आज समाज डिजिटल, पानीपत :
- विवेकवान अध्यापक वह जो अपने जीवन में कम से कम 10 विद्यार्थियों को विवेकानंद जैसा बनाये- बी.के. भारत भूषण
ब्रह्माकुमारीज़ के थिराना स्थित ज्ञान मानसरोवर में शिक्षाविदों के लिए आज श्रेष्ठ विश्व बनाने में अध्यापक का अहम रोल विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे जिले भर के सरकारी व निजी स्कूलों से सैंकड़ो अध्यापकगण पहुँचे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से विधिवत शुरू किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से गीता विश्व विद्यालय के प्रो कुलपति अंकुश और उप कुलपति डॉ विकास, ब्रह्माकुमारीज़ के ज्ञान मानसरोवर निदेशक बीके भारत भूषण, अंतर्राष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर बीके रामप्रकाश (अमेरिका), पानीपत जिला शिक्षा अधिकारी कुलदीप, उप जिला शिक्षा अधिकारी सुदेश कुमारी, खण्ड अधिकारी राजबीर, विक्रम और आर गुप्ता सहित ब्रह्माकुमारीज की सर्कल इंचार्ज बीके सरला बहन आदि उपस्थित रहे।
राजयोगी बीके भारत भूषण ने विषय को स्पष्ट करते हुए कहा कि अध्यापक का मतलब केवल किताबी ज्ञान बांटने वाला नही बल्कि अध्यापक अर्थात् आदर्श एवं पवित्र व्यक्तित्व। विवेकवान अध्यापक उसको कहेंगे जो अपने जीवन में कम से कम 10 जनों को विवेकानंद जैसा बनाये। आध्यात्मिक ज्ञान के बिना हिंसा वा अपराध को समाप्त नही किया जा सकता।
गीता विश्वविद्यालय के वाईस चान्सलर डॉ विकास ने कहा कि हम सभी को मिलकर बच्चों को विकारों एवं व्यसनों से बचाना है। एक और एक मिलकर ग्यारह के बराबर होते हैं इसलिए एकजुट होकर अगर हम यह संकल्प करें तो आने वाली पीढ़ी बुराइयों से बच सकती है।
जिला शिक्षा अधिकारी कुलदीप ने अपने वक्तव्य में कहा कि श्रेष्ठ विश्व बनाने में अध्यापक का बहुत अहम रोल होता है। अगर अध्यापक चरित्रवान है तो उसके विद्यार्थी भी चरित्रवान और महान बनते हैं।
बीके रामप्रकाश (अमेरिका) ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की उस भयावह घड़ी का आंखों देखा हाल भी सुनाया। वह उस समय उस सेंटर की 64वीं मंजिल पर मौजूद था। उनके अनुभव सुनकर सभी भाव विभोर हो गए
गीता विश्वविद्यालय के प्रो कुलपति अंकुश ने कहा कि अध्यापक को बच्चों के लिए रोल मॉडल बनना है, ऐसे अध्यापकों को ही विद्यार्थी जीवन भर याद रखते हैं। नैतिक मूल्यों की जीवन मे बहुत जरूरत है। इसलिए स्कूल में बच्चों को मोरल वैल्यूज पर जरूर समझाना चाहिए।
सर्कल इंचार्ज बीके सरला बहन ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने में अध्यापक की अहम भूमिका है। अगर अध्यापक ठान ले और मन से तैयार हो जाये तो बहुत जल्द यह श्रेष्ठ कार्य पूरा हो जाएगा। बशर्तें टीचर्स को पहले खुद रियल गुरु बनना होगा।
इस मौके पर मंच पर उपस्थित सभी शिक्षा अधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के अंतिम चरण में अध्यापकों को ईश्वरीय सौगात दी गयी और साथ ही सभी ने ब्रह्माभोजन भी स्वीकार किया। मंच संचालन बीके ज्योति बहन ने किया।
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