चंडीगढ़ नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को पूरी तरह पक्षपाती और भारतीय संविधान के धर्म निरपेक्ष वाले ताने-बाने को तहस-नहस कर देने वाला कानून बताते हुए पंजाब विधानसभा में ध्वनि मत सेे इसके खिलाफ प्रस्ताव पास करके इसे रद्द करने की मांग की गई। इसके साथ ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस कानून की तुलना जर्मनी में हिटलर द्वारा खास तबके के लोगों के किए सफाए के साथ की। सदन की कार्यवाही के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि केरल की तर्ज पर पंजाब सरकार भी इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। जहां आम आदमी पार्टी ने सरकार के इस प्रस्ताव का पूरी तरह से समर्थन किया, वहीं शिअद ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि वह सीएए में मुस्लिम वर्ग को शामिल करने की मांग करते हैं और यदि एनआरसी आया तो उसका विरोध करेंगे। सदन में प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने तीखे तेवर अपनाते हुए कहा कि स्पष्ट तौर पर इतिहास से कोई सबक नहीं सीखा। उन्होंने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर (एनपीआर) से संबंधित फॉर्मों/दस्तावेजों में उचित संशोधन किए जाने तक इसका काम रोकने की अपील की है।
उन्होंने आशंका प्रकट की कि यह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का आधार है और एक वर्ग को भारतीय नागरिकता से वंचित कर देने व सीएए को अमल में लाने के लिए इसको तैयार किया गया है। प्रस्ताव को कैबिनेट मंत्री ब्रह्म महिंद्रा ने सदन में पेश किया, जिसको संविधान की धारा 14 का उल्लंघन और विभाजनकारी करार दिया गया। विधानसभा के स्पीकर राणा केपी सिंह की तरफ से इसे वोटों के लिए पेश करने से पहले इस पर सदन में गहरी विचार-चर्चा की गई। प्रस्ताव में कहा गया कि मुसलमानों और यहूदियों जैसे अन्य भाईचारों को सीएए के अंतर्गत नागरिकता देने की व्यवस्था नहीं है। प्रस्ताव के द्वारा धार्मिक आधार पर नागरिकता देने में पक्षपात को त्यागने और भारत में सभी धार्मिक समूहों को कानून के सामने बराबरी को यकीनी बनाने के लिए इस एक्ट को रद्द करने के लिए कहा गया। सदन के बाहर पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि सीएए को पंजाब या इसका विरोध कर रहे अन्य राÓयों में लागू किया जाना है, तो केंद्र सरकार को इसमें जरूरी संशोधन करने होंगे। उन्होंने कहा कि केरल की तरह उनकी सरकार भी इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ रूख करेगी। एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पंजाब की तरफ से जनगणना पुराने मापदंडों पर ही की जाएगी और केंद्र की तरफ से एनपीआर के लिए जोड़े गए नए भाग शामिल नहीं किए जाएंगे।