अरुण कुमार। लुधियाना/चंडीगढ़, 13 जुलाई: पंजाब पुलिस ने 4 व्यक्तियों की गिरफ्तारी के साथ पाकिस्तान से चलाए जा रहे नशों और गैर-कानूनी हथियारों की तस्करी वाले रैकेट का पदार्फाश किया है, जिनमें जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में तैनात एक बीएसएफ सिपाही भी शामिल है। सिपाही सुमित कुमार उर्फ ह्यनोनीह्ण से विदेशी हथियार के तौर पर 9 मिलिमीटर की तुर्की की बनी जिगाना पिस्तौल समेत 80 जीवित कारतूस (जिन पर पाकिस्तान आॅडीर्नैंस फैक्ट्री (पीओऐफ) के निशान उकेरे हुए हैं), दो मैगजीन और 12 बोर की बंदूक के दो जीवित कारतूस समेत 32.30 लाख रुपए की ड्रग मनी बरामद की गई है।
डीजीपी दिनकर गुप्ता के अनुसार सिपाही सुमित कुमार उर्फ ह्यनोनीह्ण, गाँव मगर मुडिय़ां थाना दोरांगला, जिला गुरदासपुर समेत तीन अन्य सिमरजीत सिंह उर्फ ह्यसिम्माह्ण, मनप्रीत सिंह और अमनप्रीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिनके विरुद्ध आइपीसी की धारा 302, 506, 341, 120 बी, 212 और 216, 25 आर्मस एक्ट के अधीन थाना करतारपुर जिला जालंधर में मामला दर्ज किया गया है। अमनप्रीत सिंह, सिमरनजीत सिंह और सुखवंत सिंह, सभी निवासी गाँव धीरपुर, के खिलाफ पहले ही जगजीत सिंह के कत्ल का केस दर्ज किया गया है।
डीजीपी ने बताया कि जालंधर (ग्रामीण) पुलिस ने अमनप्रीत सिंह को 11 जुलाई को जगजीत के कत्ल केस में गिरफ्तार किया था और जांच के दौरान अमनप्रीत ने खुलासा किया कि वह और उसका भाई पाकिस्तान के एक तस्कर शाह मूसा के साथ भारत-पाक सरहद से हथियार और नशा-तस्करी के लिए संपर्क में थे।
अमनप्रीत ने खुलासा किया कि वह मनप्रीत सिंह और जम्मू कश्मीर की सरहद पर तैनात बीएसएफ के एक सिपाही के द्वारा शाह मूसा के साथ संपर्क में आए थे। उसने कहा कि सिपाही सुमित कुमार इससे पहले एक कत्ल केस की सुनवाई के दौरान गुरदासपुर जेल में बंद था, जहाँ वह मनप्रीत सिंह पुत्र गुरबचन सिंह निवासी गाँव दारापुर थाना भैनी मियां खां जिला गुरदासपुर के संपर्क में आया था।गुप्ता ने बताया कि सीमा पार से नशों और हथियारों की तस्करी करने की साजिश गुरदासपुर जेल में रची गई थी। मनप्रीत ने आगे अमनप्रीत, सिमरनजीत और सुखवंत को सिपाही सुमित कुमार से अवगत करवाया था।
इन खुलासों के बाद जालंधर ग्रामीण पुलिस ने सिमरजीत और मनप्रीत को 12 जुलाई को गिरफ्तार किया था, जबकि डीजीपी पंजाब ने शनिवार (11 जुलाई) को डीजी बीएसएफ के पास निजी तौर पर यह मामला उठाने के बाद सिपाही सुमित कुमार को बीएसएफ के तालमेल करके गिरफ्तार कर लिया था।डीजीपी ने कहा कि सुमित ने सीमा पार से बार-बार नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी में अपने शामिल होने का खुलासा किया है। पहली बार उसने सरहदी बाड़ के द्वारा 15 पैकेट हैरोइन प्राप्त करने और आगे भेजने में सहायता की थी, जबकि दूसरी बार उसने 25 पैकेट हैरोइन और सरहद पर 9 मिलिमीटर की एक जिगाना पिस्तौल भारत-पाक सरहदी बाड़ के द्वारा प्राप्त की, जहाँ उसे तैनात किया गया था। कुछ अंजाने व्यक्तियों को यह हैरोइन देने के बाद उसने पिस्तौल अपने पास रख ली थी। सुमित को नशीले पदार्थों और हथियारों की खेपों की सफलतापूर्वक प्राप्ति और आगे भेजने के तौर पर 39 लाख रुपए मिले थे, जिसमें से पहले 15 लाख रुपए और फिर 24 लाख रुपए की दो किस्तों में उसे यह पैसे मिले थे।
डीजीपी पंजाब ने आगे कहा कि अब तक की गई जांच में यह खुलासा हुआ है कि हत्या कांड में जमानत मिलने के बाद सिपाही सुमित कुमार को सांबा सैक्टर में एक गार्ड टावर में तैनात किया गया था, जहाँ से वह पाकिस्तान के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सरहद पर निगरानी रखता था और सरहद पार से तस्करी करने वाले मनप्रीत सिंह और सुखवंत सिंह के संपर्क में रहता था और आगे से यह दोनों पाकिस्तान के शाह मूसा के साथ संपर्क रखता था।मोड्यूल के काम करने का विवरण देते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि नशे की खेपें और हथियारों की फोटो पाकिस्तान से प्राप्त होने के बाद मनप्रीत सिंह और सुखवंत सिंह अपने मोबाइल फोन से सिपाही सुमित कुमार को भेजते थे। दूसरी और सुमित इधर से सरहदी कँटीली तार की तस्वीरें, उस स्थान का स्क्रीन-शॉट, सरहदी पिल्लर के नंबर और इलाके के आस-पास के गाँवों का विवरण सरहद पार करने वाले तस्करों / सहयोगियों को भेजता था, जो बदले में पाकिस्तानी तस्कर के साथ डिलीवरी के लिए तालमेल करते थे।
डीजीपी ने कहा कि बाद में खेप की सुपुर्दगी के लिए पूर्व-निर्धारित तारीख और समय पर पाकिस्तानी तस्करों द्वारा अपना आदमी आम तौर पर दोपहर को स्थान की टोह लेने और सुमित कुमार से संपर्क स्थापित करने के लिए भेजा जाता था। उन्होंने कहा कि फिर उसी रात ही पाकिस्तानी तस्कर सिपाही सुमित कुमार की शिफ्ट ड्यूटी के दौरान पहले से निर्धारित जगह पर आते थे और रौशनी का फ्लैश करने के रूप में सुमित से हरी झंडी मिलने के बाद ड्रग / हथियारों की खेप को सरहद की बाड़ के ऊपर से फेंक देते थे। सुमित बाद में इस खेप को प्राप्त करके आगे देने के लिए नजदीकी झाडिय़ों में छुपा देता था।गुप्ता ने कहा कि बाद में सुमित अगली शिफ्ट के दौरान अगले दिन प्रात:काल 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक अपने साथियों के दिशा-निदेर्शों पर अपने गार्ड टावरों से लगभग 50 मीटर की दूरी पर यह खेप सौंप देता थी। डीजीपी ने कहा कि मामले की अगली जांच अभी जारी है।