Pregnancy Diet: प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कई तरह की सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, डॉक्टर महिलाओं की लाइफस्टाइल और डाइट में भी बदलाव करने कर सकते हैं। प्रेग्नेंसी में बच्चे के विकास और उसे अन्य संभावित बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए संतुलित आहार लेना बेहद आवश्यक होता है। पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार लेने से बच्चो को सभी पोषक तत्व आसानी से मिल पाते हैं। ऑटिज्म मस्तिष्क से संबंधित रोग है, इसमें व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता प्रभावित होती है। साथ ही, मरीज के ब्रेन का विकास धीमी गति से होता है। हाल में हुई कुछ स्टडी से पता चला है कि प्रेग्नेंसी में महिलाओं की डाइट में पोषण की कमी का प्रभाव बच्चे में ऑटिज्म के खतरे को बढ़ा सकता है।
बच्चों में होने वाले ऑटिज्म के सटिक कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है। लेकिन, प्रेग्नेंसी के दौरान मां के द्वारा ली जाने वाली हेल्दी डाइट बच्चों में ऑटिज्म के जोखिम को कम कर सकती है। नोर्वे में हुई एक स्टडी में प्रेग्नेंट महिलाओं पर किए गए शोध से पता चला कि गर्भावस्था के दौरान मां की डाइट का असर बच्चे के मस्तिष्क संबंधी समस्या जैसे ऑटिज्म पर देखने को मिलता है। गर्भवती महिला की डाइटॉ भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे आवश्यक पोषक तत्व मस्तिष्क के विकास और कार्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन पोषक तत्वों की कमी या असंतुलन से बच्चे को विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे ऑटिज्म जैसे न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ सकता है।
फोलिक एसिड न्यूरल ट्यूब के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है, जो बाद में ब्रेन और रीढ़ की हड्डी बन जाती है। गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान फोलिक एसिड का पर्याप्त सेवन न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट और ऑटिज्म के कम जोखिम से जुड़ा हो सकता है। फोलिक एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों में पत्तेदार हरी सब्जियां, फलियां और साबुत अनाज शामिल हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड, विशेष रूप से DHA (डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड), यह ब्रेन के विकास के लिए आवश्यक होता हैं। स्टडी से पता चला है कि प्रेग्नेंसी के दौरान ओमेगा-3 का अधिक सेवन करने से कॉग्नेंटिव कार्य में सुधार होता है और बच्चों में ऑटिज्म का जोखिम कम होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए महिलाएं डाइट में अलसी के बीच, चिया सीड्स और अखरोट शामिल कर सकती हैं।
आयरन हीमोग्लोबिन के निर्माण और पेट में पलने वाले बच्चे तक ऑक्सीजन के पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण होता है। प्रेग्नेसी के दौरान आयरन की कमी से बच्चे का समय से पहले जन्म और ऑटिज्म सहित डेवलपमेंट डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है। आयरन की कमी को दूर करने के लिए महिलाएं गाजर, चुकंदर, हरी सब्जियां और अनार का सेवन कर सकती हैं।
विटामिन डी ब्रेन डेवलपमेंट और कार्य में भूमिका निभाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान विटामिन डी की कमी को ऑटिज्म और अन्य न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है। ऐसे में महिलाओं को सुबह के समय सूर्य में रोशनी में बैठना या धूमना चाहिए।
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