जेल में क्लर्की करेंगे नवजोत सिद्धू, 3 महीने की ट्रेनिंग के बाद मिलेगी सैलरी

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Singh Sidhu will Clerk in Jail
Singh Sidhu will Clerk in Jail

आज समाज डिजिटल, Punjab News:
पूर्व क्रिकेटर और राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू अब जेल में क्लर्की करेंगे। इसके लिए उन्हें तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद वेतन भी मिलेगा। उन्हें जेल में क्लर्क का सहायक नियुक्त किया गया है।
उल्लेखनीय है कि लगभग तीन दशक पुराने रोड रेज मामले में एक साल की जेल की सजा काट रहे नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में जेल अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने मंगलवार से काम करना शुरू कर दिया है। नवजोत सिद्धू की यह सहायक की नौकरी दो पालियों में चलेगी।

पहले सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक और फिर दोपहर के 3 बजे से शाम 5 बजे तक। जेल के नियमों के अनुसार सिद्धू को पहले तीन महीने बिना वेतन के ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद उन्हें अकुशल, अर्द्धकुशल अ‍ैर कुशल कैदी की श्रेणी में रखा जाएगा। इसके बाद ही वेतन भी तय होगा।

श्रेणी के आधार पर उन्हें लगभग 30 रुपये से 90 रुपये वेतन मिल सकता है। पंजाब जेल के एक अधिकारी ने कहा कि सिद्धू की एक साल सश्रम कारावास की सजा है। उनकी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के मद्देनजर आॅफिस के काम पर रखा गया है। अधिकारी ने कहा कि वह नौकरी करते हुए जेल रिकॉर्ड बनाए रखने में सहायता करेंगे। बता दें कि मेडिकल बोर्ड की सिफारिश पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जेल में नवजोत सिंह सिद्धू को स्पेशल डाइट की अनुमति दी है।

लीवर की समस्या से परेशान हैं नवजोत

सिद्धू के वकील एचपीएस वर्मा ने कहा कि वह खराब स्वास्थ्य स्थितियों और एलर्जी का सामना कर रहे हैं। वह गेहूं की रोटी, तैलीय भोजन और चाय का सेवन नहीं कर सकते इसलिए उन्हें विशेष आहार की अनुमति दी जाए। सिद्धू को लीवर की समस्या ग्रेड 3 और एम्बोलिज्म का भी सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सहायक रिकॉर्ड के साथ सिद्धू की मेडिकल हिस्ट्री को भी अदालत में प्रस्तुत किया था। वर्मा ने कहा कि सिद्धू खून के गाढ़ेपन का सामना करने के बावजूद दवाएं नहीं ले सके क्योंकि उन्हें विशेष आहार की जरूरत थी।

तीन दशकों पुराने केस से थे बरी, अब सजा

27 दिसंबर 1988 को पार्किंग को लेकर सिद्धू की पटियाला निवासी गुरनाम सिंह से बहस हो गई थी। सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को उनकी कार से खींचकर मारा था। बाद में उनकी अस्पताल में मौत हो गई। एक चश्मदीद ने सिद्धू पर गुरनाम सिंह के सिर पर वार कर हत्या करने का आरोप लगाया था। सिद्धू को 1999 में एक स्थानीय अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था, लेकिन 2006 में उच्च न्यायालय ने उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया और तीन साल जेल की सजा सुनाई थी।

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