आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़:
पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद फिर से एससी पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की फाइल खुल गई है। समाज कल्याण विभाग की जांच में खुलासा हुआ है कि 70 दोषी शिक्षण संस्थानों में से अधिकतर पिछली सरकार की ओर से दी गई छूट के योग्य नहीं थे।
पंजाब सरकार ने मांगा स्पष्टीकरण
अब पंजाब सरकार ने इस मामले में महाधिवक्ता कार्यालय से स्पष्टीकरण मांग लिया है। पिछली चरणजीत सिंह चन्नी सरकार ने आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले एक जनवरी को कैबिनेट बैठक में फैसला लिया था कि उन संस्थानों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए जो अब किसी भी सरकारी एजेंसी या आयोग द्वारा किसी भी जांच में दोषी सिद्ध नहीं हुए हैं।
ये भी पढ़ें : काठगढ़ बलाचौर के एसएचओ भरत मसीह लद्दड़ को क्षेत्र के लोगों ने डीएसपी पद पर पदोन्नत कर सम्मानित किया
9 प्रतिशत ब्याज से वसूली थी राशि
जिन संस्थानों के खिलाफ गलत तरीके से बांटी गई छात्रवृत्ति की राशि नौ प्रतिशत दंडात्मक ब्याज के साथ समाज कल्याण विभाग ने पहले ही वसूल कर ली थी, उन्हें यह छूट दी गई है। हालांकि हाल ही में समाज कल्याण विभाग की ओर से इस मामले की कुछ बिंदुओं पर की गई जांच में यह सामने आया है कि 70 दोषी शिक्षण संस्थानों में से अधिकांश पिछली सरकार द्वारा दी गई छूट के योग्य नहीं थे। जिसके बाद एक बार फिर से मामले को लेकर पंजाब सरकार सजग हो गई है। सरकार की ओर से इस मामले में महाधिवक्ता (एजी) के कार्यालय से स्पष्टीकरण मांगा है।
यह है पूरा मामला
यह घोटाला 2019 में पूर्व सामाजिक न्याय मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के कार्यकाल के दौरान सामने आया था, जब तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (सामाजिक न्याय) कृपा शंकर सरोज ने अपनी रिपोर्ट में अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति के वितरण में 55.71 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था। यह खुलासा किया गया कि निजी संस्थानों को 16.91 करोड़ रुपये गलत तरीके से वितरित किए गए थे।
सीबीआई कर रही है जांच
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पहले से ही इस घोटाले की जांच कर रही है। इस मामले में अभी तक कई संबंधित अधिकारियों से पूछताछ की जा चुकी है। हालांकि विधानसभा चुनाव के कारण यह घोटाला ठंडे बस्ते में चला गया था लेकिन अब नई सरकार ने एक बार फिर मामले को लेकर फाइल तलब कर ली है।