पटियाला।पंजाब सरकार ने हिंदी अखबार की तरफ से दो तस्वीरों छाप कर, एक की लाश को 12 घंटे से फ़र्श पर पड़ी होने और दूसरे व्यक्ति के घंटों तक तड़पते रहने बारे लगाई ख़बर को भ्रम पूर्ण, बिना -आधार पर ग़ैरसंजीदा और तथ्यों से रहित इकरार देते, इस का गंभीर नोटिस लिया है। पंजाब सरकार के अधिकारत वक्ता ने आज यहाँ बताया कि यह बहुत ही अफ़सोसनाक बरताव है, जो कि पत्रकारिता के उच्च आदर्शों और नैतिकता का घान है जिस के लिए बनती कानूनी कार्यवाही करन पर विचार किया जा रहा है।
वक्तो ने आगे बताया कि पत्रकार ने जीते व्यक्ति को मरा करार दे कर और दूसरे मरीज़ बारे ज़मीनी हकीकतों को दर किनार करते ग़ैर संजीदा पत्रकारिता का सबूत दिया है, जिस के साथ दो इंसानी जानें और उन के परिवारों के लिए सामाजिक तौर पर बड़ी मुश्किल और बेचैनी पैदा कर दी है।
तस्वीर में दिखाऐ गए दोनों व्यक्तियों के जीते जागते होने की पुष्टि करते कोविड केयर सैंटर इंचार्ज और मैडीकल शिक्षा और खोज के अधिक सचिव सुरभी मलिक और मैडीकल सुपरडैंट डा. पारस कुमार पांडव ने बताया कि इन में से एक बुज़ुर्ग सुखदेव सिंह जो कि  शकी मरीज़ों के लिए बनाऐ वार्ड में दाख़िल थे, को हस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है और वह अपने घर ठीक -ठाक हैं, जिसकी पुष्टि उस के पुत्र लाभ सिंह ने भी की है।  मरीज़ के कमज़ोरी या किसी ओर कारण गिरने की घटनें को जाँच पड़तालने से बिना ही उछाल देना मानक पत्रकारिता का हिस्सा नहीं कहा जा सकता।
दूसरे मरीज़ किरनदीप कौर, जिसकि फोटो में रणजीत कौर बताकर उसकी लाश 12 घंटे फर्श पर पड़ी रहने का दावा किया गया है, बारे जानकारी देते ऐम.ऐस. डा. पांडव ने बताया कि यह महिला मिर्गी के दौरों की बीमारी से पीडित है और अब एमरजैंसी के मैडिसन वार्ड में इलाज अधीन है।
इस महिला के पति सन्दीप सिंह का कहना है कि उस ने अपनी पत्नी को बुख़ार रहने कारण यहाँ लाया था, जहाँ उसे कोरोना शकी मरीज़ों के वार्ड में रखने बाद टैस्ट नेगेटिव आने पर यहाँ तबदील कर दिया गया। उसने बताया कि उसकी पत्नी दिनों -दिन सेहतमन्द हो रही है। उस का कहना है कि हो सकता है कि किसी दौरे या ओर कारण कोविड शकी वार्ड में उस की पत्नी अचानक बिस्तरे से गिरी हो परन्तु जिस तरह अखबार में इसको लाश लिखा गया है, वह बिल्कुल गलत है।
दोनों आधिकारियों ने कहा कि किसी मरीज़ के गिरने की घटनें को सनसनीखेज़ बनाते हुए लाश के साथ तुलना कर देना बहुत ही मन्दभागा है। कोविड केयर इंचार्ज सुरभी मलिक ने कहा कि पत्रकारिता का पेशा बहुत ही ज़िंंमेंवारी वाला होता है, इस को इस तरह सनसनी भरपूर बनाने बहुत ही अफ़सोसनाक बरताव है। उन कहा कि पत्रकार का फ़र्ज़ बनता था कि किसी जीवित व्यक्ति को मुर्दा कह कर ख़बर या तस्वीर छापने से पहले उस के परिवार के पास से भी पुष्टि कर ली जाती।
उन्हों ने इन फ़र्श पर गिरे मरीज़ों की तस्वीरों खींचने वालों की तंग मानसिकता पर सवाल करते कहा कि किसी बीमार व्यक्ति को संभालने की बजाय, उस की तस्वीरों खींच कर सनसनी फैलाने से बड़ा मानवी संवेदना से रहित कोई जुर्म नहीं हो सकता।
मैडीकल सुपरडैंट का कहना है कि सरकारी राजिन्दरा हस्पताल एक  ऐसा हस्पताल है जो पंजाब साथ-साथ हरियाणा से आने वाले मरीज़ों को भी संभाल रहा है। उन कहा कि दौरे वाला मरीज़ बेहोश हो कर गिरने के मामले को मृतक के साथ तुलना करना सब से बड़ा अपराध है।
डिप्टी कमिश्नर कुमार अमित ने समूचे मामले पर हैरानी प्रकट करते कहा कि ज़िला प्रशासन की तरफ से बार -बार अफ़वाहों न फैलाने की अपीलों की यदि समाज के ज़िम्मेदार समझे जाते एक वर्ग के साथ सम्बन्धित कर्मी की तरफ से ही उल्लंघन करके, अफ़वाहों को लंबाई देने की हरकत की जायेगी तो हम समाज के बाकी लोगों को क्या संदेश देंगे।
कुमार अमित ने कहा कि ज़िला प्रशासन इस सम्बन्धित बनती कार्यवाही करेगा जिससे लोगों में सहम के हालात बनने से रोके जा सकें। उन कहा कि वह ख़ुद रोज़मर्रा की कोविड मरीज़ों की स्थिति का जायज़ा लेते हैं और राजिन्दरा हस्पताल का दौरा भी करते हैं। उन कहा कि कोविड के इस माहौल में किसी सेहत संस्था को इस तरह बदनाम करना किसी भी पक्ष से सही नहीं है।