चंडीगढ़। मध्य प्रदेश में अनुसूचित जन जातीय ब्लॉक में से 500 सिखों को बेदखल करने की रिपोर्टों पर चिंता जाहिर करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को इस मामले संबंधी तथ्यों की पड़ताल करने और पता लगाने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। यह भी यकीनी बनाने के लिए कहा है कि बेदखल किए गए सिख बेघर न हों या उनको कोई परेशानी पेश न आए। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मुद्दे संबंधी टेलिफोन पर बातचीत के दौरान मध्य प्रदेश के मु यमंत्री कमल नाथ को अपने इस फैसले संबंधी अवगत कराया। राजस्व मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ और विधायक कुलदीप वैद व हरमिंदर सिंह गिल इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार इस प्रतिनिधिमंडल में कमिश्नर पटियाला डिवीजन दीपिंदर सिंह, डायरेक्टर लैंड रिकॉर्डस कैप्टन करनैल सिंह, राजस्व कंसलटेंट नरिंदर सिंह संघा भी शामिल होंगे।
सिखों के पुनर्वास संबंधी वैकलिप्क प्रबंध करें
मध्य प्रदेश के अपने समकक्ष से बातचीत के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री ने उनको इन 500 सिखों के पुनर्वास संबंधी वैकल्पिक प्रबंध करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जन जातीय जमीनी सुरक्षा और कानूनों के कारण अगर इन सिखों का उसी क्षेत्र में पुनर्वास करना संभव नहीं था, जहां वह पिछले दो दशकों से रह रहे थे, तो उनके पुनर्वास के लिए उपयुक्त जमीन मुहैया करवाई जानी चाहिए। प्रवक्ता ने बताया कि कमल नाथ ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार यह यकीनी बनाने के लिए हर संभव यत्न करेगी कि सिखों को उनका बनता हक मिले और उनको किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। यह समस्या मध्य प्रदेश सरकार द्वारा माफिया और नाजायज कब्जों के खिलाफ मौजूदा मुहिम के नतीजे के तौर पर सामने आई है। मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि यह सिख शीओपुर जिले की करहल तहसील के नोटिफाइड कबीले के ब्लॉक में जमीनों पर नाजायज कब्जा करके रह रहे थे, परंतु वास्तव में पंजाब और हरियाणा के निवासी यह सिख इस जमीन पर नाजायज कब्जे करने के दोषों से इनकार करते हैं और कहते हैं कि उन्होंने यह जमीन, कृषि प्लॉटों समेत नब्बे के दशक में खरीदी थी।
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