चंडीगढ़/पटियाला। पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन और पूर्व वित्त मंत्री पंजाब लाल सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि मंडी बोर्ड ने न तो धान के सीजन के दौरान दूसरे राज्यों में से पंजाब आने वाले धान को राज्य की मंडियों में बिकने दिया था और न ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में भविष्य में ऐसा होने देगा।
आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल द्वारा पंजाब सरकार के साथ एकजुट होकर केंद्र के विरुद्ध किसानों के हक में मुहिम चलाने की जगह बार-बार किसानों को गुमराह किये जाने की कोशिशों पर तीखी टिप्पणी करते हुए स. लाल सिंह ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सरकार पहले दिन से ही किसानों के साथ खड़ी रही है और किसी भी सूरत में मोदी सरकार की तरफ से लाए किसान विरोधी काले कानूनों को पंजाब में लागू नहीं होने देगी।बीते समय के दौरान 72 बार मन की बात और मनमानियाँ करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों के मुद्दों पर सख़्त संज्ञान लेते हुए लाल सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में प्रधान मंत्री का फ़र्ज़ होता है कि वह लोगों की बात सुने, सिर्फ़ अपने मन की करना तो तानाशाही की निशानी है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने तो हिटलर को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुखद है कि इतनी सर्दी और बारिश में अपनी माँगों के लिए दिल्ली की सरहदों पर धरना दे रहे किसानों की हालत पर भी मोदी को दया नहीं आई। उन्होंने प्रधान मंत्री से विनती की कि वह अपना ज़िद्दी रवैया छोड़ कर किसानों के मन की बात को समझकर इन काले क़ानूनों को वापिस लें।
पंजाब के सभी विरोधी पक्षों को इस अहम मुद्दे पर राजनीति खेलने की जगह एकजुट होकर केंद्र के विरुद्ध एकसाथ होने का न्योता देते हुए लाल सिंह ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में भाजपा को छोड़ पंजाब के सभी विधायकों की तरफ से सर्वसम्मति से मोदी सरकार के इन काले कानूनों के विरुद्ध प्रस्ताव पास करने से किसानी संघर्ष को बड़ा बल मिला था। उन्होंने कहा कि कुछ घंटों में ही विरोधी पक्षों की तरफ से इस मामले में राजनीति खेले जाने ने किसानों के अंदर राजनैतिक पार्टियों के प्रति विश्वास पर गहरी चोट मारी। इसका निष्कर्ष यह निकला कि किसानों ने हर राजनैतिक पार्टी से दूरी बना ली।
लाल सिंह ने कहा कि किसानों द्वारा सूझबूझ और धैर्य के साथ चलाए जा रहे संघर्ष ने किसानों की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुलंद किया है। उन्होंने कहा कि अब मोदी सरकार का सारा तंत्र जिसमें मीडिया का एक हिस्सा भी शामिल है इस संघर्ष को कमज़ोर करने की ताक में है। स. लाल सिंह ने कहा कि ऐसे समय में पंजाब की सभी राजनैतिक पार्टियाँ और नेताओं की यह जि़म्मेदारी बन जाती है कि वह इन कोशिशों के विरुद्ध एकजुट हो जाएँ।
लाल सिंह ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि पंजाब का कोई भी राजनैतिक नेता चाहे वह किसी भी पार्टी का हो किसान और मज़दूर के विरुद्ध सपने में भी नहीं सोच सकता इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि हम अपनी राजनैतिक जोड़-तोड़ को एक तरफ़ रखकर इस समय इन काले कानूनों को रद्द करवाने की दिशा में काम करें और ऐसा होने तक आपसी तकरार को लगाम लगा दें। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग समझदार हैं और इस मुद्दे पर भी यदि कोई राजनीति खेलेगा तो उसे सिरे से नकार दिया जायेगा।
आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल द्वारा पंजाब सरकार के साथ एकजुट होकर केंद्र के विरुद्ध किसानों के हक में मुहिम चलाने की जगह बार-बार किसानों को गुमराह किये जाने की कोशिशों पर तीखी टिप्पणी करते हुए स. लाल सिंह ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सरकार पहले दिन से ही किसानों के साथ खड़ी रही है और किसी भी सूरत में मोदी सरकार की तरफ से लाए किसान विरोधी काले कानूनों को पंजाब में लागू नहीं होने देगी।बीते समय के दौरान 72 बार मन की बात और मनमानियाँ करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों के मुद्दों पर सख़्त संज्ञान लेते हुए लाल सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में प्रधान मंत्री का फ़र्ज़ होता है कि वह लोगों की बात सुने, सिर्फ़ अपने मन की करना तो तानाशाही की निशानी है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने तो हिटलर को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुखद है कि इतनी सर्दी और बारिश में अपनी माँगों के लिए दिल्ली की सरहदों पर धरना दे रहे किसानों की हालत पर भी मोदी को दया नहीं आई। उन्होंने प्रधान मंत्री से विनती की कि वह अपना ज़िद्दी रवैया छोड़ कर किसानों के मन की बात को समझकर इन काले क़ानूनों को वापिस लें।
पंजाब के सभी विरोधी पक्षों को इस अहम मुद्दे पर राजनीति खेलने की जगह एकजुट होकर केंद्र के विरुद्ध एकसाथ होने का न्योता देते हुए लाल सिंह ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में भाजपा को छोड़ पंजाब के सभी विधायकों की तरफ से सर्वसम्मति से मोदी सरकार के इन काले कानूनों के विरुद्ध प्रस्ताव पास करने से किसानी संघर्ष को बड़ा बल मिला था। उन्होंने कहा कि कुछ घंटों में ही विरोधी पक्षों की तरफ से इस मामले में राजनीति खेले जाने ने किसानों के अंदर राजनैतिक पार्टियों के प्रति विश्वास पर गहरी चोट मारी। इसका निष्कर्ष यह निकला कि किसानों ने हर राजनैतिक पार्टी से दूरी बना ली।
लाल सिंह ने कहा कि किसानों द्वारा सूझबूझ और धैर्य के साथ चलाए जा रहे संघर्ष ने किसानों की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुलंद किया है। उन्होंने कहा कि अब मोदी सरकार का सारा तंत्र जिसमें मीडिया का एक हिस्सा भी शामिल है इस संघर्ष को कमज़ोर करने की ताक में है। स. लाल सिंह ने कहा कि ऐसे समय में पंजाब की सभी राजनैतिक पार्टियाँ और नेताओं की यह जि़म्मेदारी बन जाती है कि वह इन कोशिशों के विरुद्ध एकजुट हो जाएँ।
लाल सिंह ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि पंजाब का कोई भी राजनैतिक नेता चाहे वह किसी भी पार्टी का हो किसान और मज़दूर के विरुद्ध सपने में भी नहीं सोच सकता इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि हम अपनी राजनैतिक जोड़-तोड़ को एक तरफ़ रखकर इस समय इन काले कानूनों को रद्द करवाने की दिशा में काम करें और ऐसा होने तक आपसी तकरार को लगाम लगा दें। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग समझदार हैं और इस मुद्दे पर भी यदि कोई राजनीति खेलेगा तो उसे सिरे से नकार दिया जायेगा।