टोक्यो ओलंपिक में पीवी सिंधु की विजयी शुरूआत

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pv sandhu
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आज समाज डिजिटल

नई दिल्ली। भारत की पदक उम्मीद विश्व चैम्पियन पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक बैडमिंटन विमेंस सिंगल वर्ग में इस्राइल की सेनिया पोलिकारपोवा पर सीधे गेमों में आसान जीत दर्ज करके अपने अभियान की शुरूआत की। रियो ओलंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट छठी सीड प्राप्त सिंधु ने 58वीं रैंकिंग वाली इस्राइली प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 21-7, 21-10 से 28 मिनट में यह मुकाबला जीता। दुनिया की सातवें नंबर की खिलाड़ी सिंधु का सामना अब हांगकांग की चियुंग एंगान यि से होगा जो विश्व रैंकिंग में 34वें स्थान पर हैं। सिंधु ने आक्रामक शुरूआत की लेकिन एक समय 3-4 से पीछे चली गई। उन्होंने हालांकि तुरंत वापसी करते हुए सेनिया को गलती करने पर मजबूर किया और ब्रेक तक 11-5 की बढ़त बना ली। इसके बाद उन्होंने लगातार 13 अंक बनाये। अपने चिर परिचित सीधे और क्रॉसकोर्ट स्मैश का पूरा इस्तेमाल करके उन्होंने सेनिया को दबाव से निकलने का मौका ही नहीं दिया। सेनिया के एक शॉट चूकने के साथ ही सिंधु ने पहला गेम जीत लिया। दूसरी ओर घुटने पर पट्टी बांधकर खेल रही सेनिया अपनी लय हासिल करने के लिये जूझती दिखी। दूसरे गेम में सिंधु ने 9-3 की बढ़त बना ली और ब्रेक के समय सात अंक के फायदे पर थी।

ब्रेक के बाद इस्राइली खिलाड़ियों की गलतियों का सिंधू ने पूरा फायदा उठाया। शनिवार को मेंस सिंगल में भारत के सात्विक साइराज रांकिरेड्डी और चिराग शेट्टी ने दुनिया की तीसरे नंबर की जोड़ी चीनी ताइपै के यांग ली और चि लिन वांग को हराया था। वहीं बी साइ प्रणीत पहला मुकाबला हार गए थे। वहीं भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने रविवार को टोक्यो ओलंपिक में जीत से शुरूआत करने के बाद कहा कि वह पिछले पांच साल से अपनी आक्रामकता और तकनीक पर काम कर रही थी। पांच साल पहले तक सिंधु को पदक का दावेदार नहीं माना जाता था लेकिन उन्होंने रियो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करके रजत पदक जीता था। टोक्यो में इस 26 वर्षीय खिलाड़ी को भारत की तरफ से स्वर्ण पदक की सबसे बड़ी उम्मीद माना जा रहा है। सिंधु को पांच साल पहले तक अपनी आक्रामकता के लिए नहीं जाना जाता था। वह नेशनल हेड कोच पुलेला गोपीचंद थे, जिन्होंने रियो खेलों से पहले उन्हें आक्रामक खिलाड़ी के रूप में तैयार किया।