राबड़ी बनाने के लिए विशेष कौशल एवं दक्षता की जरूरत Rabri is Best Drink in Summer
होशियार सिंह,कनीना:
Rabri is Best Drink in Summer: कहावत है-हरियाणा जहां दूध-दही का खाणा। कहावत जहां शत् प्रतिशत खरी उतरती है वहीं ग्रामीण परिवेश में तो दूध एवं दही का कुछ अधिक बोलबाला है। ग्रामीण परिवेश में यूं तो घी और दूध की कमी नहीं है। जहां कभी दूध और दही की नदियां बहती थी आज वहां दूध और दही की कमी नहीं है।
ग्रामीण लोगों अपने घरों में पशुधन जरूर रखते हैं ताकि अच्छा खाना पीना हो सके। ग्रामीण लोग दूध और दही के खाने पीने को ही बेहतर समझते हैं। जहां गर्मियों में उनको छाछ और ठंडाई के रूप में राबड़ी बेहद पसंद होती है। यूं तो कुछ लोग चाय और कुछ लोग बीयर आदि को शरीर के लिए लाभप्रद मानते हैं वहीं ग्रामीण लोग राबड़ी को अधिक पसंद करते हैं।
गर्मी से बचने के लिए राबड़ी का उपयोग करते हैं ग्रामीण Rabri is Best Drink in Summer
जहां अमीर घरानों के लोग कुलफी, आइसक्रीम और ठंडे पीकर अपने शरीर की गर्मी को दूर करते हैं और गर्मी से बचते हैं वहीं ग्रामीण लोग गर्मी से बचने के लिए राबड़ी का जमकर उपयोग करते हैं जो उन्हें गर्मी से तो बचाता ही है साथ में एक स्वास्थ्यवर्धक टानिक का काम करती है।
रात के समय बनाकर रखी हुई राबड़ी को किसान हो या ग्रामीण दिनभर उपभोग करते हें और भीषण गर्मी में भी राहत के साथ काम करते हैं। यहां तक की राबड़ी को ग्रामीण लोग खीर से भी ज्यादा बेहतर समझते हैं तभी तो ग्रामीण क्षेत्रों में एक कहावत प्रचलित है-हीर-हीर खावें राबड़ी बतावें खीर। चाहे यह कहावत सार्थक हो या न हो किंतु राबड़ी की सार्थकता को तो जरूर इंगित करती है।
राबड़ी को बड़े चाव से खाते हैं बुजुर्ग Rabri is Best Drink in Summer
राबड़ी को बुजुर्ग तो और भी अधिक चाय से खाते हैं। यही कारण है कि जब युवा पीढ़ी ठंडों की ओर आकर्षित होती हे तो बुजुर्ग बस एक ही बात कहते हैं-राबड़ी क्यों नहीं पीते? यह भी सत्य है कि युवा पीढ़ी तो राबड़ी का नाम सुनकर भी नाक भौ चढ़ाती है किंतु गरीबों और किसानों का हमदर्द टानिक एवं पेय है। वर्तमान पीढ़ी तो राबड़ी बनाना तो दूर खाना भी नहीं जानती।
राबड़ी बनाने के लिए विशेष कौशल एवं दक्षता की जरूरत है ताकि जायकेदार राबड़ी बनाई जा सके और इस काम में दक्ष हैं पुराने और बुजुर्ग। राबड़ी बनाने के लिए जौ के आटे की जरूरत होती है। यह सत्य है कि अब जौ भी किसानों ने उगाना ही छोड़ दिया है। एक वक्त था जब किसानों का आहार ही जौ से बना होता था और जौ-चने की रोटी भरपूर सेहत देती थी। अब अगर राबड़ी भी बनानी है तो कहीं से जौ का आटा लाना पड़ता है।
बासी रोटी और राबड़ी का अच्छा संगम Rabri is Best Drink in Summer
आज भी बुजुर्ग अपने अनुभव बताते हैं कि मटकी में ही राबड़ी तैयार करते थे। एक मटकी में ही छाछ, जौ का आटा, प्याज आदि के मेल से राबड़ी तैयार करके रखते थे और सुबह होने पर बासी रोटी के साथ छाछ में बनी राबड़ी का ही उपभोग करते थे। घर में अगर कोई मेहमान आता था तो उसे भी बासी रोटी और राबड़ी ही दी जाती थी।
