Punjab lost 88 percent of revenue in April: पंजाब को अप्रैल में 88 फीसदी राजस्व का नुकसान हुआ

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चंडीगढ। पंजाब को अप्रैल, 2020 के दौरान 88 फीसदी तक हुए राजस्व घाटे का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्य को इस दौरान विभिन्न टैक्स राजस्व से कोई आय नहीं हुई। पंजाब में मौजूदा समय मेें कुल औद्योगिक इकाइयों का लगभग 1.5 हिस्सा ही कार्यशील है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से सहायता की अनुपस्थिति के कारण पंजाब मुश्किल वित्तीय हालातों का सामना कर रहा है।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की प्रधान सोनिया गांधी सहित पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कांग्रेस के नेतृत्व वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वीडियो कॉनफ्रेंस में शिरकत करते हुये कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब की तरफ से कोविड की रोकथाम के लिए अपनाई जा रही नीति व राज्य के वित्तीय ढांचे के पुन: निर्माण के लिए उठाए जा रहे कदमों संबंधी विस्तार में जानकारी दी।
मीटिंग के दौरान सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री को पंजाब के किसानों को फसलों को खरीद के सुखद सीजन के लिए बधाई देने के लिए कहा। मुख्यमंत्री ने बताया कि मंडियों में अब तक 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आमद पहले ही हो चुकी है और खरीद की प्रक्रिया चल रहे मई महीने के अर्ध तक मुकम्मल होने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अप्रैल के दौरान 3360 करोड़ का राजस्व एकत्रित होने की उम्मीद के उल्ट केवल 396 करोड़ की ही आय हुई है और बिजली का उपभोग 30 फीसदी तक घटने के कारण पंजाब राज्य बिजली निगम लिमिटेड को बिजली दरों में रोजमर्रा के 30 करोड़ का घाटा हो रहा है। उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से राज्य के जीएसटी के 4365.37 करोड़ के बकाए की भी अदायगी भी अभी तक नहीं की गई।
उन्होंने बताया कि राज्य को वित्तीय और औद्योगिक पक्ष से फिर से पैरों पर करने के लिए मोंटेक सिंह आहलूवालीया के नेतृत्व में माहिर समूह की प्राथमिक रिपोर्ट अगामी तीन महीनों में मिलने की संभावना है, जिसके बाद एक महीने में इसको मुकम्मल अंतिम रूप दिया जाएगा। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि ऐसे मुश्किल भरे वित्तीय हालात के बावजूद पंजाब सरकार लोगों को व्यक्तिगत तथा सामाजिक स्तर पर कोरोना की रोकथाम के लिए तैयार रखने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है। साथ ही कहा कि कोविड-19 के खतरे के साथ जूझने के लिए स्वास्थ्य ढांचे को समय का साथी बनाने और फिर से योजनाबंद्धी के लिए हर संभव यत्न किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री की तरफ से अपनी राय रखी गई कि रेड, ओरेंज और ग्रीन जोनों के वर्गीकरण का फ़ैसला राज्यों पर छोड़ देना चाहिए, जिससे डिप्टी कमिशनरों को जमीनी हकीकतों के अनुसार क्षेत्रों की निशानदेही के लिए अधिकृत किया जा सकता है। पटियाला को रेड जोन ऐलाने जाने की मिसाल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य तौर पर दूध का उत्पादन करने वाला नाभा भी इस जिले का ही हिस्सा है। पंजाब में इस मौके पर चार कंटोनमेंट जोन और चार रेड जोन जिले हैं। इसके अलावा 15 जिले ओरेंज जोन में और बाकी रहते तीन ग्रीन जोन में हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्य में कोविड की स्थिति संबंधी भी बताया कि जहां अब तक 1451 पॉजिटिव केस सामने आए हैं और 25 मौतें हुई हैं, जो कि 1.72 प्रतिशत की मौत दर बनती है। उन्होंने कहा कि पंजाब से बाहर रहते पंजाबियों की राजस्थान और महाराष्ट्र से राज्य में वापसी होने के बाद मामलों में एकदम विस्तार हुआ है। नांदेड़ से लौटे 4200 से अधिक व्यक्तियों में से 969 केस पॉजिटिव आए हैं। उन्होंने बताया कि एक बार ऐसे सभी व्यक्तियों की टेस्टिंग मुकम्मल होने के बाद अगले 3-4 दिनों में स्थिति में सुधार होने पर यह विस्तार खत्म होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि वापस लौटने वाले हरेक व्यक्ति की जांच करके एकांतवास में रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने राज्य में वापस लौटने वालों खास कर भीड़ वाले समुद्री जहाजों के द्वारा खाड़ी मुल्कों से कामगारों की वापसी के साथ राज्य में रोग फैलने के बड़े खतरे के बारे भी चेतावनी दी है। उन्होंने खुलासा किया कि प्रवासी पंजाबियों खास कर कामगारों के चार समुद्री जहाज अगले कुछ दिनों में पहुंचने की उम्मीद है जबकि एनआरआईज को लेकर पहला जहाज वीरवार को पहुंचने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि लगभग 20,000 अंतरराष्ट्रीय मुसाफिरों के अगले 2-3 हफ्तों में पंजाब पहुंचने की उम्मीद है और बाकी राज्यों से भी अगले दिनों में करीब 12,000 पंजाबी आ रहे हैं। पंजाब से प्रवासी मजदूरों की तरफ से अपने गृह राज्योंं में वापस जाने की जाहिर की इच्छा के बारे में उन्होंने खुलासा किया कि अब तक 10 लाख मजदूर रजिस्टर्ड हो चुके हंै, जिनमें से 85 प्रतिशत यूपी और बिहार से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इन कामगारों के रेल सफर के किराए के लिए 35 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।
मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि उनकी सरकार की तरफ से इस वायरस के फैलाव की रोकथाम के लिए व्यापक रणनीति तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि वापस लौटने वाले सभी व्यक्तियों को एक हफ्ते के लिए एकांतवास में रखा जाएगा, जब तक कि उनका वायरस के लिए टेस्ट नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि टेस्टिंग में नेगेटिव सिद्ध होने वाले व्यक्तियों को और दो हफ्तों के लिए एकांतवास में रखा जाएगा जबकि पॉजिटिव मामलों वालों को कंटोनमेंट वार्डों में रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में रोजमर्रा के 2500 रेगुलर टेस्ट किए जा रहे हैं और अब तक 30199 टेस्ट किए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने उनकी सरकार की तरफ केंद्र सरकार के पास उठाए मुद्दों को भी सांझा किया। इन मुद्दों में जीएसटी का बकाया, अगले तीन महीनों के लिए राजस्व अनुदान की मांग, 15वें वित्त आयोग की तरफ से मौजूदा वर्ष की रिपोर्ट की समीक्षा करने समेत अन्य मामले शामिल हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार प्रवासी मजदूरों समेत कृषि और औद्योगिक दिहाड़ीदारों तथा गरीबों के लिए भी राहत की पैरवी कर रही है, जो कि नौकरियां/रोजगार छिनने के कारण बुरी तरह पीडि़त हैं। उन्होंने कहा कि राज्य ने सूक्ष्म, लघु और दर्मियाने उद्योगों व बिजली सेक्टर के लिए भी तत्काल राहत की मांग की है।