protest against the 8th board exam हरियाणा में आठवीं की बोर्ड परीक्षा के विरोध में एकजुट हुये प्रदेश के निजी स्कूल्स

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protest against the 8th board exam

आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़ :
protest against the 8th board exam :
हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश में थोपी गई आठवी कक्षा की बोर्ड की परिक्षा के विरोध में हरियाणा के विभिन्न प्राईवेट स्कूल संघ एकजुट हो गए हैं। निजी स्कूलों के प्रतिनिधियों का मानना है कि सरकार का यह तुगलकी फरमान स्कूली प्रबंधन के साथ-साथ विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों तक को गवारा नहीं हैं जिसका वे विरोध करते हैं।

बुधवार को चंडीगढ़ प्रैस कल्ब में आयोजित एक प्रैस कांफ्रेंस के दौरान प्रदेशभर के निजी स्कूलों की ऐसोसिएशनों जैसे हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल्स कांफ्रेंस (एसपीएससी), हरियाणा युनाईटिड स्कूल्स ऐसोसियेशन (एचयूएसए), हरियाणा प्राईवेट स्कूल्स ऐसोसियेशन (एचपीएसए), करनाल इंडिपेंडेंट स्कूल्स ऐसोसियेशन (केआईएसए) और रिकोगनाईज्ड एनऐडिड प्राईवेट स्कूल्स ऐसोसियेशन (आरयूपीएसए) के प्रतिनिधियों ने सरकार के इस प्रस्ताव के खिलाफ धावा बोला और अपनी स्थिति स्पष्ट की।

प्रैस वार्ता को संबोधित करते हुए एचपीएससी के उपाध्यक्ष सुरेश चन्द्र ने बताया कि सरकार का फरमान पूर्ण रूप से नियमों के विरुद्ध था जिसको लेकर निजी स्कूलों द्वारा जब कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो सरकार ने हाथो हाथ इस आदेश को वापिस ले लिया और शिक्षा के अधिकार (राईट टू एज्यूकेशन) 2011 में 17 जनवरी को संशोधन कर दुबारा से स्कूलों पर थोपने का काम किया है।

विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों पर आर्थिक और बोर्ड परीक्षा का मानसिक बोझ गवांरा नहीं: निजी स्कूल्स protest against the 8th board exam

सुरेश चन्द्र ने कहा कि वे इस मंदी के दौर में विद्यार्थियों पर आर्थिक और परीक्षा के दवाब को लेकर मानसिक बोझ डालने के हक में नहीं हैं। आठवीं की बोर्ड परिक्षा का गठन कर आर्थिक बदहाली झेल रहा शिक्षा बोर्ड स्कूलों और अभिभावकों में आर्थिक बोझ डाल रहा है।

प्रति विद्यार्थी की रजिस्ट्रेशन के नाम पर पांच हजार रुपये का शुल्क, एनरोलमेंट पर एक सौ रुपये और वार्षिक परीक्षा शुल्क के लिये 450 रुपये निरधारित कर बोर्ड ने पैसे कमाने का एक जरिया बना लिया है जिसे स्कूलों और अभिभावकों को बिल्कुल मंजूर नहीं है। उन्होंनें कहा कि अन्य शिक्षा बोर्डो से संबंधित स्कूलों में युगों से चली आ रही परम्परा जोकि नियमानुसार और संबंधित बोर्ड के आदेशानुसार क्रियान्वित है तो सरकार और बोर्ड उनसे छेडखानी क्यों कर रही है।

सुरेश चन्द्र ने सरकार को घेरते हुए आरोप लगाए हैं कि दरअसल हरियाणा स्कूल एज्यूकेशन बोर्ड ने कोरोना काल में पूर्ण रूप से एज्यूकेशन सर्टिफिकेट बेचने का काम किया है और असेसमेंट (स्कूलों द्वारा की गई आंतरिक मूल्यांकन) में पांच गुणा अंक देकर वाले फामूर्ला लगाकर लगभग साठ हजार बच्चों को बेहतरीन अंक देकर वाहावाही लूटी है।

गत दिनों हरियाणा के शिक्षामंत्री कंवरपाल गुज्जर द्वारा जारी ब्यान जिसमें हरियाणा में पांचवी और आठवीं की बोर्ड की परीक्षायें न लेने का दृढ़ संकल्प लिया गया था, का हवाला देते हुये सुरेश चन्द्र ने कहा कि यदि बोर्ड घटते राजस्व की तंगी झेल रहा है तो उसे शिक्षा के अधिकार के नियम से झेड़खानी व अपनी मनमानी करते हुये आठवीं के विद्यार्थियों को अपना शिकार नहीं बनाना चाहिये बल्कि अन्य विकल्प तलाशने चाहिये जो कि बोर्ड के साथ साथ स्कूलों, विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के हित में भी हो।

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