आज समाज डिजिटल, Punjab News : पंजाब कांग्रेस से असंतुष्ट चल रहे सुनील जाखड़ ने पार्टी को फेसबुक पर दिल का दर्द बयां कर अलविदा कह दिया। जाखड़ के लिए ये अचानक लिया फैसला नहीं बल्कि पहले से तैयार की गई स्क्रिप्ट को लागू करना था।
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कैप्टन के बाद उम्मीद थी सीएम बनने की
इधर, उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर चल रहा था, उधर सुनील जाखड़ के फेसबुक के माध्यम से इस्तीफा देने की बात ने सियासत में गर्मी पैदा कर दी। माना जा रहा है कि कांग्रेस को अलविदा कहने की स्क्रिप्ट नई नहीं है बल्कि सुनील जाखड़ ने पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान ही लिख ली थी। जब कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाकर चन्नी को सीएम बनाया था। फरवरी के पहले महीने में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी थी। उनका विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार था। लेकिन भतीजे के चुनाव प्रचार के दौरान जाखड़ ने दावा किया कि पिछले साल अमरिंदर सिंह के अचानक बाहर होने के बाद 42 विधायक उन्हें पंजाब का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे।
चन्नी और दलित पर टिप्पणी से बिगड़ा खेल
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सुनील जाखड़ ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद कहा था कि वह कांग्रेस का हिस्सा रहेंगे, लेकिन दलित समुदाय और पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ की गई कथित टिप्पणी से उनकी मुश्किलें बढ़ गईं। कांग्रेस के कई नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बात उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तक पहुंच गई। उन्हें हाईकमान की अनुशासनात्मक समिति ने कारण बताओ नोटिस जारी किया जिसका उन्होंने जवाब नहीं दिया। इसके बाद समिति ने उनके सभी पद छीन लेने का फरमान जारी कर दिया। तभी से वह हाईकमान से नाराज चल रहे थे।
सुनील जाखड़ का राजनीतिक सफर
अबोहर के पंजकोसी गांव में 1954 में जन्में सुनील जाखड़ 2002 से 2017 तक अबोहर निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे हैं। वह पिछली अकाली-भाजपा सरकार के दौरान पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। जाखड़ 2017 के विधानसभा चुनाव में अबोहर सीट से हार गए थे। उन्होंने 2017 में सांसद विनोद खन्ना के निधन के बाद गुरदासपुर लोकसभा सीट से सफलतापूर्वक उपचुनाव लड़ा। इसके बाद उन्हें पंजाब कांग्रेस का प्रमुख बनाया। पार्टी की तरफ से उनकी जगह नवजोत सिंह सिद्धू को ये जिम्मेदारी दे दी गई। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान जाखड़ गुरदासपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरे। लेकिन भाजपा उम्मीदवार और अभिनेता सनी देओल के हाथों 82,000 से अधिक मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
अंबिका से खासे नजर आए जाखड़
अमरिंदर सिंह के पंजाब के सीएम की कुर्सी से हटने के बाद सुनील जाखड़ का नाम अगले मुख्यमंत्री के तौर पर चल रहा था। लेकिन कथित तौर पर अंबिका सोनी ने पार्टी हाईकमान को यह संदेश दे दिया कि पंजाब में किसी सिख चेहरे को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। अंबिका सोनी के हस्तक्षेप के बाद पार्टी ने सुनील जाखड़ का नाम काटकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दे दी। सुनील जाखड़ की नाराजगी की एक बड़ी वजह हाईकमान द्वारा अंबिका सोनी को ज्यादा तरजीह देना भी है। दूसरा, वह पंजाब कांग्रेस के प्रभारी रहे हरीश रावत और मौजूदा पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी के रवैये से भी नाखुश हैं।
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