जापान के लिए रेडियोधर्मिता वाला पानी मुसिबत बन गया है। संयंत्र का संचालन करने वाली कंपनी टेपको ने कह दिया है कि उसके पास अब और रेडियोधर्मी पानी को रखने की जगह नहीं बची है जबकि सरकार इस पसोपेश में है कि वह क्या करे?वर्ष 2011 में आई सुनामी के दौरान फुकुशिमा के दाईची परमाणु संयंत्र के पिघल चुके तीन रिएक्टरों के रेडियोधर्मिता वाले पानी को लेकर जापान में मुसीबत बनी हुई है। संयंत्र को संचालित करने वाली टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी का कहना है कि वह और ज्यादा टैंक बनाएगी ताकि 13 लाख 70 हजार लीटर पानी जमा हो सके। लेकिन कंपनी के पास 2022 तक इतना पानी जमा हो जाएगा जिसका बाद में क्या किया जाए यह बड़ा सवाल बना हुआ है। कंपनी का कहना है कि उसके पास अब और रेडियोधर्मी पानी रखने की जगह नहीं है। ऐसे में वह सरकार और लोगों पर समस्या के समाधान के लिए दबाव बना रही है। जापान सरकार के पास इस रेडियोधर्मी पानी के निस्तारण का एक विकल्प इसे प्रशांत महासागर में छोड़ने का है। लेकिन इस पर यहां रहने वाले मछुआरों ने विरोध शुरू कर दिया है क्योंकि रेडियोधर्मी पानी से उनका मछली पालन और खेती प्रभावित हो जाएगी। फुकुशिमा संयंत्र ने एक हजार टैंकों में 10 लाख लीटर से ज्यादा पानी जमा कर रखा है।