Aaj Samaj (आज समाज), Pro-Khalistani Congress Protest, वाशिंगटन/नई दिल्ली: खालिस्तानी समर्थक लगभग पिछले चार दशक से कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं, इसलिए पार्टी नेता राहुल गांधी के अमेरिका में आयोजित कार्यक्रम में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा खालिस्तान का झंडा लहराना कोई नई बात नहीं है। गौरतलब है कि इन दिनों राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर हैं और बुधवार को जब वह अमेरिका में प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे तभी अचानक वहां हंगामा हो गया।
भारत जोड़ो के नारे लगाए, खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी शुरू
राहुल गांधी ने जब भारत जोड़ो के नारे लगाए तो खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी शुरू हो गई। इस दौरान वहां खालिस्तानी झंडा भी फहराया गया। इस सबके चलते जहां राहुल गांधी थोड़े असहज दिखे। ज्यादात्तर लोग कांग्रेस के खिलाफ इस विरोध को जहां 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों के साथ जोड़कर देखते हैं, वहीं खालिस्तानी समर्थक इस घटना से पहले इंदिरा गांधी द्वारा सिख धर्म के पूजनीय स्थल श्री दरबार साहिब अमृतसर व वहां मौजूद अकाल तख्त पर हुई सैनिक कार्रवाई से शुरू हुआ संघर्ष मानते हैं। ताजा घटना को लेकर बीजेपी ने भी एक बार फिर 1984 के जोड़ते हुए बयानबाजी की।
1984 के दंगों के दौरान इंदिरा गांधी ने दिए थे हमले के आदेश
बता दें कि देश की प्रधानमंत्री होने के चलते इंदिरा गांधी ने 1984 में भारतीय सेना को दरबार साहिब पर हमला करने के आदेश दिए थे। जिसमें जरनैल सिंह भिंडरावाला सहित बहुत सारे सिख मारे गए थे और इसी के विरोध स्वरूप इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी।
खालिस्तानी समर्थकों की शरण स्थली है पाकिस्तान और यूरोपीय देश
हालांकि खालिस्तान की मांग भारत में एक अलग सिख देश के रूप में की जारी रही है लेकिन यह मांग भारत में नहीं बल्कि विदेशों में बैठे खालिस्तानी समर्थक करते हैं। इन लोगों के लिए पाकिस्तान के साथ-साथ कनाडा, अमेरिका, इंगलैंड, आस्ट्रेलिया और जर्मनी प्रमुख देश हैं। इन लोगों ने वहां पर राजनीतिक शरण हासिल की हुई है और वहां बैठ कर भारत में खालिस्तान संबंधी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
इन देशों से हो रही फंडिंग
भारत में खालिस्तान के नाम पर स्थिति खराब करने के लिए खालिस्तान के नाम पर काफी ज्यादा फंडिंग की जाती है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी सबसे ज्यादा फंडिंग करती है। इसके साथ ही तीन साल पहले एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि खालिस्तानी संगठन जैसे एसएफजे, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, बब्बर खालसा, खालिस्तान टाइगर फोर्स भारत में मौजूद कुछ एनजीओ को फंडिंग कर आतंक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
ज्यादातर फंडिंग ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी से की गई थी। पिछले कुछ समय में यह भी सामने आया है कि कनाडा बैठा गुरपतवंत सिंह पन्नू भारत में हर छोटी-बड़ी नापाक हरकत के पीछे बड़ा ईनाम घोषित कर रहा है जिससे भारत में सिख फॉर जस्टिस नामक उसके संगठन से काफी ज्यादा लोग जुड़ रहे थे।
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