पवन शर्मा, चंडीगढ़:
Questions Raised After Dadam Accident: डाडम पहाड़ में हुई दुर्घटना के बाद से ही अब सौ तरह की सवाल सरकारी मशीनरी पर उठ रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही से लेकर दूसरे कई प्रकार के लूप होल अब सामने आ रहे हैं। यहां तक कि मौजूदा खनन करने वाली कंपनी को सारे नियम ताक पर रखकर टेंडर में माइन अलॉट करने की बात भी सामने आ रही है। डाडम में गोवर्धन माइनस से पहले सुंदर मार्केटिंग नाम की कंपनी खनन का कार्य करती थी।
सुदंर मार्केटिंग कंपनी के पास यह माइन प्रतिवर्ष 114 करोड़ रुपए के कान्ट्रेक्ट पर था। जिसमें प्रतिवर्ष दस प्रतिशत की बढ़ोतरी भी होनी थी। मगर वर्ष 2016 में ही वेदपाल तंवर ने न्यायालय में हल्फनामा दायर किया कि सुदंर मार्केटिंग कंपनी सरकार को कम राजस्व दे रही है, वह 150 करोड़ रुपए में यह माइन लेने को तैयार है। इसके बाद उसने 150 करोड़ का दस प्रतिशत के हिसाब से 15 करोड़ का चेक भी जमा करवा दिया।
पर्यावरण विभाग से नहीं ली गई एनओसी Questions Raised After Dadam Accident
मगर जैसे ही सरकार ने टेंडर इनवाइट किए तो वेदपाल ने अपनी दूसरी कंपनी गोवर्धनमाइनस के नाम से टेंडर डाला। इस कंपनी का सीएमडी वेदपाल तंवर है। जहां न्यायालय में वेदपाल ने 150 करोड रुपए प्रतिवर्ष का हल्फनामा दिया था वहीं इस कंपनी ने केवल 92 करोड़ रुपए में ही यह पहाड़ छुड़वा लिया।
यानि की जो कंपनी पहले माइनिंग कर रही थी उससे भी 22 करोड़ रुपए कम में। इतना ही नहीं अपने हल्फनामे के अनुसार भी सरकार को 58 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का चूना लगा दिया। पर्यावरण विभाग से एनओसी भी नहीं ली गई क्योकि पहले वाली कंपनी की ही ईसी पर काम शुरू करवा दिया गया जो कि निमयों के अनुसार नहीं था।
चेक भी हुआ था बाऊंस Questions Raised After Dadam Accident
वेदपाल ने जो पंद्रह करोड़ का चेक न्यायालय में जमा करवाया था वह चेक भी बाऊंस हो गया था। यानि कि हल्फनामा सिर्फ इसलिए दिया गया था जिससे पहले वाली कंपनी से काम छुडवाया जा सके। 2017 से लेकर अभी तक हल्फनामे के हिसाब से सरकार को लगभग 200 करोड़ का चुना लग चुका है।
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मिजार्पुर के कुलदीप कर चुके हैं एनजीटी में शिकायत Questions Raised After Dadam Accident
मिजार्पुर निवासी कुलदीप पहल ने एनजीटी में 20 अगस्त 2020 को दी शिकायत में बताया था कि गोवर्धन माइनस द्वारा नियमों की अवहेलना करके अरावली क्षेत्र में भी खनन किया जा रहा है। शिकायत के अनुसार माइनस का कुल एरिया 48. 87 हेक्टेयर ही है जबकि कंपनी ने लगभग 60 हेक्टेयर में खनन किया है।
शिकायत के अनुसार लगभग 12 हैक्टेयर अधिक क्षेत्र अवैध खनन किया जा रहा है। इसके बाद एनजीटी की टीम ने पहाड़ में दौरा किया तो शिकायत को सही पाया गया और वन विभाग ने भी अरावली में अवैध खनन की बात को स्वीकार किया। जिसके बाद वन विभाग ने गोवर्धन माइनस के तोशाम थाने में खिलाफ 23 दिसंबर 2019 को एफआईआर भी दर्ज करवाई मगर पुलिस ने मामले को गोलमोल करके रफा दफा कर दिया।
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जल्द पेश होगी सेवानिवृत्त जस्टिस प्रीतम पाल कमेटी की अंतिम रिपोर्ट Questions Raised After Dadam Accident
डाडम क्षेत्र में कुलदीप पहल की शिकायत पर ही एनजीटी व न्यायालय ने अवैध खनन के मामले में सेवानिवृत्त जस्टिस प्रीतम पाल कमेटी से रिपोर्ट मांग रखी है। जल्द ही यह रिपोर्ट पेश की जाएगी जिसमें सारी हकीकत सामने आएगी। रिपोर्ट में यह भी पता लगेगा कि इसमें जिला प्रशासन किस तरह से कंपनी की मदद में शामिल है।
जिला प्रशासन ने डाडम पहाड़ पर हुए अवैध व अवैज्ञानिक खनन को लेकर दो अलग-अलग रिपोर्ट सौंपी थी। दोनों आपस में मेल नहीं खाती थी, एक में बताया गया कि खनन गलत तरीके से हुआ है, जबकि दूसरी में कहा कि अवैध खनन के कोई साक्ष्य नहीं हैं।
मामले की हो उच्च स्तरीय जांच Questions Raised After Dadam Accident
इस मामले में कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। रणदीप ने कहा कि जिस तरह से नियमों को ताकपर रखकर माइनिंग की बात सामने आ रही हैं उससे साफ पता चलता है कि अधिकारियों से सांठ गांठ के बाद ही पूरा खेल हो रहा है।