इस हफ्ते आईपीएल से जुड़ी तीन खबरों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं जिनका संबंध सीधे तौर पर कोविड-19 से है। पहली खबर सुरेश रैना के उस बयान से सामने आई जिसमें उन्होंने आईपीएल के बायो बबल सेट-अप पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वो इस सेट अप में खुद को आरामदायक स्थिति में महसूस नहीं कर पा रहे थे। दूसरा, इसी कोविड के डर से अब तक सात खिलाड़ियों का इस लीग से नाम वापस लेना और तीसरे आबू धाबी में अचानक कोरोना के केसों में हुई वृद्धि से वहां की सरकार का सख्त होता रवैया भी आईपीएल के लिए बहुत अनुकूल नहीं है जिससे कई समस्याएं खड़ी हो रही हैं।
बीसीसीआई ने सरकारी गाइडलाइंस को और कड़ाई से पालन करने का निर्देश दे दिया लेकिन क्या हर फ्रेंचाइज़ी ओनर को यह ज़िम्मा सौंपकर वह अपनी ज़िम्मेदारी से बच सकता है। क्या आईपीएल के हाई प्रोफाइल खिलाड़ियों से यह उम्मीद की जा सकती है कि वो गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन करेंगे। यहां आलम ये है कि सुरेश रैना ही यूएई में चेन्नई सुपर किंग्स के अपने साथी खिलाड़ियों के साथ बिना मास्क के और सोशल डिस्टेंसिंग नियमों की धज्जियां उड़ाते देखे गए हैं। इतना ही नहीं, कोविड-19 टेस्ट में पॉज़ीटिव पाए गए तेज़ गेंदबाज़ दीपक चाहर ट्वीट करके यह कहते हुए देखे गए हैं कि अपने परिवार के सदस्यों के बीच क्या ज़रूरत है मास्क की। दरअसल, इसी आईपीएल में खेल रहे उनके भाई ने उनकी तस्वीर को देखकर पूछा था कि तुम्हारा मास्क कहां है और क्या हुआ तुम्हारे सोशल डिस्टेंसिंग का।
यहां सवाल ये है कि जब मुम्बई इंडियंस और राजस्थान रॉयल्स की टीमें पीपीई किट में यूएई के लिए रवाना हो सकती हैं और वहां कोविड नॉर्म्स का कड़ाई से पालन कर सकती हैं तो ऐसा बाकी टीमें भी कर सकती हैं। माना कि राजस्थान रॉयल्स के देसी खिलाड़ियों में कोई भी हाई प्रोफाइल नहीं है लेकिन मुम्बई इंडियंस की टीम में तो रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या जैसे हाई प्रोफाइल खिलाड़ी मौजूद हैं। वहीं सीएसके टीम का प्लेन में खींचा चित्र ही सोशल डिस्टेंसिंग नॉर्म्स की धज्जियां उड़ाने के लिए काफी है। इसी टीम के सपोर्ट् स्टाफ के 12 का टेस्ट पॉज़ीटिव पाया जाना इस लीग के आयोजन पर कई सवाल खड़े करता है।
सुरक्षा नॉर्म्स का पालन न करने पर बीसीसीआई या आयोजक उस खिलाड़ी या टीम पर क्या एक्शन लेंगे। क्या व्यावहारिक तौर पर ऐसा मुमकिन है। मैच के दौरान पॉज़ीटिव पाए जाने पर क्या टीम कनकशन सबस्टियूट नियम का पालन करेंगी, इस बारे में कुछ भी क्लीयर नहीं किया गया, जबकि ये मुद्दा एनसीए के डायरेक्टर राहुल द्रविड़ बहुत पहले उठा चुके हैं और इन सबसे भी बड़ा मुद्दा यह कि क्या बीसीसीआई को ऐसे कर्मियों की नियुक्ति बड़े पैमाने पर करनी चाहिए थी जो खिलाड़ियों से सख्ती से कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन कराएं और उसे न मानने पर ऐसे खिलाड़ी को 15 दिन के क्वारंटाइन में भेजने का प्रवाधान हो।
जब दूसरे विश्व युद्ध के बाद विम्बलडन का आयोजन पहली बार रोका जा सकता है, आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप और ओलिम्पिक का आयोजन एक साल के लिए आगे बढ़ सकता है तो फिर आईपीएल, सीपीएल जैसे कई टीमों वाले आयोजन क्यों हो रहे हैं, जहां सुरक्षा इंतज़ामात का ही कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा। दरअसल इंग्लैंड की टीम पहले वेस्टइंडीज़, फिर आयरलैंड, फिर पाकिस्तान और अब ऑस्ट्रेलिया से खेल रही है और सब कुछ ठीक है तो उससे यह मान लिया गया कि बाकी आयोजनों में भी ऐसा ही होगा। दरअसल लॉकडाउन के बाद इंग्लैंड में जितना भी क्रिकेट खेला गया है, वह सब द्विपक्षीय सीरीज़ थीं, जहां नियमों का कड़ाई से पालन कराया जा सकता है लेकिन क्रिकेट लीग जैसे आयोजन में जहां आठ टीमें हों और सभी फ्रेंचाइज़ी ओनर्स का पैसा लगा हो, वहां ऐसे सुरक्षा नॉर्म्स का कड़ाई से पालन करा पाना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
अब तक इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ क्रिस वोक्स और ओपनिंग बल्लेबाज़ जेसन राय दिल्ली कैपिटल्स की टीमों से हट चुके हैं। सुरेश रैना और हरभजन सिंह चेन्नई सुपर किंग्स से इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ हैरी गर्नी केकेआर से, ऑस्ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ केन रिचर्ड्सन आरसीबी से और श्रीलंका के स्पीडस्टर लसित मालिंगा मुम्बई इंडियंस से नाम वापस ले चुके हैं। यह संख्या आगे और भी बढ़ सकती है। इसी तरह जब वेस्टइंडीज़ की टीम इंग्लैंड रवाना हुई थी तो तीन प्रमुख खिलाड़ियों ने रवानगी से पहले ही अपने नाम वापस ले लिए थे। पाकिस्तान के भी कई खिलाड़ी इंग्लैंड रवानगी से पहले कोरोना पॉज़ीटिव पाए गए थे। कुल जमा मतलब यह कि हालात आदर्श क्रिकेट के अनुकूल नहीं हैं। स्लाइवा के इस्तेमाल पर रोक और बिना दर्शकों के स्टेडियम में मैच आयोजित होने जैसी बातें हाशिए पर चली गई हैं। सच तो यह है कि दुबई से आबूधाबी आते हुए वहां के स्थानीय प्रशासन की ओर से बीसीसीआई को अभी तक यह आश्वासन भी नहीं मिल पाया है कि वह अपने नियमों में आईपीएल खिलाड़ियों को ढील देंगे। व्यवस्था तो वहां अनिवार्य रूप से कोविड टेस्ट की कर दी गई है। आईपीएल का कार्यक्रम भी इसीलिए समय पर जारी नहीं हो सका क्योंकि एक समय आईपीएल गवर्निंग काउंसिल इस लीग के आबूधाबी लेग को रद्द करने के बारे में गम्भीरता से विचार करने लगी थी।
बहरहाल ये क्रिकेट की कोविड से लड़ाई है। हर कोई क्रिकेट मैचों का लुत्फ उठाने को बेताब है। उम्मीद करनी चाहिए कि अगले कुछ दिनों में इन सब समस्याओं का काफी हद तक हल निकल आएगा और क्रिकेट प्रेमियों को उच्च सतर का क्रिकेट देखने को मिलेगा।
मनोज जोशी
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और टीवी कमेंटेटर हैं)