कहा- हरियाणा सरकार 2 महीने पहले ही अपने कोटे का सारा पानी इस्तेमाल कर चुकी
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मिली श्रुति चौधरी
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब में भाखड़ा नहर के पानी को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है। पंजाब की ओर से हरियाणा को दिए जाने वाले पानी में कटौती करनी शुरू कर दी है। अब हरियाणा को 4 हजार क्यूसिक पानी दिया जा रहा है। जबकि इससे पहले हरियाणा को प्रतिदिन साढ़े 9 हजार क्यूसिक पानी मिल रहा था, जिस कारण दोनों प्रदेशों में टकराव बढ़ गया है। पंजाब के सीएम भगवंत मान से साफ शब्दों में हरियाणा को पानी दिए जाने से मना कर दिया है।

उनका कहना है कि पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए एक बूंद भी ज्यादा पानी नहीं है। हरियाणा सरकार 2 महीने पहले ही अपने कोटे का सारा पानी इस्तेमाल कर चुकी है। अगर केंद्र सरकार को जरूरत है तो पाकिस्तान जाने से जो पानी रोका है, वह पंजाब के डैम में भर दें, हम उसे आगे हरियाणा को दे देंगे। इधर, इस मामले को लेकर हरियाणा सरकार केंद्र के पास पहुंची है। हरियाणा की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने हरियाणा में जल संकट की स्थिति पर चर्चा की।

भगवंत मान ने दिया भा भरोसा: नायब सैनी

मामले पर हरियाणा सीएम सैनी ने कहा कि 26 अप्रैल को मैंने स्वयं भगवंत मान को फोन पर बताया था कि बीबीएमबी की टेक्निकल कमेटी ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान को पानी छोड़ने का जो निर्णय 23 अप्रैल को लिया था, उसके क्रियान्वयन में पंजाब के अधिकारी आनाकानी कर रहे हैं। उस दिन सीएम मान ने मुझे स्पष्ट आवश्वासन दिया था कि वह तुरंत अपने अधिकारियों को निर्देश देकर अगले दिन सुबह तक क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे।

सीएम सैनी ने आगे कहा कि अगले दिन 27 अप्रैल को दोपहर 2 बजे तक पंजाब के अधिकारियों ने कुछ नहीं किया। यहां तक कि हरियाणा के अधिकारियों के फोन भी नहीं उठाए तो मैंने भगवंत मान को पत्र लिखकर इन तथ्यों से अवगत भी कराया था।

भ्रमित करने का प्रयास कर रहे सीएम मान

मुख्यमंत्री नायब सैनी का कहना है कि वह हैरान हैं कि 48 घंटे तक उनके पत्र का जवाब देने के बजाय सीए मान ने एक वीडियो जारी कर पंजाब में अपनी राजनीति चमकाने के लिए तथ्यों को दरकिनार किया और देश की जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया।

वर्तमान में हरियाणा को पंजाब से मिल रहा लगभग 1.8 एमएएफ पानी

केंद्र सरकार ने साल 1976 में पंजाब के 7.2 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी में से 3.5 एमएएफ पानी हरियाणा को देने नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके लिए सतलुज-यमुना को जोड़ने वाली एसवाईएल नहर परियोजना बनी। मगर, इस नहर का विरोध होने पर यहप्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका। इसके बाद साल 1981 में संबंधित राज्यों के बीच फिर जल समझौता हुआ। वर्तमान में हरियाणा को पंजाब से लगभग 1.8 एमएएफ पानी मिल रहा है। यह पानी कई जिलों को पेयजल और सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाता है।

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