बासी रोटी और राबड़ी का अच्छा संगम होता था जो सेहत की दृष्टिï से भी लाभप्रद होती थी। आज भी बुजुर्ग कभी कभार गर्मियों में राबड़ी को याद करके मन मसोस कर रह जाते हैं। कुछ घरों में तो राबड़ी का पेय आज भी चाव से बनाया जाता है और चाव से ही खाया जाता है।
पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की पत्नी का नाम भी तो राबड़ी रखा Rabri is Best Drink in Summer
ग्रामीण क्षेत्रों में राबड़ी तो इतना प्रसिद्ध शब्द है कि लोग अपने बच्चों के नाम तक राबड़ी रख देते हैं। भारत के पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की पत्नी का नाम भी तो राबड़ी रखा गया है जो राबड़ी की सार्थकता को इंगित करता है। राबड़ी को प्राय: गर्मियों में ही खाया जाता है और सर्दियों में इसे नहीं खाया जाता है। इसके पीछे बुजुर्गों का कहना है कि यह शरीर के लिए ठंडक पहुंचाती है ऐसे में गर्मियों में ही खाना उचित होगा। किसान अपने घरों में पुराने जौ तथा जौ का आटा रखते हैं और गर्मियां आते ही उनका उपयोग शुरू कर देते हैं।
शरीर के लिए लाभप्रद राबड़ी Rabri is Best Drink in Summer
सबसे बड़ी बात यह है कि राबड़ी जो शरीर के लिए लाभप्रद हे वह कम पैसों में ही तैयार हो जाती है। मात्र प्याज और जौ का आटा चाहिए और ये दोनों पदार्थ गर्मियों के दिनों में आसानी से ही उपलब्ध हो जाते हैं। प्याज भी किसान अपने खेतों में उपजाता है वहीं जौ भी खेतों में उगाता है और गर्मी आने से पहले ही खेतों में तैयार हो जाते हैं।
किसानों का तो कहना है कि जब राबड़ी ही जौ के आटे से तैयार हो जाती है और सस्ती भी पड़ती हे तो फिर जौ से तैयार की गई महंगी बीयर क्यों प्रयोग की जाए जबकि बीयर सेहत के लिए हानिकारक होती है। किसान और ग्रामीण क्षेत्रों में राबड़ी आज भी प्रसिद्ध पेय पदार्थ है जो ग्रामीणों की शान और शौकत को बढ़ाता है। यही वजह है कि वर्षों से पूर्वज भी इसी पेय का उपयोग करते आ रहे हैं और आज भी उपभोग कम नहीं हो रहा है।
बिक्री भी होने लगी है Rabri is Best Drink in Summer
राबड़ी ने अब तो होटलों में भी अपना स्थान बना लिया है। ग्रामीण परिवेश में तो राबड़ी को बेचने लगे हैं ताकि अपनी रोटी रोजी कमा सके। राबड़ी इतना बेहतर पेय बनता जा रहा है कि बुजुर्ग तो इसके बगैर रह ही नहीं सकते। खाने में राबड़ी का समावेश जरूरी होता है। अब तो आलम यह है कि राबड़ी बनाने के पदार्थ और यहां तक कि छाछ भी ग्रामीण परिवेश में बिकने लगा है।
राबड़ी को बनाकर पांच से दस रुपये प्रति गिलास बेचने का काम भी जोरों पर है। राबड़ी बेचने वाले एक व्यक्ति भानू का कहना है कि वो राबड़ी के बल पर प्रतिदिन एक सौ रुपये तक कमा लेते हैं। पहले-पहले तो अब यह काम शुरू किया तो कम ग्राहक आए किंतु अब ग्राहकों की कमी नहीं है। उनका मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग राबड़ी बनाते हैं जिसके चलते राबड़ी की मांग कम है। शहरी क्षेत्रों में अब भी राबड़ी की मांग अधिक है क्योंकि शहरी लोग बना बनाया सामान ज्यादा पसंद करते हैं।
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