Programs in Uchana
आज समाज डिजिटल, अंबाला:
Programs in Uchana : एक समय में हरियाणा की कांग्रेस की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले चौधरी बीरेंद्र सिंह फिर से सक्रिय हो रहे हैं। इस सक्रियता को पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत से जोड़कर देखा जा रहा है। वे अपने बेटे को राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने के बाद प्रदेश की सियासत को लगभग अलविदा कर गए थे। इस सक्रियता का अंदाजा उचाना में कार्यक्रम सार्वजनिक जीवन में बीरेंद्र के 50 साल को देखकर लगाया जा सकता है।
भाजपा पर भी गुपचुप साध गए निशाना
उन्होंने राजनीति में मूल्यों के पतन की आड़ में अप्रत्यक्ष तौर से मोदी सरकार और भाजपा पर निशाना साधा। किसानों की आवाज बनकर उभरने का संकल्प ले डाला। प्रदेश की राजनीतिक नब्ज को पहचानने वालों का कहना है कि सियासत को लव और वार मान चुके बीरेंद्र सिंह को ध्यान रखना होगा कि वे कहीं बेटे की हिसार की सांसदी को दांव पर न लगा दें।
कुछ समय पहले खुद को बताया था ‘रिटायर्ड’
चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कुछ समय पहले एक कार्यक्रम में खुद को रिटायर्ड बताया था। उस समय मंच पर बागपत से भाजपा के सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह मौजूद थे। उन्होंने डॉ. सत्यपाल सिंह की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि आप लोगों की मांगों पर जितनी सक्रियता मैं दिखा सकता हूं, उतनी ये नहीं दिखा सकते। वजह मेरा रिटायर्ड होना है। पूर्व विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे चौ. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि ये तो प्रोटोकॉल में रहते हैं, मैं नहीं। तब यह माना गया था कि बीरेंद्र सिंह, अब राजनीतिक जीवन से दूर हट गए हैं।
राजीव गांधी के करीबियों में थी गिनती
नब्बे के दशक में जब भजनलाल हरियाणा के सीएम बने तो उसी वक्त बीरेंद्र सिंह उदास हो गए थे, उन्हें ट्रेजडी किंग कहा जाने लगा। उन्होंने चुनाव में कड़ी मेहनत की थी। पार्टी अध्यक्ष होने के नाते टिकट बंटवारे में भी उन्हें भरपूर तवज्जो मिली। तब उनकी गिनती राजीव गांधी के करीबी नेताओं में होती थी। साल 1991 में राजीव गांधी की मृत्यु के कुछ माह बाद जब कांग्रेस पार्टी के लिए सरकार गठन की बारी आई तो भजनलाल बाजी मार गए। उस समय राजनीतिक जुगाड़बाजी में भजनलाल का कोई सानी नहीं था। चौ. बीरेंद्र सिंह के करीब से सीएम की कुर्सी निकल गई।
पत्ते नहीं खोले, मगर ये प्रेशर पॉलिटिक्स हो सकती है
चौ. बीरेंद्र का अचानक सक्रिय होना, किसी दबाव वाली राजनीति का हिस्सा हो सकता है। चूंकि उन्होंने अभी पत्ते नहीं खोले हैं, इसलिए महज आंकलन पर आगे बढ़ा जा सकता है। उनके सामने अपने सांसद बेटे को राजनीति में स्थापित करने की चुनौती है। उचाना, जहां पर उन्होंने शक्ति प्रदर्शन किया है, वहां से मौजूदा डिप्टी सीएम और जजपा प्रमुख दुष्यंत चौटाला विधायक हैं। इस सीट पर पहले बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता विधायक रही हैं। जींद पर जजपा का खासा फोकस है। ये भी एक संभावना है कि चौ. बीरेंद्र अपने बेटे को केंद्र में मंत्री बनवाने के लिए यह सब कर रहे हों।
सक्रियता के पीछे आप राज्यसभा सदस्य का बयान
पंजाब में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत के बाद उन्हें लगता है कि एक बार दोबारा से सीएम की दौड़ में शामिल होना चाहिए। उनके मंच से आप के राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता ने कहा, यदि वे ‘आप’ में आते हैं तो उनके सारे सपने पूरे हो जाएंगे। उन्होंने चौधरी बीरेंद्र सिंह को आप में शामिल होने का निमंत्रण दे दिया।
इस पर बीरेंद्र सिंह ने कहा कि ‘स्वागत की धार काढ़नी है मन्नै, स्वागत तैं आगे की कोई बात करो’। यहां पर उनकी बात का मतलब समझा जा सकता है कि वे राजनीतिक करियर में क्या चाह रहे हैं। प्रदेश में भाजपा से जुड़े एक नेता ने कहा, शुरू में अमित शाह को लगा था कि बीरेंद्र सिंह के पीछे बड़ा जाट वोट बैंक है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस बात की पोल खुल गई।
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