आज समाज डिजिटल, अम्बाला
Rabbit, Partridge And Sly Cat : एक पेड़ पर तीतर का घोंसला था, वो मज़े से वहां रहता थ। एक दिन वह भोजन व दाना पानी ढूंढ़ने के चक्कर में दूसरी जगह किसी अच्छी फसलवाले खेत में पहुंच गया। वहां उसके खाने पीने की मौज की । खुशी-खुशी में वो घर लैटना भूल गया और उसके बाद वो मज़े से वहीं रहने लगा। यहां उसका घोसला खाली था, तो एक शाम को एक खरगोश उस पेड़ के पास आया। पेड़ ज़्यादा ऊंचा नहीं था, खरगोश ने उस घोसले में झांककर देखा तो पता चला कि यह घोसला खाली पड़ा है।

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तीतर भी खा-खाकर मोटा हो चुका था

खरगोश को वो पसंद आया और वो आराम से वहीं रहने लगा, क्योंकि वो घोसला काफ़ी बड़ा और आरामदायक था। कुछ दिनों बाद वो तीतर भी नए गांव में खा-खाकर मोटा हो चुका था. अब उसे अपने घोसले की याद सताने लगी, तो उसने फैसला किया कि वो वापस लौट आएग। आकर उसने देखा कि घोसले में तो खरगोश आराम से बैठा हुआ है। उसने ग़ुस्से से कहा चोर कहीं के, मैं नहीं था तो मेरे घर में घुस गए… निकलो मेरे घर से.”

अपना हक भी गवां देता है

खरगोश शान्ति से जवाब देने लगा, “ये तुम्हारा घर कैसे हुआ? यह तो मेरा घर है, तुम इसे छोड़कर चले गए थे और कुआं, तालाब या पेड़ एक बार छोड़कर कोई जाता है तो अपना हक भी गवां देता है। अब ये घर मेरा है, मैंने इसे संवारा और आबाद किया। यह सुनकर तीतर कहने लगा, “हमें बहस करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला, चलो किसी ज्ञानी पंडित के पास चलते हैं. वह जिसके हक में फैसला सुनायेगा उसे घर मिल जाएगा।

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दोनों ने बिल्ली को समस्या बताई

उस पेड़ के पास से एक नदी बहती थी। वहां एक बड़ी बिल्ली बैठी थी। वह कुछ धर्मपाठ करती नज़र आ रही थी. वैसे तो बिल्ली इन दोनों की जन्मजात शत्रु है, लेकिन वहां और कोई भी नहीं था, इसलिए उन दोनों ने उसके पास जाना और उससे न्याय लेना ही उचित समझा. सावधानी बरतते हुए बिल्ली के पास जाकर उन्होंने अपनी समस्या बताई, “हमने अपनी उलझन बता दी, अब आप ही इसका हल निकालो. जो भी सही होगा उसे वह घोसला मिल जाएगा और जो झूठा होगा उसे आप खा लेना। “अरे, यह कैसी बातें कर रहे हो, हिंसा जैसा पाप नहीं है कोई इस दुनिया में. दूसरों को मारनेवाला खुद नरक में जाता है।

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बिल्ली ने नोंच काम कर तमाम कर दिया

मैं तुम्हें न्याय देने में तो मदद करूंगी लेकिन झूठे को खाने की बात है तो वह मुझसे नहीं हो पाएगा. मैं एक बात तुम लोगों को कानों में कहना चाहती हूं, ज़रा मेरे करीब आओ तो। खरगोश और तीतर खुश हो गए कि अब फैसला होकर रहेगा और उसके बिलकुल करीब गए. बस फिर क्या था, करीब आए खरगोश को पंजे में पकड़कर मुंह से तीतर को भी उस चालाक बिल्ली बिल्ली ने नोंच लिया और दोनों का काम तमाम कर दिया।

शिक्षा : विश्‍वास करना बड़ी बेवकूफी है, तीतर और खरगोश इसी विश्‍वास और बेवकूफी के कारण जान गवांनी पड़ी।

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