नेता बोले 1966 में किया था जल्द चंडीगढ़ पंजाब को सौंपने का वादा, अभी तक नहीं हुआ पूरा
Punjab Political News (आज समाज), चंडीगढ़ : चंडीगढ़ पर हक को लेकर पंजाब और हरियाणा एक बार फिर से आमने-सामने आ चुके हैं। दोनों राज्य पिछले कई दशक से चंडीगढ़ पर अपना-अपना हक जताते रहे हैं। बुधवार को एक बार फिर से पंजाब के नेताओं ने चंडीगढ़ पर अपना पूरा हक जताते हुए इसे जल्द से जल्द पंजाब को सौंपने की मांग की।
दरअसल बुधवार को जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चंडीगढ़ में हरियाणा की अलग विधानसभा बनाने को मंजूरी दे दी तो पंजाब की सियासत भी गर्मा गई। एनजीटी ने हरियाणा की अलग विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में 10 एकड़ जमीन देने की मंजूरी दे दी। इस पर पंजाब के अलग-अलग राजनीतिक दलों ने आलोचना शुरू कर दी है। हरियाणा विधानसभा की नई इमारत को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है।
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58 साल बाद भी नहीं मिला चंडीगढ़ : मान
पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार की पूर्व मंत्री व विधायक अनमोल गगन मान ने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि 1966 में जब हरियाणा को पंजाब से काटकर अलग राज्य बनाया गया था उस समय वादा किया गया था कि कुछ वक्त बाद चंडीगढ़ पंजाब को सौंप दिया जाएगा। जब तक हरियाणा अपनी अलग राजधानी नहीं बना लेता तब तक चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश रहेगा। लेकिन आज 58 साल हो गए चंडीगढ़ पंजाब को नहीं सौंपा गया।
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एनजीटी का फैसला बिल्कुल गलत : बाजवा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि पंजाब के 22 गांवों को उजाड़कर चंडीगढ़ को बसाया गया था। पंजाब व हरियाणा के बंटवारे के समय चंडीगढ़ को अस्थायी तौर पर दोनों की राजधानी बनाकर यहां से शासन और प्रशासनिक कार्यों के संचालन के लिए बंदोबस्त किया गया था। चंडीगढ़ में हरियाणा का विधानसभा बनाने का फैसला बिल्कुल गलत है।
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