नई दिल्ली। दिल्ली हिंसा की जांच के गठित क्राइम ब्रांच की स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ही संशय के घेरे में हैं। दिल्ली हिंसा की जांच के लिए गठित एसआईटी टीम क्राइम ब्रांच को हेड करने वाले डीसीपी पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले दिनों राष्ट्रीय राजधानी में हुई घटनाओं में दोनों ही डीसीपी जॉय तिर्की और राजेश देव पर गंभीर आरोप लगे थे। दरअसल डीसीपी राजेश देव ने दिल्ली चुनावों के समय शाहीन बाग में सीएए को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान गोली चलाने वाले युवक कपिल बैंसला को आम आदमी पार्टी का सदस्य बताया था। इस पर आम आदमी पार्टी क्राइम ब्रांच के इस खुलासे से बेहद नाराज थी। वहीं ‘आप’ की शिकायत पर चुनाव आयोग ने डीसीपी राजेश देव को कोई भी संवदेनशील पोस्टिंग न दिए जाने का आदेश जारी कर दिया। जबकि एसआईटी टीम के प्रमुख दूसरे डीसीपी जॉय ट्रिकी ने जेएनयू हिंसा में आरोपियों के फोटो रिलीज कर कहा कि ये वाम दलों से संबंधित हैं। उनमें एबीवीपी से जुड़ा कोई नाम नहीं था। हालांकि उन्होंने एबीवीपी को क्लीन चिट नहीं दी थी, लेकिन जॉय तिर्की की जांच पर विपक्ष और सिविल सोसायटी के सदस्यों ने जमकर सवाल उठाए। इन्हें लेकर तमाम नेता सवाल उठा रहे हैं। वकील प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और आप सांसद संजय सिंह सहित अन्य नेताओं ने भी एसआईटी के गठन पर सवाल खड़े कर रहे हैं। जबकि प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर लिखा जो पुलिस अफसर दिल्ली हिंसा की जांच करेंगे, वे ही जामिया और जेएनयू मामले की जांच कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने डीसीपी राजेश देव को सख्त टिप्पणी के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव से दूर कर दिया था। अब उसी डीसीपी को दिल्ली हिंसा की जांच के गठित एसआईटी का हेड बनाया गया है।