सरकार की अपील नहीं माने किसान, इस बार भी आग लगाने के मामले 10 हजार के पार पहुंचे
Punjab Pollution News (आज समाज), चंडीगढ़ : पंजाब इन दिनों गहरी धुंध और धुंए की चादर में लिपटा हुआ है। प्रदेश में सुबह और शाम को जहां घना कोहरा छा रहा है वहीं इस कोहरे में धुएं की भी बहुत ज्यादा मात्रा मौजूद रहती है। यही कारण है कि प्रदेश में कई शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत ज्यादा खराब स्थिति में चल रहा है। इन शहरों में अमृतसर, लुधियाना जैसे शहर भी हैं। कई शहरों में प्रदूषण को लेकर येलो अलर्ट जारी किया हुआ है।
धान के अवशेष जलाने से बढ़ा प्रदूषण का स्तर
प्रदेश में गहराते जा रहे प्रदूषण के पीछे वातावरण विशेषज्ञ किसानों द्वारा जलाए जा रहे धान के अवशेषों को मान रहे हैं। उनका कहना है कि पूरा साल प्रदेश की स्थिति सामान्य रहती है लेकिन अक्टूबर व नवंबर में किसानों द्वारा धान के अवशेषों में आग लगाने के बाद वायु प्रदूषण में एकदम से वृद्धि हो जाती है जिससे यह खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। दूसरी तरफ किसान अभी भी खेतों में धान के अवशेष जला रहे हैं। बुधवार को भी प्रदेश में धान के अवशेष जलाने के 179 मामले सामने आए। इसके साथ ही इस सीजन में कुल मामले 10 हजार पार करते हुए 10104 तक पहुंच गए।
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पिछले वर्षों के मुकाबले आई कमी
एक तरफ किसान खेतों में अवशेषों को आग लगा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल किसानों ने पिछले वर्षों के मुकाबले कम संख्या में धान के अवशेषों को आग लगाई है। 30 नवंबर तक की जाएगी पीपीसीबी के चेयरमैन आदर्श पाल विग के अनुसार इस बार पिछले सालों के मुकाबले करीब 70 फीसदी मामले कम रहने का संभावना है। यह सब विभिन्न विभागों के मुलाजिमों व अधिकारियों की मेहनत का नतीजा है।
किसान भी आगे की तुलना में जागरूक हुए हैं। आने वालों कुछ सालों में पंजाब में पराली जलनी बंद होगी, इसकी पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रही है कि प्रदेश के किसान धान के अवशेषों को आग न लगाकर उनका वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन करें।
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