित किया जाता है। उसके अपने कायदे कानून हैं। हंगामे के दौरान, बोलने का तय समय बीत जाने पर, बीच में बोलने पर स्पीकर की चेतावनी के बाद माइक बंद किए जाते हैं। कर्मचारी अपनी मर्जी से बंद नहीं कर सकते हैं। इसके बाद भी कांग्रेस ने चुनाव बीत जाने के बाद भी संविधान के साथ माइक बंद को भी मुद्दा बना दिया।
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