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Questions raised about PM Bhoomi Pujan in Ayodhya, questions were also raised during the inauguration of Somnath temple: अयोध्या में पीएम मोदी द्वारा भूमि पूजन को लेकर उठ रहे सवाल, सोमनाथ मंदिर के उद्धाटन के समय भी उठे थे सवाल

नई दिल्ली। अयोध्या में सालों बाद राम भक्तों का सपना आज पूर्ण हुआ। भव्य राम मंदिर निर्माण की आधारशिल आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई। पीएम अयोध्या पहुंचे ही हनुमान गढ़ी गए और फिर राम लला के दर्शन करने पहुंचे थे जहां उन्होंने साक्षात दंडवत प्रणाम किया। यह दृश्य राम भक्तों केलिए मनोहारी था। भले ही आज पीएम द्वारा राम मंदिर का भूमि पूजन किया गया लेकिन इस भूमि पूजन से जहां राम भक्तों में उत्साह और उमंग थी तो वहीं कई लोगों ने इस पर सवाल भी उठाए। पीएम पर धर्मनिरपेक्षता को लेकर सवाल उठाए गए। इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया गया और कहा गया कि पीएम को यह नहीं करना चाहिए था। गौरतलब है कि कुछ ऐसा ही विवाद पहले भी उठ चुका है। जब सोमनाथ के मंदिर का पुनर्निमाण किया गया था तब प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ जाने से रोकनेकी कोशिश की थी। प्रधानमंत्री पंडित नेहरु का मानना था कि धर्म और राजनीति को अलग र खना चाहिए। सोमनाथ मंदिर गुजरात के पश्चिमी तट पर सौराष्ट्र में वेरावल के पास स्थित है। यह मदिर बारह ज्योर्तिलिंगों में पहला माना जाता है। आजादी से पहले जूनागढ़ रियासत में आने वाला यह पवित्र स्थान भगवान कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है।
जिस तरह अयोध्या में राम मंदिर को गिराकर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया था, उसी तरह 1026 ईसी में तुर्की के शासक मोहम्मद गजनी ने बेहद धनी इस मंदिर को लूट लिया था और शिवलिंग को भी नुकसान पहुंचाया था। उस वक्त कांग्रेस में सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर दो मत थे। इस मामले में पीएम जवाहर लाल नेहरू एक किनारे पर थे जबकि गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद दूसरे छोर पर थे। कहा जाता है कि महात्मा गांधी के पास जब सोमनाथ मंदिर केपुनर्निमाण की बात गई तो उन्होंने ने भी इस पर अपनी सहमति दी थी लेकिन वह चाहते थे कि इसके लिए सरकारी धन का इस्तेमाल ना किया जाए, बल्कि इसका खर्च लोगों को उठाना चाहिए। जिसके बाद सोमनाथ मंदिर के लिए ट्रस्ट बना और मंदिर का पुनर्निमाण किया गया। इस मंदिर के उद्घाटन में राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद गए थे जबकि प्रधानमंत्री नेहरू ने उन्हें इसमें शामिल न होने के लिए पत्र लिखा था। लेकिन राष्ट्रपति ने नेहरू की इस सलाह को नहीं माना। सोमनाथ में राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि दुनिया देख ले कि विध्वंस से निर्माण की ताकत बड़ी होती है। उन्होंने इस दौरान यह भी कहा था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और चर्च, मस्जिद, दरगाह और गुरुद्वारा सभी जगह जाते हैं।

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