Aaj Samaj (आज समाज), Qatar Indian Navy Officer, नई दिल्ली: खाड़ी देश कतर की एक अदालत ने वहां रह रहे भारतीय नौसेना के आठ अधिकारियों को फांसी की सजा तो सुना दी है, लेकिन कतर के लिए इसे अंजाम दे पाना उतना आसान नहीं है, जितनी आसानी से सजा सुना दी गई है। भारत सरकार ने सजा के थोड़ी देर बार ही साफ कर दिया था कि कतर की अदालत के फैसले के खिलाफ हर तरह के कानूनी विकल्प का इस्तेमाल किया जाएगा।
कुलभूषण जाधव की फांसी भी रुकवाई थी
बता दें कि पाकिस्तान ने भी भारत के पूर्व नौसेना अफसर कुलभूषण जाधव को इसी तरह से मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन भारत ने इसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में अपील की और फांसी पर रोक लग गई। भारत के पास यह विकल्प कतर के मामले में भी मौजूद है। इसके अलावा कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी आठों भारतीयों को माफी दे सकते हैं। यह भी जरूरी है कि इसके लिए समय पर आवेदन करना होगा। वह साल में दो बार ऐसी सजा को माफ करते हैं और निश्चित तौर पर भारत अपील करने में देरी नहीं करेगा।
इस मामले में भी सजा कम करके आजीवन कारावास में बदली
एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व राजनयिक केपी फैबियन ने कहा है कि फिलीपींस के एक नागरिक को भी इसी तरह से मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन इस मामले में अपील की गई और कोर्ट ने सजा कम करके आजीवन कारावास में बदल दिया था। फैबियन कहते हैं कि वहां के कानूनों में इस तरह की सजा और बाद में माफ करने का रिवाज रहा है। इसके अलावा भारत से कूटनीतिक रिश्ते भी खास हैं। इस वजह से कतर के लिए आठ भारतीयों को फांसी के फंदे पर लटका देना आसान नहीं होगा।
इन नेवी अफसरों को मिली है सजा-ए-मौत
कतर की अदालत ने भारतीय नेवी अधिकारियों को सजा सुनाई है उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं। इन भारतीयों ने नौसेना में लगभग 20 साल तक काम किया है। विदेश मंत्रालय ने 26 अक्टूबर को ही साफ कर दिया था कि वह कानूनी टीम व नेवी अफसरों के परिवार के संपर्क में है और उन्हें भारत की ओर से हर तरह की कानूनी सहायता दी जाएगी। सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल किया जाएगा।
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